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बिहार: इस गोशाला में मिलते हैं GST, नोटबंदी से लेकर आयुष्मान तक... जानिए

बिहार के समस्तीपुर जिले में एक गोशाला है जहां आपको जीएसटी नोटबंदी से लेकर आयुष्मान तक सभी मिल जाएंगे। हैरान मत हों पीएम मोदी से प्रेरणा लेकर यहां के गोपालक ने ये शुरुआत की है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 02:26 PM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 10:56 PM (IST)
बिहार: इस गोशाला में मिलते हैं GST, नोटबंदी से लेकर आयुष्मान तक...  जानिए
बिहार: इस गोशाला में मिलते हैं GST, नोटबंदी से लेकर आयुष्मान तक... जानिए

समस्तीपुर, कुमोद प्रसाद गिरि। बिहार के समस्तीपुर जिले के सरायरंजन में एक गोशाला है। इस गोशाला की हर गायों के अलग-अलग नाम हैं- जीएसटी से लेकर नोटबंदी, आयुष्मान और उज्ज्वला तक। नाम लेकर बुलाने पर ये बड़े प्यार से देखने लगतीं हैं। सरायरंजन प्रखंड के कल्याणपुर निवासी अजीत कुमार झा की यह अनोखी गोशाला क्षेत्र में चर्चा का विषय है। मोदी सरकार की उपलब्धियों से प्रभावित होकर उन्होंने अधिकतर गायों के नाम उनके कार्यों से जुड़े कार्यों व योजनाओं पर रखे हैं। 

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 गोशाला के मालिक 29 वर्षीय अजीत संस्कृत विषय में 2011 में बीए (ऑनर्स) करने के बाद गोपालन से जुड़ गए। सरायरंजन बाजार से दो गाय खरीदा और गोशाला की शुरुआत की। उन दोनों गायों का नाम गांधी और सुरभि रखा। आज इनके गोशाला 17 गायें हैं। इनके नाम उन्होंने जीएसटी, नोटबंदी, आयुष्मान, उज्ज्वला, कैशलेस, आरती, भारती, कपूरचंद और संतोषी सहित अन्य रखे हैं। 

अजीत भारत के महापुरुषों और केंद्र की मोदी सरकार की उपलब्धियों से प्रभावित हैं। वे जिस गाय का नाम लेते हैं, सिर उठाकर उनकी तरफ देखने लगती है। नई गाय का नाम रखने के बाद वे एक सप्ताह तक सुबह-शाम उसके पास जाते हैं। उसकी देखभाल करने के साथ नाम लेकर प्यार से उनके सिर पर हाथ फेरते हैं। धीरे-धीरे वह गाय नाम लेने पर समझ जाती है। 

अजीत बताते हैं कि कॉलेज में अध्ययन के दौरान गोपालन की प्रेरणा मिली। इससे रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ा। प्रतिदिन 160 लीटर दूध का उत्पादन होता है। गाय के गोबर की खाद भी बेचते हैं। महीने में खर्च निकालकर 45 हजार की बचत हो जाती है। परिवार का खर्च आसानी से चल जाता है। चार लोगों को रोजगार भी दिया है। 

कई लोगों ने प्रेरित होकर शुरू किया गोपालन 

इनसे प्रेरणा लेकर क्षेत्र के आधा दर्जन लोग पशुपालन कर रहे हैं। इनमें सरायरंजन के बिपत महतो, कल्याणपुर के राम विनोद झा व अमरकांत झा, शीतलपट्टी के नन्हकी राय और झखरा के नीरज झा व मंगल झा हैं। इन लोगों का कहना है कि पहले रोजगार के लिए भटकते थे, लेकिन अजीत जी के कार्य देख कर गोपालन शुरू किया।

वहीं प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डॉ. पंकज कुमार बताते हैं कि पशु-पक्षी भी प्यार की भाषा समझते हैं। गायें भी ऐसी ही है। वह किसी नाम से बार-बार पुकारे जाने पर निश्चित ही उस पर प्रतिक्रिया देगी। 


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