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68 दिन बाद मीठापुर बस स्टैंड से हटी बैरिकेडिंग, परिचालन शुरू

आम लोगों को बस का परिचालन शुरू होने से काफी सहूलियत होगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 05:54 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 10:52 PM (IST)
68 दिन बाद मीठापुर बस स्टैंड से हटी बैरिकेडिंग, परिचालन शुरू
68 दिन बाद मीठापुर बस स्टैंड से हटी बैरिकेडिंग, परिचालन शुरू

पटना। लॉकडाउन के 68वें दिन सोमवार को मीठापुर बस स्टैंड से बैरिकेडिंग हटाई गई। स्टैंड के तीनों गेट पर ट्रैफिक पुलिसकर्मी पहले की तरह तैनात कर दिए गए हैं। आसपास की कई दुकानें भी खुल गई। लेकिन यात्रियों की संख्या बेहद कम होने के कारण 86 फीसद बसों के पहिए तक नहीं घूमे। दोपहर एक बजे तक मुजफ्फरपुर, दरभंगा-जयनगर, नवादा-बिहारशरीफ, छपरा, मधुबनी और मोतिहारी की 37 बसें निकलीं पर सीट से कम यात्री लेकर रवाना हुई। इसके बाद रात तक में 11 बसें और निकलीं। लंबी रूट की एक भी बस नहीं चली।

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मास्क लगाने वालों की संख्या दिखी कम :

सोमवार को मीठापुर बस स्टैंड से बसें खुलीं, लेकिन यात्रियों में मास्क लगाने वालों की संख्या काफी कम थी। तीन-चार के जत्थे में रहे यात्रियों को कंडक्टर मुंह ढकने की सलाह दे रहा था, लेकिन उसका चेहरा खुद खुला था। बसें सैनिटाइज की गई थीं या नहीं? इसके बारे में भी कोई जानकारी नहीं थी। कंडक्टर की जेब में सैनिटाइजर की शीशी थी। रुपये लेने से पहले वह यात्रियों को सैनिटाइजर दे रहा था।

न भाड़ा फिक्स और न ही समय :

यात्रियों की संख्या कम होने की वजह से बसें निर्धारित समय से अधिक देर तक गेट पर खड़ी रहीं। भाड़ा भी कोई निश्चित नहीं था। यात्रियों के हिसाब से कंडक्टर तय किराये से 20-30 रुपये अधिक वसूल रहा था। बिहारशरीफ निवासी राकेश कुमार ने बताया कि पहले 70 रुपये किराया लिया जा रहा था। अभी कंडक्टर ने पूरे सौ रुपये लिए। गौरतलब है कि प्रतिदिन मीठापुर बस स्टैंड से करीब 350 बसों का परिचालन होता है, लेकिन अनलॉक वन के पहले दिन मात्र 48 बसें निकलीं।

मुसीबत में बस मालिक, टैक्स माफ करने की गुहार :

बस एंड कार ऑपरेटर कंफेडरेशन ऑफ बिहार के सचिव व बालाजी ट्रेवल्स के मालिक चंदन सिंह ने बताया कि बस मालिकों की स्थिति बहुत खराब है। टैक्स माफ करने के लिए संगठन ने गुहार लगाई थी, लेकिन अब तक उसपर सुनवाई नहीं हुई। अभी राज्यभर में परिचालन की अनुमति मिली है। बैंक वाले तो कम परेशान करते हैं, लेकिन जिन वाहन मालिकों ने निजी फाइनेंस कंपनी के माध्यम से बसें खरीदी हैं, उनपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है।


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