दर्शन के पहले भगवान भास्कर ने ली व्रतियों की परीक्षा
-लंबे इंतजार के बाद करीब 06.45 बजे बादलों की ओट से बाहर निकले सूर्यदेव। -अगले ही पल कोह
-लंबे इंतजार के बाद करीब 06.45 बजे बादलों की ओट से बाहर निकले सूर्यदेव
-अगले ही पल कोहरे की चादर ने ढंक लिया, फिर व्रतियों को आठ बजे के बाद दिखे सूर्यदेव
-कोहरे के कारण घरों से एक साथ नहीं निकले व्रती, यातायात पुलिस को भी नहीं करनी पड़ी मशक्कत
जागरण संवाददाता, पटना : छठ महापर्व के अंतिम दिन शुक्रवार को उदीयमान सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए छठव्रती उतावले थे, लेकिन भगवान भास्कर ने अपने भक्तों को दर्शन देने के पहले कड़ा इम्तिहान लिया। राजधानी के कलेक्ट्रेट घाट, महेंद्रु घाट, बांस घाट, राजापुर पुल, एलसीटी घाट आदि पर व्रती अर्घ्य देने के लिए सूर्यदेव के दर्शन को उत्साहित थे। लंबे इंतजार के बाद करीब 06.45 बजे बादलों की ओट से सूर्यदेव थोड़ा दिखे, लेकिन अगले ही पल कोहरे की चादर ने उन्हें ढंक लिया। इससे अधिकांश श्रद्धालु दर्शन नहीं प्राप्त कर पाए। फिर बड़ी देर के इंतजार के बाद जब लगभग आठ बजे कोहरा छंटा और भगवान भास्कर की रश्मि जमीं पर उतरीं तो घाटों पर मौजूद हजारों लोगों ने सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित किया।
शुक्रवार को उगते हुए सूर्य को छठव्रतियों ने सवा छह बजे से अर्घ्य प्रदान करना शुरू किया। कोहरे के कारण सूर्य के दर्शन नहीं होने पर सुबह आठ बजे के बाद अधिकांश व्रती अपना धैर्य खोने लगे और अर्घ्य देने का सिलसिला तेज गति से शुरू हो गया। साढ़े आठ बजे तक बड़ी संख्या में लोगों ने सूर्यदेव को दर्शन कर लिया था। अधिकांश व्रतियों को सूर्य का दर्शन मुख्य सड़क पर आने के बाद मिला। गांधी घाट व दीघा घाट के आसपास सूर्य पहले ही दर्शन दे चुके थे। संजय गांधी जैविक उद्यान में भगवान सूर्य ने सुबह 8.30 बजे दर्शन दिया। चिड़ियाघर भी कोहरे की चपेट में था। सुबह 8.30 बजे सूर्य का दर्शन कर लोगों ने अर्घ्य दिया। चिड़ियाघर नौ बजे के बाद व्रतियों से खाली हुआ। सुबह कोहरा ज्यादा रहने से व्रतियों को थोड़ा परेशानी का सामना करना पड़ा। कोहरे के कारण एक साथ व्रती नहीं निकले। इससे जिला प्रशासन और यातायात नियंत्रित करने में लगे पुलिसकर्मियों और पदाधिकारियों को भी परेशानियां नहीं उठानी पड़ी। लोग अपने घरों से धीरे-धीरे निकलते रहे। इस कारण शहर में जाम की स्थिति नहीं उत्पन्न हुई।