दशकों बाद बिहार में नहीं होगी दही-चूड़ा भोज की राजनीति, सिर्फ सुशील मोदी दिखाएंगे ताकत
बिहार में मकर संक्रांति के अवसर पर विभिन्न राजनीतिक दल दही-चूड़ा भोज का आयोजन करते हैं। यह भोज सियासी रिश्तों के गर्माहट का जरिया माना जाता है। कोरोना के चलते वशिष्ठ नारायण सिंह ने भोज को स्थगित लालू के जेल के बाद राजद नहीं करता आयोजन। मोदी का भोज होगा
पटना, राज्य ब्यूरो । बिहार में मकर संक्रांति के मौके पर हर साल होने वाले दही-चूड़ा भोज की राजनीति पर इस बार कोरोना का ग्रहण लग गया है। इसे कड़ाके की ठंड में सियासी रिश्तों में गर्माहट लाने का जरिया माना जाता था। किंतु करीब तीन दशक बाद पहली बार इसका आयोजन नहीं किया जा रहा। जदयू की ओर से तो बताया भी जा चुका है। राजद ने भी ऐसे किसी आयोजन से इन्कार किया है। कांग्रेस की तैयारी भी नहीं दिख रही है। जाहिर है, प्रमुख दलों के नेताओं की मेल-मुलाकात और आपसी कड़वाहट को कम करने का जरिया भी इस बार दूर रहने वाला है।
बड़ा होता था जदयू का आयोजन
राजद प्रमुख लालू प्रसाद और जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह समेत कई प्रमुख नेताओं की ओर से प्रत्येक साल संक्रांति के मौके पर दही-चूड़ा भोज दिया जाता रहा है। सभी आयोजनों में हजारों की संख्या मेें लोग शिरकत करते थे। सियासी गलियारे में इसे ताकत का प्रदर्शन माना जाता था, लेकिन कोरोना के चलते इस बार का संयोग नहीं दिख रहा है। वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि वह भाईचारे के लिए भोज देते रहे हैैं। आम और खास सभी एक जैसा भोजन करते हैैं। परंतु इस साल कोरोना की वजह से आयोजन नहीं किया जा रहा है।
लालू के जेल जाने के बाद राजद में बंद है आयोजन
राजद में यह आयोजन पिछले दो बार से बंद है। चारा घोटाले में 23 दिसंबर 2017 को लालू प्रसाद के जेल जाने के बाद से ही लालू परिवार ने इस आयोजन से किनारा कर लिया है। हालांकि पिछली बार लालू को जमानत की उम्मीद थी तो तैयारी भी कर ली गई थी। मगर ऐन वक्त पर जमानत टल गई तो आयोजन को टाल देना पड़ा था। राजद के प्रदेश प्रमुख प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा कि इस बार अभी तक कोई तैयारी नहीं है। राजद प्रमुख की अनुपस्थिति में कोई भी उत्सव मनाना उचित नहीं होगा। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा भी अभी हां-न की स्थिति में हैैं।
जारी रहेगा सुशील मोदी का भोज
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी का भोज थोड़ा अलग रहता है। इसलिए वह जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए वह मीडिया को आमंत्रित करेंगे। वशिष्ठ बाबू के भोज में चूंकि हजारों की संख्या में लोग आते हैैं। इसलिए वहां नियमों का पालन मुश्किल है, लेकिन मेरा आयोजन छोटा होता है। करीब डेढ़-दो सौ लोग ही रहते हैैं। इसलिए मैंने इसे स्थगित नहीं किया है।