पटना के बेउर जेल में वैशाली की महिला के साथ हुआ चमत्कार, अपहरण मामले में चार वर्षों से थी बंद
पटना के बुद्धा कालोनी थाना क्षेत्र में बच्चे के अपहरण का आरोप लगा एक महिला की लोगों ने जमकर पिटाई कर दी थी। घटना 2017 की है। वह महिला तब से बेउर जेल में बंद थी। अस्पताल में उसका इलाज भी कराया गया था।
पटना, जागरण संवाददाता। सूरदास की ये पंक्तियां- जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै, आंधर कों सब कछु दरसाई, बहिरो सुनै, मूक पुनि बोलै, रंक चले सिर छत्र धराई। पटना के बेउर जेल में चरितार्थ हो गई। जेल में बंद एक गूंगी महिला की आवाज लौट आई। इस वर्ष छठ का व्रत करने वाली महिला कहती है कि यह सब छठी मैया की कृपा से संभव हो सका है। दरअसल बच्चे के अपहरण के मामले में बेउर जेल में बंद अर्धविक्षिप्त व गूंगी 35 वर्षीया गायत्री की आवाज लौट आई है। जेल में उसने छठ का व्रत रखा था। पारन के दिन अचानक बोल उठी। अब वह मानसिक रूप से भी स्वस्थ है। जेल प्रशासन की पहल पर रविवार को वह अपने घर लौट गई है। वैशाली जिले के राघोपुर चतुरंग निवासी गायत्री कहती हैं, छठी मइया की कृपा से ही यह संभव हो सका है। वह उस अपराध की सजा काट रही थी, जिसे उसने किया ही नहीं था।
चार वर्षों से बेउर जेल में बंद थी गायत्री
काराधीक्षक जितेंद्र कुमार ने बताया कि छह अगस्त 2017 को गायत्री को राजधानी के बुद्धाकालोनी थाना क्षेत्र से बच्चे के अपहरण के मामले में जेल भेजा गया था। स्थानीय लोगों की पिटाई से उसकी आवाज व याददाश्त चली गई थी। जेल अस्पताल में ही गायत्री का इलाज चल रहा था। छठ पूजा में अन्य कैदियों के साथ उसने भी व्रत रखा था। पारन के दिन अचानक वह कुछ-कुछ बोलने लगी। धीरे-धीरे वह अपना नाम व पता भी बताने लगी। कारा प्रशासन की ओर से उसके बताए पते की जांच कराई गई। उसके बताए पता पर जाने पर उसकी चाची मिली। उसने बताया कि गायत्री मां के साथ गंगा स्नान करने गई थी और गुम हो गई। इस दौरान किन कारणों से वह अर्धविक्षिप्त हुई इसकी जानकारी नहीं मिली। इधर, बेटी के गुम होने का सदमा उसकी मां सह नहीं सकी और कुछ दिनों के बाद ही दुनिया से चल बसी। उसका भाई भी पूरी तरह से विक्षिप्त हो गया और इधर-उधर भटक रहा है। अब गायत्री तो वापस हो गई है पर उसकी मां व भाई उसके पास नहीं है।