बिहार के नालंदा में लंबे समय से चल रहा था उम्र कम करने का खेल, रैकेट में ऐसे लोग भी हैं शामिल
ठेकेदार कुंदन हत्याकांड के आरोपित कुंदन की उम्र कम दिखाने की साजिश। बिहार थानाध्यक्ष ने कोर्ट के दो मुंशी दो शिक्षक पांच प्रिंटिंग प्रेस संचालक व आरोपित के पिता पर दर्ज कराई प्राथमिकी। जांच के बाद खुल सकते है कई अहम राज।
बिहारशरीफ, जागरण संवाददाता। जिले में पहली बार एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश हुआ है, जो बीते कई वर्षों से जघन्य अपराध के आरोपितों को नाबालिग दर्शा कर उन्हें सजा से बचाने की साजिश करता आ रहा था। इस गैंग में कोर्ट के मुंशी से लेकर सरकारी स्कूल के शिक्षक व प्रिंटिंग प्रेस के संचालक तक शामिल हैं। बिहार थानाध्यक्ष ने स्वयं 10 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। अभी इनमें से कोई गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। परंतु थानाध्यक्ष का दावा है कि जल्द ही सभी आरोपित सलाखों के पीछे होंगे।
जज को हुआ शक तो जांच के दिए आदेश
इस गैंग की कारगुज़ारी किशोर न्याय परिषद में पिछले दिनों राजगीर के चर्चित ठेकेदार कुंदन सिंह हत्याकांड की सुनवाई के दौरान सामने आई थी। हत्या के मुख्य आरोपित कुंदन कुमार की ओर से आदर्श मध्य विद्यालय सरमेरा का विद्यालय स्थानांतरण प्रमाण पत्र कोर्ट में प्रस्तुत किया गया था। इस प्रमाण पत्र पर प्राथमिक विद्यालय तकिया पर, बिहारशरीफ की मुहर थी। इसके जरिए आरोपित को नाबालिग साबित करने की कोशिश की गई थी। कोर्ट को संदेह हुआ तो इस संबंध में जज मानवेंद्र मिश्र ने एसपी को पत्र लिखकर पूरे प्रकरण की जांच कराने को कहा था।
टीसी की जांच से खुलती गई परत
एसपी के आदेश पर बिहार थाना अध्यक्ष संतोष कुमार ने कोर्ट में पेश विद्यालय स्थानांतरण प्रमाण पत्र की जांच शुरू की तो परत दर परत खुलती चली गई। सरमेरा मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने साफ कहा कि यह प्रमाण पत्र जाली है। तब थानाध्यक्ष ने सारा ध्यान फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले गैंग की ओर लगा दिया। पता चला कि एक लंबा चौड़ा रैकेट फर्जी सर्टिफिकेट बनाने के खेल में लगा है। जिसमें कोर्ट के मुंशी से लेकर स्कूल के शिक्षक और प्रिंटिंग प्रेस वालों की भी संलिप्तता है। पुख्ता सबूत के आधार पर बिहार थानाध्यक्ष ने कुल 10 लोगों के खिलाफ थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी है। अगर इनके खिलाफ आरोप साबित हो गए तो इन सभी को उम्र कैद तक की सजा हो सकती है।
दुष्कर्म मामले में भी ऐसी ही हुई थी कोशिश
याद दिला दें कि दो साल पहले राजगीर में एक नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले में भी आरोपितों को नाबालिग साबित कर सजा से बचने की कोशिश की गई थी। बाद में इन सभी के भी उम्र प्रमाण पत्र जाली पाए गए थे। मेडिकल जांच में भी सभी बालिग पाए गए थे। इस आधार पर उन्हें सजा सुनाई गई थी। बहरहाल ताजा मामले में फर्जीवाड़ा करने वाले रैकेट के पर्दाफाश के बाद इतना तय हो चला है कि अब नाबालिगों से अपराध कराने वाले अथवा बालिग को नाबालिग साबित कर सजा से बचाने की साजिश करने वाले बच नहीं सकेंगे।
कोर्ट के दो मुंशी हैं मास्टर माइंड
कोर्ट का मुंशी नागेन्द्र सिंह किशोर उम्र का फर्जी सर्टिफिकेट बनाने का मास्टर माइंड है। वह वरिष्ठ अधिवक्ता दिवंगत सत्यदेव सिंह का साला है। एक अन्य अभियुक्त उपेन्द्र पिता गनौरी यादव भी कोर्ट का मुंशी ही है। उपेन्द्र अधिवक्ता राकेश का मुंशी है। अधिवक्ता राकेश वरिष्ठ अधिवक्ता रहे स्वर्गीय ललितेश के पुत्र हैं।
जेजेबी ने मामले की जांच के लिए एसपी को लिखा था पत्र
जेजेबी के प्रधान न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्र ने पिछले दिनों एस पी हरि प्रसाथ एस को पत्र लिखकर पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच करने को कहा था। एस पी ने बिहार थानाध्यक्ष को जांच का जिम्मा सौंपा था। बिहार थाना की जांच में इस रैकेट का पर्दाफाश हुआ। थानाध्यक्ष ने बताया कि इस खेल में अस्थावां में पदस्थापित शिक्षक रंजीत कुमार, अजय कुमार (शिक्षक) बीआरसी अस्थावां, आरोपित कुंदन का पिता रामजनम यादव, उपेंद्र कुमार, नागेंद्र सिंह समेत 5 प्रिंटिंग प्रेस के संचालक शामिल है। इसमें नागेंद्र सिंह पूरे सिंडिकेट का मास्टरमाइंड है। वहीं उपेंद्र कुमार कोर्ट में फर्जी सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने का काम करता था। इसमें दो शिक्षक भी शामिल है। थानाध्यक्ष ने बताया कि शहर के 5 प्रिंटिंग प्रेस के संचालकों पर कापी राइट का मामला दर्ज किया गया है। अरोपितों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।