भाग्यश्री के बेटे से डेट के रहे चर्चे, सोनल ने पर्सनल लाइफ व कॅरियर के बारे में की ये बात
बॉलीवुड सनसनी सोनल चौहान पटना में हैं। दैनिक जागरण से उन्होंने अपने पर्सनल व प्रोफेशनल लाइफ के बारे में दिल खोलकर बातचीत की। जानने के लिए पढ़ें खबर।
By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 15 Mar 2018 08:01 PM (IST)Updated: Fri, 16 Mar 2018 06:29 PM (IST)
style="text-align: justify;">पटना [जेएनएन]। फिल्म 'जन्नत' से हिंदी फिल्मों में डेब्यू करने वाली बॉलीवुड की हॉट सनसनी सोनल चौहान गुरुवार को पटना में थीं। फेमिना मिस इंडिया की प्रतिभागी रहीं सोनल एक्ट्रेस के अलावा मॉडल व पार्श्व गायिका भी हैं। वे हिंदी के अलावा दक्षिण भारतीय फिल्मों में नजर आती रहीं हैं। सोनल बीते जमाने की एक्ट्रेस भाग्यश्री के बेटे अभिमन्यु दासानी के साथ डेट को लेकर भी चर्चा में रहीं हैं। दैनिक जागरण से बातचीत में सोनल ने अपने पर्सनल लाइफ व कॅरियर के बारे में खुलकर बात की।
आपने जन्नत के बाद हिंदी से अधिक तेलुगु फिल्में कीं, क्या वजह रही?
- जिस वक्त 'जन्नत' आई थी, मैं फिल्में करने के मूड में नहीं थी। उस समय मेरी पढ़ाई चल रही थी, इसलिए कुछ दिनों तक फिल्म इंडस्ट्री से दूर रही। पढ़ाई पूरी करने के बाद तेलुगु के साथ हिंदी फिल्में भी की।
जोया के किरदार से हर दिल पर छाने वाली सोनल बॉलीवुड में कब कमबैक कर रही हैं?
- मेरी आने वाली फिल्म जेपी दत्ता की 'पलटन' है। इस फिल्म के साथ ही बॉलीवुड इंडस्ट्री में कमबैक कर रही हूं।
आप बॉलीवुड से अधिक साउथ की फिल्मों में सक्रिय रही हैं। दोनों में क्या अलग दिखता है?
- एक कलाकार के लिए उसका रोल कैसा हो, यह हर इंडस्ट्री के लिए कॉमन होता है। इसलिए मेरे लिए भी रोल ज्यादा महत्वपूर्ण रहा। दोनों इंडस्ट्री में अच्छी फिल्में बनती हैं। बात जहां तक अंतर की है तो वह सिर्फ भाषा का है। शुरुआत में लोगों ने कहा था कि मैं तेलुगु फिल्में नहीं कर पाऊंगी, लेकिन मैंने रिस्क लिया और सफलता पाई। चूंकि मैं यूपी से हूं, इसलिए भी तेलुगु बोलना मुश्किल लग रहा था। पर मैंने मेहनत की।
अगर आप अभिनेत्री नहीं होतीं तो क्या करतीं?
- हंसते हुए...मैं आपलोगों की तरह एक जर्नलिस्ट होती। पत्रकारिता में गहरी रुचि होने के कारण मैंने दिल्ली के गार्गी कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक किया। मैंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी थी। लेकिन, देखिए किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
आप दूसरी बार पटना आईं हैं। पटना की कौन सी खासियत पसंद आती है आपको? कहां घूमना चाहती हैं?
- हां, यह दूसरा मौका है जब मैं पटना आई हूं। लेकिन, कहीं घूम नहीं पाई हूं। पटना को मैंने फिल्मों में ही देखा है। यहां की गलियां मुझे अपनी ओर खींचती हैं। इसका असली चार्म तो इन तमाम गलियों में छोटे-छोटे मंदिरों के एरियल व्यू में है, जो मैं देखती आ रही हूं। मेरी दिली इच्छा है कि गुरुद्वारा जाऊं पर पिछली बार भी समय कम होने के कारण नहीं घूम पाई थी। इस बार कोशिश रहेगी।
बिहार की छवि बॉलीवुड को फिल्मों में काफी गलत दिखाई गई है, आप क्या सोचती हैं?
