दीपावली इफेक्ट: पटना में 12 गुना खराब हुई हवा, खतरनाक स्तर तक पहुंचा शोर
पटना में दीपावली पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का असर पड़ा। बीते साल की तुलना में शोर प्रदूषण में कमी दर्ज की गई। इस बाबत पूरी जानकारी के लिए पढ़ें यह खबर।
पटना [जेएनएन]। रोशनी के पर्व दीपावली में आतिशबाजी के कारोबार पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन को लेकर पटना प्रशासन तत्पर दिखा। गली-मोहल्लों में पुलिस पेट्रोलिंग के कारण शाम सात बजे से रात 10 बजे के बीच पटाखे पिछले वर्ष की तुलना में आधा छूटे। इससे पटाखा व्यवसाय प्रभावित हुआ। इसके बावजूद पटाखों से पटना की हवा 12 गुना तक खराब हो गई। ध्वनि प्रदूषण की स्थिति भी खतरनाक रही।
12 गुना तक खराब हो गई हवा
दीपावली पर छोड़े गए पटाखों ने राजधानी की हवा को सामान्य से 12 गुना तक खराब कर दिया है। दीपावली के बाद हवा में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) की मात्रा 767 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक पहुंच गई, जो रिकार्ड है। सामान्य रूप से हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर होनी चाहिए। पीएम10 का स्तर सामान्य भी सामान्य से 10 गुना अधिक रहा। यह 100 माइकोग्राम प्रति घनमीटर से बढ़कर 1046 पर पहुंच गया।
खतरनाक स्तर पर पहुंचा ध्वनि प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण का हाल यह रहा कि पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) और इंदिरा गांणी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) जैसे शांत क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण 90 से 100 डेसिबल तक दर्ज किया गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दीपावली के मौके पर राजधानी में आठ जगहों पर ध्वनि और वायु गुणवत्ता की जांच रिपोर्ट जारी की है।
एक रात में 371 से 767 पहुंच गया प्रदूषण का स्तर
दीपावली के पूर्व छह नंवबर को पटना में पीएम2.5 का स्तर 337 रिकॉर्ड किया गया था। सात नवंबर की सुबह पीएम 2.5 का स्तर 371 था। दीपावली के दिन पीएम 2.5 का स्तर 767.5 और पीएम10 स्तर 1046 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया। प्रदूषण का रिकार्ड रात 10 बजे से सुबह छह बजे के बीच सर्वाधिक रहा।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार सामान्य दिनों में पीएम 2.5 और पीएम10 की मात्रा में वृद्धि वाहनों के धुएं से होती है, लेकिन इस बार हवा में प्रदूषण का मूल कारण आतिशबाजी रही।
बोरिंग रोड में सबसे अधिक शोर
दीपावली के दिन ध्वनि प्रदूषण का स्तर बोरिंग रोड में सबसे अधिक रहा। रात नौ बजे से 12 बजे तक बोरिंग रोड में 81 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया। अस्पताल के आसपास का क्षेत्र शांत घोषित होता है, बावजूद आइजीआइएमएस में 90 और पीएमसीएच क्षेत्र में 100 डेसिबल का शोर के बीच मरीजों को रात गुजारनी पड़ी। पूरे शहर में मानक से अधिक ध्वनि प्रदूषण दर्ज किया गया।
पटाखा कारोबार में आई गिरावट
