Move to Jagran APP

रहें सतर्क, राजधानी से एक साल में गायब हुए 994 मासूम- 658 बच्चों का अबतक पता नहीं Patna News

बच्चा चोरी होने की घटना बढ़ती जा रही है। इन दिनों ये आम बात हो गई है। पुलिस तफ्तीश में फाइलों के गुम होने की बात और भी ज्यादा भयावह है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 09:37 AM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 09:37 AM (IST)
रहें सतर्क, राजधानी से एक साल में गायब हुए 994 मासूम- 658 बच्चों का अबतक पता नहीं Patna News
रहें सतर्क, राजधानी से एक साल में गायब हुए 994 मासूम- 658 बच्चों का अबतक पता नहीं Patna News

आशीष शुक्ल, पटना। राजधानी में बच्चों के गुम होने की लंबी फेहरिस्त है। एक दो नहीं यहां जो गया वो आया कहां। अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए पुलिस केस दो दर्ज करती है पर फाइलों के साथ वापसी की उम्मीद भी खत्म हो जाती है।

loksabha election banner

मोकामा की तन्वी दो महीने पहले बुद्धा कॉलोनी में अपने नाना के घर ईद मनाने आई थी। 30 मई की शाम को वह गुस्से में घर से निकली और तब से लापता है। पुलिस ने केस दर्ज किया, एसआइटी गठित हुई। लेकिन, तन्वी कहां गई? उसका सुराग नहीं मिल पाया। राजधानी में तन्वी की तरह कई और बच्चे हैं, जो घर से निकले और गुम हो गए। वर्ष 2018 के जुलाई माह से वर्ष 2019 जुलाई तक के आंकड़ों पर गौर करें तो पटना जिले से 994 बच्चे लापता हुए हैं। काफी प्रयास के बाद पुलिस ने 335 बच्चों को तो बरामद कर लिया, लेकिन 658 बच्चे अब भी लापता हैं। इन बच्चों की वापसी की उम्मीद पुलिस की फाइलों में ही दबी रह गई है।

अधिकारियों की फटकार के बाद सतर्क होती है पुलिस

गुमशुदगी के मामलों में प्रोफाइल और उम्र पूछकर केस दर्ज करने वाली पटना पुलिस ऐसे मामलों की जांच-पड़ताल करना ही मुनासिब नहीं समझ रही है। हद तो यह है कि पुलिस परिजनों से ही 24 घंटे तक खोजबीन करने की सलाह देती है। अगर लड़की की उम्र 15 साल से अधिक बताई जाती है तो कई थानेदार उसे प्रेम-प्रसंग बताकर परिजनों को वापस लौटा देते है। बहुत हुआ तो पुलिस सनहा दर्ज करने के बाद उसे प्राथमिकी में बदल देती है। इसके बाद परिजनों को थानों पर केवल दिलासा मिलती है। जो निराश हो आंसू बहाते लौट जाते हैं और अधिकारियों की चौखट पर पहुंच न्याय की गुहार लगाते हैं, ऐसे परिजनों को सिर्फ आश्वासन का घूंट पिलाकर उन्हें लौटाया जा रहा है।

साक्ष्य होने के बाद भी नहीं होती है पूछताछ

आठ साल की पिंकी कंकड़बाग थाना क्षेत्र के आजाद नगर स्थित अपने नाना के घर से 25 अगस्त से लापता है। घटना के दिन उनका मामला दर्ज नहीं हुआ। बात वरीय अधिकारियों तक पहुंची तो तीन दिन बाद 28 अगस्त को पुलिस ने मामला दर्ज किया। पिंकी को गायब हुए 12 दिन से अधिक हो चुके हैं। नाना को संदेह है कि उनके मोहल्ले के ही एक व्यक्ति ने बुरी नीयत से उसे गायब कर दिया। सीसीटीवी फुटेज में भी पिंकी संबंधित व्यक्ति के घर जाते दिख रही, लेकिन वह वहां से लौटी नहीं। नतीजतन, पिंकी का अब तक सुराग नहीं मिल सका है।

बन गई एसआइटी, लेकिन नहीं मिली तन्वी

मोकामा की तन्वी दो महीने से लापता है। ईद मनाने वह बांस घाट स्थित अपने नाना के घर आई थी। 30 मई की शाम को वह गुस्से में घर से निकल गई। तब से लापता है। मामला थाने पहुंचा तो जांच शुरू हुई। सीसीटीवी कैमरे में उसे आखिरी बार अकेले गांधी मैदान के पास देखा गया। एसएसपी ने जांच के लिए इस मामले में 12 सदस्यीय एसआइटी गठित की। शुरुआत में एसआइटी जांच-पड़ताल कर रही थी। लेकिन, अब जांच सुस्त हो गई है। इसी वजह से अब तक 12 साल की तन्वी का कोई सुराग नहीं मिला है।

बेटे की तलाश में लगा रहे हैं चक्कर

सीतामढ़ी के मढिय़ा के रहने वाले तेज नारायण महतो और उनकी पत्नी पिछले दो साल से अपने बेटे की तलाश में पटना एसएसपी ऑफिस से लेकर कदमकुआं थाने का चक्कर लगा रहे हैं। तेज नारायण का बेटा रविशंकर कुमार 2017 से लापता है। उन्होंने कदमकुआं थाने में केस दर्ज कराया है। आज तक पुलिस उसको तलाश नहीं सकी। बेटा जिंदा है या नहीं, यह भी कोई नहीं जानता। लेकिन दंपती अनवरत पुलिस से गुहार लगा रहे हैं कि पुलिस उनके लापता बेटे के बारे में कुछ तो बोले।

वर्ष 2018

 माह          लापता बच्चे      बरामदगी की संख्या

जुलाई            83                 49

अगस्त            75                39  

सितंबर           81                32

अक्टूबर          71                27

नवंबर            63                20

दिसंबर           79                19

-----------

वर्ष 2019  

माह           लापता बच्चे     बरामदगी की संख्या

जनवरी                 69               24

फरवरी                 56               19

मार्च                   76               17

अप्रैल                  75               25

मई                     97              18

जून                     83               20

जुलाई                   86               27

की जा रही कार्रवाई

एसएसपी गरिमा मलिक कहती हैं कि थानों में गुमशुदगी की शिकायत आते ही केस दर्ज कर जांच शुरू की जाती है। बच्चों की बरामदगी भी होती है। अधिकांश मामलों में विशेष टीम भी गठित की जाती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.