- मैं यूपी के बुलंदशहर से हूं। बॉलीवुड में बिहार और यूपी को एक साथ गलत छवि में पेश किया जाता रहा है। मैं खुद से कहीं की छवि नहीं बनाती हूं, इसलिए फिल्मों से भी प्रेरित नहीं हुई। पटना के लोग हमारी यूपी की तरह बहुत प्यारे हैं। बॉलीवुड ने बिहार और यूपी दोनों का स्टीरियोटाइप इम्प्रेशन बना कर रखा है जो सही नहीं है।
आप किस तरह की फिल्में में काम करना चाहती हैं?
- मैं किसी एक रोल में बंधकर नहीं रहना चाहती हूं। अलग अलग जॉनर और किरदार की भूमिका निभाना चाहती हूं। मैं एक्शन भी करना चाहती हूं और कॉमेडी में भी हाथ आजमाना चाहती हूं। मेरा ड्रीम रोल अनारकली का किरदार है।
आपने जन्नत के बाद हिंदी से अधिक तेलुगु फिल्में कीं, क्या वजह रही?
- जिस वक्त 'जन्नत' आई थी, मैं फिल्में करने के मूड में नहीं थी। उस समय मेरी पढ़ाई चल रही थी, इसलिए कुछ दिनों तक फिल्म इंडस्ट्री से दूर रही। पढ़ाई पूरी करने के बाद तेलुगु के साथ हिंदी फिल्में भी की।
जोया के किरदार से हर दिल पर छाने वाली सोनल बॉलीवुड में कब कमबैक कर रही हैं?
- मेरी आने वाली फिल्म जेपी दत्ता की 'पलटन' है। इस फिल्म के साथ ही बॉलीवुड इंडस्ट्री में कमबैक कर रही हूं।
आप बॉलीवुड से अधिक साउथ की फिल्मों में सक्रिय रही हैं। दोनों में क्या अलग दिखता है?
- एक कलाकार के लिए उसका रोल कैसा हो, यह हर इंडस्ट्री के लिए कॉमन होता है। इसलिए मेरे लिए भी रोल ज्यादा महत्वपूर्ण रहा। दोनों इंडस्ट्री में अच्छी फिल्में बनती हैं। बात जहां तक अंतर की है तो वह सिर्फ भाषा का है। शुरुआत में लोगों ने कहा था कि मैं तेलुगु फिल्में नहीं कर पाऊंगी, लेकिन मैंने रिस्क लिया और सफलता पाई। चूंकि मैं यूपी से हूं, इसलिए भी तेलुगु बोलना मुश्किल लग रहा था। पर मैंने मेहनत की।
अगर आप अभिनेत्री नहीं होतीं तो क्या करतीं?
- हंसते हुए...मैं आपलोगों की तरह एक जर्नलिस्ट होती। पत्रकारिता में गहरी रुचि होने के कारण मैंने दिल्ली के गार्गी कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक किया। मैंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी थी। लेकिन, देखिए किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
आप दूसरी बार पटना आईं हैं। पटना की कौन सी खासियत पसंद आती है आपको? कहां घूमना चाहती हैं?
- हां, यह दूसरा मौका है जब मैं पटना आई हूं। लेकिन, कहीं घूम नहीं पाई हूं। पटना को मैंने फिल्मों में ही देखा है। यहां की गलियां मुझे अपनी ओर खींचती हैं। इसका असली चार्म तो इन तमाम गलियों में छोटे-छोटे मंदिरों के एरियल व्यू में है, जो मैं देखती आ रही हूं। मेरी दिली इच्छा है कि गुरुद्वारा जाऊं पर पिछली बार भी समय कम होने के कारण नहीं घूम पाई थी। इस बार कोशिश रहेगी।
बिहार की छवि बॉलीवुड को फिल्मों में काफी गलत दिखाई गई है, आप क्या सोचती हैं?
- मैं यूपी के बुलंदशहर से हूं। बॉलीवुड में बिहार और यूपी को एक साथ गलत छवि में पेश किया जाता रहा है। मैं खुद से कहीं की छवि नहीं बनाती हूं, इसलिए फिल्मों से भी प्रेरित नहीं हुई। पटना के लोग हमारी यूपी की तरह बहुत प्यारे हैं। बॉलीवुड ने बिहार और यूपी दोनों का स्टीरियोटाइप इम्प्रेशन बना कर रखा है जो सही नहीं है।
आप किस तरह की फिल्में में काम करना चाहती हैं?
- मैं किसी एक रोल में बंधकर नहीं रहना चाहती हूं। अलग अलग जॉनर और किरदार की भूमिका निभाना चाहती हूं। मैं एक्शन भी करना चाहती हूं और कॉमेडी में भी हाथ आजमाना चाहती हूं। मेरा ड्रीम रोल अनारकली का किरदार है।
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