नींबू व संतरे के छिलके से दूर होगी थर्मोकोल की समस्या
पटना। राजधानी के तारामंडल सभागार में आयोजित 28वीं बाल विज्ञान कांग्रेस में राज्य के कोने-कोने से बाल विज्ञानी पहुंचे।
पटना। राजधानी के तारामंडल सभागार में आयोजित 28वीं बाल विज्ञान कांग्रेस में राज्य के कोने-कोने से पहुंचे बाल विज्ञानियों ने आकर्षक व ज्ञानवर्द्धक प्रोजेक्ट प्रस्तुत कर बड़े-बड़े विज्ञानियों को भी चकित कर दिया।
विज्ञान कांग्रेस में पटना के प्रारंभिका स्कूल के सातवीं के छात्र अभिरुख रावत ने नींबू व संतरे के छिलके से एक ऐसा द्रव्य तैयार किया है, जिससे थर्मोकोल की समस्या आसानी से दूर की जा सकती है। अभिरुख ने कहा, नींबू व संतरे के छिलके से किसी भी डिस्टिलेशन प्लांट से डिलेमिनल नामक द्रव को निकाला जा सकता है। उस द्रव को हम थर्मोकोल की प्लेट या कप पर छिड़काव करेंगे तो वह गलना शुरू कर देता है। इससे थर्मोकोल की समस्या आसानी से दूर हो सकती है। वर्तमान में प्लास्टिक के बाद थर्मोकोल की समस्या दिनोंदिन गंभीर हो रही है। पर्यावरण संरक्षण के लिए यह एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। अभिरुख ने बताया कि दो किलो थर्मोकोल प्लेट को गलाने के लिए मात्र 100 एमएल डिलेमनिल की जरूरत होती है। प्रोजेक्ट के गाइड पंकज कुमार ने कहा, इस प्रोजेक्ट से भविष्य की चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट को विज्ञान कांग्रेस में चौथा स्थान मिला है। अन्न सुरक्षा में पारंपरिक तरीके बेहद कारगर :
राजधानी के नोट्रेडेम एकेडमी की छात्रा आद्रिका द्वारा तैयार प्रोजेक्ट में अन्न को बर्बादी से बचाने के तरीके बताए गए हैं। आद्रिका का कहना था कि अधिकांश जिलों में सर्वे करने पर पता चला कि अन्न सुरक्षा के लिए किसान परंपरागत तरीकों का उपयोग करते हैं। उसमें नीम की पत्ती व लाल मिर्च का उपयोग आम बात है। इससे बहुत हद तक अन्न की सुरक्षा भी होती है। लेकिन किसानों के पास अन्न की आर्द्रता खत्म करने को कोई उपाय नहीं हैं। अन्न में विद्यमान आर्द्रता ही नुकसान का बड़ा कारण है। ऐसे में अन्न सुरक्षा के लिए अगर लोग नीम की पत्ती व लाल मिर्च के साथ कैल्शियम ऑक्साइड का उपयोग करें तो अन्न अधिक दिनों तक सुरक्षित रहेगा। तीनों की मात्रा एक समान होनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर अगर पांच-पांच ग्राम नीम की पत्ती, लाल मिर्च व कैल्शियम ऑक्साइड की मात्रा को पुड़िया बनाकर अन्न के साथ रख दिया जाए तो वह सुरक्षित रह सकता है। अन्न की आर्द्रता को अवशोषित करने में कैल्शियम ऑक्साइड मददगार साबित होगा। इस प्रोजेक्ट को विज्ञान कांग्रेस में प्रथम स्थान मिला है। सब्जी वेस्ट, बेस्ट कंपोस्ट :
कांग्रेस में समस्तीपुर डीएवी के छात्र पुष्कर नवीन ने सब्जी के बेकार अवशिष्ट से कम्पोस्ट बनाकर दिखा दिया कि सब्जी का कोई भी हिस्सा बेकार नहीं होता। उसका कहना था कि अक्सर गोभी के फूल का उपयोग लोग खाने के लिए करते हैं। लेकिन बाकी हिस्सा फेंक दिया जाता है। इससे गंदगी पैदा होती है। इस बाकी हिस्से को कम्पोस्ट बनाने में प्रयुक्त किया जा सकता है। अवशिष्ट को ग्राइंडिंग कर केमिकल तैयार किया जा सकता है। उसका उपयोग कम्पोस्ट के साथ दवा के रूप में भी हो सकता है। अगर उस केमिकल का उपयोग तालाबों में किया जाए तो उससे मछली की तेज वृद्धि होगी। गोभी के अवशिष्ट में अमोनिया सहित कई रसायन मौजूद रहते हैं। उसका उपयोग धान के खेतों में भी हो सकता है।