हर दिन कोरोना को चुनौती दे रहे 65 पार के ये डॉक्टर, बस इन बातों का रखना है खयाल
कोरोना संक्रमित को अदृश्य दुश्मन से छुटकारा दिलाने में जुटे डॉक्टर भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। जानें कैसे पटना के दो चिकित्सक गंभीर रोग दिन-ब-दिन मात दे रहे हैं।
पटना, जेएनएन। कोरोना महामारी के खौफ से भी जिंदगी नहीं रुक सकती। थपेड़े खाकर भी इंसान आगे बढऩे के लिए सुरक्षित व सुगम रास्ता निकाल ही लेता है। ऐसी ही मिसाल पेश कर रहे पीएमसीएच के 65 से अधिक उम्र के डॉक्टर। ये हैं पीएमसीएच में माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह और वायरोलॉजी लैब के इंचार्ज डॉ. सच्चिदानंद कुमार। दोनों कोरोना जांच करने के दौरान संक्रमित हुए और स्वस्थ होने के बाद दोबारा दोगुना उत्साह से अपने कार्य में जुट गए।
बीमारियों से क्या डरना
66 वर्षीय डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा, हर सौ साल में कोई न कोई कोरोना जैसी महामारी से सामना होता ही है। हर बार इंसान ने इन पर विजय पाई है। गांव के गांव साफ करने वाले प्लेग व डायरिया जैसे रोगों का आज कोई नामलेवा नहीं है। समय के साथ कोरोना भी सर्दी-खांसी और सामान्य बुखार की तरह हो जाएगा। अब हम कोरोना वायरस को जान चुके हैं। जरूरत है रोग और उसके दुष्प्रभाव के लिए इलाज की सटीक रणनीति तैयार करने की।
इलाज से बेहतर बचाव
65 वर्षीय डॉ. सच्चिदानंद कुमार के अनुसार कोरोना का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं है। ऐसे में बेहतर होगा कि इससे बचाव के जो उपाय हैं, उनका पूरी संजीदगी से अनुपालन किया जाए। डॉक्टर्स भी इन नियमों का सख्ती से पालन कर रहे हैं। हालांकि, कई बार किसी रिश्तेदार या दोस्त से मिलने और बातचीत के दौरान बरती लापरवाही भी संक्रमण फैलाने का बड़ा कारण बन रहा है।
इनका रखें ध्यान
- सबसे जरूरी हर शख्स से कम से कम दो गज की दूरी बनाए रखें।
- मास्क पहने बिना घर से नहीं निकलें।
- अनजान चीजों और सतहों को छूने के बाद हाथ धोएं या सैनिटाइज करें।
ये लापरवाही पड़ती भारी
- बातचीत करते समय शारीरिक दूरी नहीं रखना या मास्क नीचे करना।
- अकेले होने पर मास्क उतार कर बाद में फिर उसे ही पहन लेना।
- साबुन से हाथ-मुंह धोए बिना खाने-पीने से।
- बाजार में जल्दबाजी के कारण भीड़भाड़ वाली जगह में घुसना।