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पटना में किडनी ट्रांसप्‍लांट करानेवाले 24 मरीजों ने ऐसे दी कोविड को मात, डॉक्‍टरों ने भी टेलिमेडिसीन से दिया साथ

पटना के आइजीआइएमएस में 74 का किडनी ट्रांसप्‍लांट हो चुका है। कोविड की दूसरी लहर में इन्‍हें सर्विलांस पर रखा गया। इनमें से 24 लोग कोरोना संक्रमित हुए थे । आधा दर्जन मरीजों को अस्‍पताल में भर्ती होना पड़ा। शेष होम आइसोलेशन में ही डॉक्टरी सलाह लेकर चंगे हुए ।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Sun, 23 May 2021 07:52 AM (IST)Updated: Sun, 23 May 2021 07:52 AM (IST)
पटना में किडनी ट्रांसप्‍लांट करानेवाले 24 मरीजों ने ऐसे दी कोविड को मात, डॉक्‍टरों ने भी टेलिमेडिसीन से दिया साथ
कोविड को हराने के लिए मास्‍क जरूरी, सांकेतिक तस्‍वीर ।

पटना, नलिनी रंजन। हौसले और हिम्मत की बदौलत किडनी प्रत्यारोपण करा चुके 24 कोरोना संक्रमितों में अठारह लोग टेलीमेडिसीन के सहारे डॉक्टरों के राय-मशविरे से होम आइसोलेशन में ही स्वस्थ्य हो गए। छह मरीजों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, परंतु वे वहां भी कोरोना से भयभीत नहीं हुए। सभी अब घर में स्वजनों के साथ बचाव के तरीके अपनाते हुए सामान्य जीवन जी रहे हैं। यह संजीवनी इन्हें इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) से मिली है।

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आइजीआइएमएस के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. ओम कुमार ने बताया कि अब तक संस्थान में 74 मरीजों का किडनी प्रत्यारोपण किया जा चुका है। कोरोना की पहली व दूसरी लहर के दौरान इनमें से 24 लोग संक्रमण के शिकार हुए। हिम्मत और हौसले के कारण सभी स्वस्थ्य  हैं।

अंतरराष्ट्रीय जर्नल ने प्रोटोकॉल को सराहा :

आइजीआइएमएस में किडनी प्रत्यारोपण कराने वाले मरीजों मरीजों की उपचार विधि व प्रोटोकॉल की अंतरराष्ट्रीय जर्नल सऊदी जर्नल ऑफ किडनी डीजीज एंड ट्रांसप्लांटेशन ने सराहना की है। आइजीआइएमएस के एडीशनल प्रो. डॉ. अमरेश कृष्णा व डॉ. प्रीतपाल ने पेपर तैयार कर अंतराष्ट्रीय जर्नल को भेजा था। प्रकाशन के लिए स्वीकार करते हुए पूरे प्रोटोकॉल को सराहा गया है।

मेडिकल सर्विलांस पर मरीज :

संस्थान के सभी किडनी प्रत्यारोपण वाले मरीजों को सर्विलांस पर रखा गया है। सभी फोन के माध्यम से संस्थान से जुड़े हैं। सभी ने आरंभ में ही बीमारी की बात बताई। इसके बाद जांच कराकर उपचार किया गया। सभी ने कोरोना का डट कर मुकाबला किया और सभी मरीज स्वस्थ्य है। डॉ. अमरेश कृष्णा ने बताया कि किडनी प्रत्यारोपण कराने वाले मरीजों में कोविड होने पर पूर्व से चलने वाली दवाओं का डोज कम कर दिया जाता है। इससे कोविड के इंफेक्शन को नियंत्रण करने में सहायता मिलती है।

दो-दो बार कोरोना को हराया :

मुजफ्फरपुर के दामोदरपुर निवासी 34 वर्षीय कर्पूरी ठाकुर ने बताया कि किडनी प्रत्यारोपण 2018 में आइजीआइएमएस में हुआ था। वह सैलून चलाता है। उसे पहली लहर के कोरोना संक्रमण ने चपेट में लिया था। तुरंत इसकी जानकारी डॉ. अमरेश कृष्णा को दी। उन्होंने दवा कम करने व जांच की सलाह दी। कुछ दिनों तक बुखार के साथ कुछ परेशानी हुई। इसके बाद भर्ती हुआ। लेकिन, 23 दिन उपचार के बाद घर लौट गया। इसी अप्रैल में वह दोबारा संक्रमण के शिकार हो गए। डॉक्टर की निगरानी में घर में ही उपचार चला, अब पूरी तरह ठीक हैं। मुजफ्फरपुर निवासी 30 वर्षीय राज कुमार का गुर्दा प्रत्यारोपण 2018 में हुआ था। इसी मई के आरंभ में ही उसे कोरोना ने चपेट में ले लिया। डॉक्टरी सलाह से वे अब ठीक हैं। पटना के बख्तियारपुर निवासी 24 वर्षीय दीपक कुमार का प्रत्यारोपण इसी साल मार्च में हुआ। अप्रैल में संक्रमित हो गए। डॉक्टरी सलाह पर इन्होंने भी घर में ही कोरोना को हरा दिया।


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