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बंदर के बाद चूहे बने रोशनी लौटाने की आस, कार्निया नहीं पूरी आंख का हो सकेगा ट्रांसप्लांट-जानें

आइजीआइएमएस के चिकित्सक चूहों पर अब ऑप्टिक नर्व प्रत्यारोपण का परीक्षण करेंगे। इसके लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने हरी झंडी दे दी है। साथ ही परियोजना तैयार कर ली गई है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो तीन वर्ष में सफल परिणाम आ जाएगा।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 08:36 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 10:02 AM (IST)
बंदर के बाद चूहे बने रोशनी लौटाने की आस, कार्निया नहीं पूरी आंख का हो सकेगा ट्रांसप्लांट-जानें
आंखों की रोशनी गंवाने वालों के जीवन में फिर से उजाला लाने के लिए अब चूहे सहारा बनेंगे।

नलिनी रंजन, पटना। घटना-दुर्घटना, ग्लूकोमा या किसी दवा के साइड इफेक्ट से आंखों की रोशनी गंवाने वालों के जीवन में फिर से उजाला लाने के लिए अब चूहे सहारा बनेंगे। एम्स दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. राजर्वद्धन आजाद के नेतृत्व में इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) के चिकित्सक चूहों पर शोध करेंगे।

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आंखों की रोशनी के लिए ऑप्टिक नर्व का रिजनरेशन कराने की परियोजना को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने हरी झंडी दे दी है। डॉ. आजाद ने चीन में बंदर पर ऑप्टिक नर्व रिजनरेशन में पहली सफलता प्राप्त की थी। 2015-2016 में बंदर पर शोध कार्य किया था। इस दौरान वह चीन के जॉनसेन ऑप्थेल्मिक सेंटर, ग्वॉनझू में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में सेवा दे रहे थे। वहां बंदर की ऑप्टिक नर्व को काटकर फिर से जोड़ा गया था। इसमें न्यूटिशन मैटेरियल डालने का सकारात्मक असर देखने को मिला। अब केंद्र सरकार के सहयोग से नए शोध को पूरा किया जाएगा। यदि यह ट्रायल सफल होता है तो सीधे कार्निया नहीं, बल्कि पूरी आंख का प्रत्यारोपण किया जा सकेगा, जो चिकित्सा विज्ञान की बड़ी उपलब्धि होगी। डॉ. आजाद अब आइजीआइएमएस में 2019 से अमेरिटस प्रोफेसर के रूप में सेवा दे रहे हैं। यहां आइजीआइएमएस के क्षेत्रीय चक्षु संस्थान के अध्यक्ष डॉ. प्रो. विभूति प्रसन्न सिन्हा व उनकी टीम सहयोग करेगी।

पांच चरणों में चूहों पर परीक्षण 

डॉ. राजवर्दधन आजाद ने बताया, बंदर पर शोध प्रक्रिया का परिणाम बेहतर रहा है। अब चूहों पर यह प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके तहत सात-सात चूहों पर पांच चरणों में परीक्षण होगा। इसमें चूहों की आंखों की नर्व को काटकर उसमें न्यूट्रिशन मैटेरियल डालकर परीक्षण किया जाएगा। यहां परीक्षण तीन दौर से गुजरेगा। पहले चरण में रेटिना का इलेक्ट्रिक रेस्पांस चेक किया जाएगा। इसके बाद लिविंग रूप में देखा जाएगा। बाद में इनविट्रो में नर्व का पार्ट निकालकर परीक्षण होगा। यह प्रक्रिया लैब में पूरी की जाएगी। उन्होंने बताया, चीन, बोस्टन व सेंट पीटर्सबर्ग में यह कार्य हो रहा है। 


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