बिहार में प्रखंड और अनुमंडल में स्थित ट्रेजरी एक अप्रैल से खत्म, केवल जिला कोषागार से होगा काम
नए वित्तीय वर्ष के पहले दिन यानी एक अप्रैल से राज्य के प्रखंडों और अनुमंडलों के सरकारी कोषागार समाप्त हो जाएंगे। इनका जिला कोषागार में विलय कर दिया जाएगा। अब किसी जिले में सिर्फ एक कोषागार ही रहेगा। हालांकि इन उप कोषागारों में नियुक्ति कर्मी की नौकरी नहीं जाएगी।
पटना, राज्य ब्यूरो। नए वित्तीय वर्ष के पहले दिन यानी एक अप्रैल से राज्य के प्रखंडों और अनुमंडलों के सरकारी कोषागार समाप्त हो जाएंगे। इनका जिला कोषागार में विलय कर दिया जाएगा। अब किसी जिले में सिर्फ एक कोषागार ही रहेगा। हालांकि, इस बदलाव से इन उप कोषागारों में नियुक्ति कर्मी की नौकरी नहीं जाएगी। इन्हें जिला कोषागार या योग्यता-क्षमता के आधार पर किसी अन्य विभाग में समायोजित कर लिया जाएगा। राज्य में 534 प्रखंड और एक सौ एक अनुमंडल हैं। वित्त विभाग के सचिव प्रेम सिंह मीणा ने गुरुवार को सभी अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष, जिलाधिकारी, कोषागार और उप कोषागार के पदाधिकारियों को पत्र लिख कर नई व्यवस्था की जानकारी दी है।
जून 2020 में ही वित्त विभाग ने किया था फैसला
वित्त विभाग ने जून 2020 में ही उप कोषागारों के जिला कोषागार में विलय का फैसला कर लिया था। विलय को अमली जामा पहनाने से पहले सभी उप कोषागारों के बैंक कारोबार को जिला कोषागारों से जोड़ दिया गया है। ये सीएमएफएस(सेंट्रलाइज्ड फंड मैनेजमेंट सिस्टम) के जरिए जुड़ गए हैं। पत्र में कहा गया है कि एक अप्रैल से उप कोषागारों का आर्थिक कारोबार जिला कोषागार से ही होगा। पेंशन, चालान, इंट्री, लंबित मासिक लेखा एवं कोषागार से जुड़े दूसरे काम प्रखंड-अनुमंडल के बदले जिला कोषागार से होंगे।
व्यवस्था सुचारू होने तक चलेगा काम
पूरी व्यवस्था के पटरी पर आने तक उप कोषागारों का कार्यालय प्रखंडों-अनुमंडलों में जिला कोषागार की सहायता के लिए काम करेगा। लेखा के किसी जानकार को अस्थायी तौर पर फिलहाल उप कोषागार में प्रतिनियुक्त किया जाएगा। पत्र के मुताबिक उप कोषागार से संधारित होने वाले पीपीओ, रिकार्ड, फर्नीचर-उपस्कर, हार्ड वेयर आदि की सूची भी जिला कोषागार को दी जा रही है।
कर्मचारियों की नौकरी पर नहीं पड़ेगा असर
उप कोषागारों में तैनात सभी कर्मियों की सेवा सुरक्षित रहेगी। इन्हें संबंधित जिलाधिकारी कोषागार या अन्य कार्यालयों में प्रतिनियुक्त करेंगे। लेकिन, अवकाश ग्रहण करने की हालत में होनेवाली इन पदों की रिक्तियां भरी नहीं जाएंगी। इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में सरकारी नौकरी के हजारों पद समाप्त हो जाएंगे।