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बिहार का मेरिट घोटाला आपको याद है? पुरानी126 डिग्रियां फिर से जांच के घेरे में

बिहार बोर्ड की अब पुरानी 126 डिग्रियां फिर से संदेहास्पद बतायी जा रही हैं। इन डिग्रियों पर झारखंड एवं पश्चिम बंगाल सरकार और डाक विभाग में 126 कर्मचारी कार्यरत हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 05:03 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 10:22 PM (IST)
बिहार का मेरिट घोटाला आपको याद है? पुरानी126 डिग्रियां फिर से जांच के घेरे में
बिहार का मेरिट घोटाला आपको याद है? पुरानी126 डिग्रियां फिर से जांच के घेरे में

पटना [दीनानाथ साहनी]। कुछ वर्ष पहले बिहार में मेरिट घोटाला सामने आने के बाद अब संदेहास्पद सर्टिफिकेट की पोल खुल रही हैं। लपेट में झारखंड एवं पश्चिम बंगाल के विभिन्न विभागों समेत भारतीय डाक सेवा में नौकरी कर रहे 126 कर्मचारी हैं। ऐसे लोगों के सर्टिफिकेट को संदेहास्पद पाया गया है।

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दोनों प्रदेश की सरकारें संबंधित प्रमाणपत्रों की जांच हेतु बिहार सरकार से अनुरोध किया है। संदेह के घेरे में वे सर्टिफिकेट हैं जो भंग हो चुके बिहार इंटरमीडिएट एजुकेशन काउंसिल (अब बिहार बोर्ड) से जारी किए गए हैं। अब काउंसिल बिहार बोर्ड में मर्ज हो चुका है।

प्रोन्नति-वेतन वृद्धि का लाभ ले कर्मचारी मौज में 

शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार झारख्ंड विधानसभा, बिजली बोर्ड, पश्चिम बंगाल के ईनर्जी कंपनी, शिक्षा विभाग और डाकघरों में वर्ष 1992 से लेकर 2003 के बीच तत्कालीन बिहार इंटरमीडिएट एजुकेशन काउंसिल से निर्गत सर्टिफिकेट की जांच का मामला सामने आया है। संबंधित राज्यों में जिन युवकों एवं युवतियों ने इनके आधार पर नौकरी हासिल की थी, उनमें सभी  प्रोन्नति और वेतन वृद्धि का लाभ लेकर मौज में हैं।

झारखंड का मामला ज्यादा दिलचस्प

मिली जानकारी के मुताबिक नवस्थापित झारखंड विधानसभा में लोगों ने आठवीं पास के प्रमाण पत्र पर चतुर्थ श्रेणी में नौकरी हासिल की थी। मगर कुछ सालों के बाद ऐसे कर्मचारियों ने मैट्रिक ही नहीं, बल्कि इंटरमीडिएट तक के सर्टिफिकेट जमा कर विधानसभा सचिवालय में प्रोन्नति पा ली है।

मई 2003-04 में झारखंड विधानसभा के सचिव ने संदेहास्पद पाये गए सर्टिफिकेट की जांच के लिए बिहार इंटरमीडिएट एजुकेशन काउंसिल से अनुरोध किया था तब इस अनुरोध पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी, लेकिन इस बार मामला झारखंड के अलावा बंगाल तथा भारतीय डाक सेवा से भी जुड़ा है। 

हिंदी विद्यापीठ, देवघर की 23 सर्टिफिकेट संदेहास्पद

झारखंड में स्थित हिंदी विद्यापीठ, देवघर के 23  सर्टिफिकेट भी संदेहास्पद पायी गये। 2000 से पहले यह विद्यापीठ बिहार का ही हिस्सा था। इस विद्यापीठ के प्रमाणपत्रों के आधार पर कार्मिक प्रशासनिक और राजभाषा विभाग में कर्मचारी बहाल  हैं।

शिक्षा विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने इंटर काउंसिल से निर्गत एवं संदेह के लपेटे में आए इन सर्टिफिकेट की जांच में कई दिक्कतें बतायी। कहा कि इंटरमीडिएट काउंसिल के रिकार्ड रूम में ज्यादातर पुराने रिकार्ड उपलब्ध नहीं हैं। 


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