ऐसा तब हुआ, जब पटाखा कारोबार व आतिशबाजी में ग्रिरावट दर्ज की गई। खाजेकलां पटाखा थोक मंडी के कारोबारी राजेश कुमार राय ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष आधा पटाखा की बिक्री हो सकी। मंडी कारोबारियों की मानें तो प्रतिवर्ष सात से 10 करोड़ तक का पटाखा कारोबार पांच करोड़ में ही सिमट कर रह गया। पश्चिम दरवाजा से मच्छरहट्टा तथा आसपास के इलाकों में खुली खुदरा पटाखा दुकानों में फैन्सी व परंपरागत पटाखों की बिक्री अधिक हुई।
11 दुकानदारों को जेल भेजने से दहशत
29 अक्टूबर को पटना अनुमंडल प्रशासन की ओर से खाजेकलां थाना क्षेत्र में छापेमारी कर आठ दुकानों को सील कर दिया गया। 11 दुकानदारों को जेल भेज दिया गया तथा 14 दुकानदारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। तब से पटाखा की थोक व खुदरा दुकानें बंद रहीं।
जिला प्रशासन से अस्थायी लाइसेंस मिलने के बाद धनतेरस के दिन यानी सोमवार से खुदरा दुकानदारों ने पटाखे की बिक्री आरंभ की। इस बार महज तीन दिन नियमों के अनुसार मंडी में पटाखों की बिक्री हुई। दुकानदारों ने बताया कि बाहर से आए पटाखा दुकानदारों और ग्राहकों के लौटने से व्यवसाय पर काफी असर पड़ा।
दुकानों में बच गए आधे से अधिक पटाखे
अधिकतर दुकानदारों ने बताया कि प्रशासन की सख्ती की वजह से दुकानों में आधे से अधिक पटाखे बच गए। दुकानदारों की मानें तो इस बार खुदरा दुकानों मे परंपरागत आइटम की बिक्री रही। अधिकतर लोग फुलझड़ी, महताबी, चरखी, अनार फैन्सी व साधारण, रॉकेट, चटाई व बीड़ी बम तथा फैन्सी आइटमों की खरीदारी किए। कारोबारियों की मानें तो न्यायालय के आदेश आने की प्रतीक्षा में बाजार में नया कोई भी आइटम नहीं आ पाया। दुकानदारों की मानें तो इस बार लोगों में भी जागरूकता दिखी। लोगों ने कम प्रदूषण वाले पटाखों की खरीदारी की।
चीनी पटाखों का लोगों ने किया बहिष्कार
मच्छरहट्टा मंडी में दीपावली पर चीनी पटाखों के बहिष्कार का असर दिखा। लगभग चार-पांच वर्ष पूर्व तक पटाखा बाजारों पर सस्ते दाम होने की वजह से चीनी पटाखों की खूब बिक्री होती थी। तमिलनाडु के शिवाकाशी से आनेवाले परपंरागत पटाखों का धंधे पर असर पड़ रहा था। इससे पटना सिटी के वासियों में दीपावली के बाद दमा और सांस लेने में तकलीफ बढऩे लगी।
जांच में यह बात सामने आई कि चीन के पटाखों से हवा में टॉक्सिन की मात्रा बढ़ती है। चीन के पटाखों के दाम कम होने की एक बड़ी वजह उसमें सस्ते रसायन पोटाशियम क्लोरेट और पेराक्लोरेट का इस्तेमाल था। लोगों को जानकारी मिलने के बाद उन्होंने चीनी पटाखों का बहिष्कार कर दिया।
दीपावली की रात ध्वनि प्रदूषण (डेसिबल में)
(न्यूनतम - अधिकतम)
बोरिंग रोड: 54-124
गांधी मैदान: 56.3-109.8
पाटलिपुत्र: 52.2-107.5
शास्त्रीनगर: 32.2-84.7
इंडस्ट्रीयल क्षेत्र: 56.8-78.4
तारामंडल: 42.5- 90.2
आइजीआइएमएस: 36.3-100.2
पीएमसीएच: 37.6-90.9
नवंबर के साथ बिगड़ती गई हवा की सेहत
अक्टूबर में पटना में वायु की गुणवत्ता राष्ट्रीय औसत से करीब चार गुणा अधिक दूषित थी। नवंबर के पहले सप्ताह से ही वायु प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। पटना में वायु गुणवत्ता की जांच रिपोर्ट के अनुसार एक नवंबर से वायु गुणवत्ता बेहद खतरनाक श्रेणी की पाई गई है।
दिनांक - एक्यूआइ
1 नवंबर - 282
2 नवंबर - 309
3 नवंबर - 289
4 नवंबर - 303
5 नवंबर - 337
6 नवंबर - 371
7 नवंबर - 393
8 नवंबर - 767