साढ़े चार लाख लोगों को लगाया तीन करोड़ रुपए का चूना, बिहार के परिवहन विभाग ने किया है ये कारनामा
बिहार सरकार के परिवहन विभाग ने अपने साफ्टवेयर में गलत इंट्री के जरिये लाइसेंस शुल्क के नाम पर बिहार के चार लाख 63 हजार 737 लोगों से अधिक रुपयों की वसूली कर ली। इन लोगों से विभाग ने 2.95 यानी करीब तीन करोड़ रुपए अधिक वसूले हैं।
पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार सरकार के परिवहन विभाग ने अपने साफ्टवेयर में गलत इंट्री के जरिये लाइसेंस शुल्क के नाम पर बिहार के चार लाख 63 हजार 737 लोगों से अधिक रुपयों की वसूली कर ली। इन लोगों से विभाग ने 2.95 यानी करीब तीन करोड़ रुपए अधिक वसूले हैं। यह दावा किसी और ने नहीं, बल्कि महालेखा नियंत्रक (कैग) ने किया है। कैग की रिपोर्ट के अनुसार, परिवहन विभाग की लेखा परीक्षा परिणाम के बाद 281.13 करोड़ रुपये की अनियमितता पाई गई। इसमें करों व सड़क सुरक्षा उपकरों को नहीं लगाना, कम वसूली, परिवहन वाहनों से उदग्रहणीय कर नहीं वसूल किया जाना आदि अनियमितता शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार, कैग ने अप्रैल 2018 से अप्रैल 2020 के दौरान 43 मामलों में 5.65 करोड़ के कम आरोपण, कम वसूली एवं अन्य कमियों को स्वीकार किया। यह सभी मामले वर्ष 2018-19 से पहले इंगित किए गए थे। 2018-19 के मामलों और पहले के वर्षों के शेष मामलों के जवाब अप्राप्त थे।
सारथी साफ्टवेयर के कारण लाइसेंस शुल्क की अधिक वसूली
कैग की जांच में जिला परिवहन कार्यालयों में सारथी साफ्टवेयर में गलत परिमापन के कारण लाइसेंस शुल्क की अधिक वसूली का मामला प्रकाश में आया है। अक्टूबर 2017 से मार्च 2019 की अवधि में 600 रुपये की निर्धारित दर के स्थान पर 700 रुपये की वसूली की गई। इस दौरान एक लाख 82 हजार 319 आवेदकों से 1.82 करोड़ रुपये की अधिक शुल्क की वसूली गई। इसी तरह प्रशिक्षु लाइसेंस शुल्क की जांच में पाया गया कि अक्टूबर 2017 से मार्च 2019 के बीच सौ रुपये के बजाय परीक्षण शुल्क 140 रुपये प्रति प्रशिक्षु लाइसेंस वसूली की गई। इस कारण दो लाख 81 हजार 418 आवेदकों से 1.13 करोड़ के परीक्षण शुल्क की अधिक वसूली हुई।
निजी वाहन मालिकों से अनियमित वसूली
कैग रिपोर्ट के अनुसार, विभाग ने अर्थदंड लगाकर निजी वाहन मालिकों पर अनुचित बोझ डाला। फरवरी 2018 और मार्च 2019 के बीच जिला परिवहन कार्यालयों द्वारा कर के देर से भुगतान के लिए एक लाख 35 हजार 467 वाहनों से 2.83 करोड़ की अर्थदंड की वसूली की गई।
बसों का वर्गीकरण न होने से राजस्व का नुकसान
कैग की रिपोर्ट में बताया गया कि कंपनी निर्मित बसों का वर्गीकरण नहीं होने के कारण बैठने की क्षमता के अनुसार बसों को बनाया गया जिससे सरकारी राजस्व का नुकसान हुआ। बसों को सबसे निम्नतम श्रेणी या साधारण श्रेणी के तहत वर्गीकृत किया गया जिससे एक करोड़ आठ लाख रुपये के राजस्व की वसूली प्रभावित हुई।