सीताकुंड के जीर्णोद्धार को ग्रामीणों ने उठाया बीड़ा
नवादा। दैनिक जागरण की पहल पर सीतामढ़ी व आसपास के गांव के बुद्धिजीवियों ने सीता कुंड के जी
नवादा। दैनिक जागरण की पहल पर सीतामढ़ी व आसपास के गांव के बुद्धिजीवियों ने सीता कुंड के जीर्णोद्धार के लिये बड़ा संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि सीता कुंड की महता वापस दिलाने के लिये हम बड़ा से बड़ा कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। ग्रामीणों ने प्राथमिक विद्यालय नीमा के शिक्षक मिथिलेश कुमार के नेतृत्व में संकल्प लेते हुये कहा कि हमारा निश्चय ही हमारी सफलता की गारंटी है। एक दिन हम अपनी मंजिल को पाने कामयाब होंगे और दूसरों के लिये भी नजीर बनेंगे। ग्रामीणों ने कहा कि सीताकुंड को इस प्रकार से विकसित किया जायेगा कि सीतामढ़ी आने वाले श्रद्धालु व पर्यटक इस धार्मिक स्थल पर भी आने से अपने आप को न रोक सके। इसके लिये शुक्रवार को दर्जनों की संख्या में ग्रामीणों ने पूरे उत्साह के साथ स्वेच्छा से अपने अपने घरों से कुदाल और फावड़ा लेकर कुंड की साफ सफाई का जिम्मा उठा लिया। बच्चों से लेकर युवाओं व गरीब परिवार के लोगों ने भी सीताकुंड की महता वापस लौटाने के लिये अपने आप को इस अभियान से जोड़ने का आग्रह किया। लोगों ने कहा कि जीर्णोद्धार के लिये मुखिया से लेकर सांसद व जिला के तमात आला अधिकारियों से से सहयोग मांगा जायेगा।
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माता सीता का रहा है इस तालाब से नाता
-किवदंतियों व स्थानीय मान्यताओं व आसपास के भौगोलिक बनावटों के आधार पर लोगों का मानना है कि जगत जननी माता सीता मेसकौर प्रखण्ड के इसी सीतामढ़ी में निर्वासित जीवन व्यतीत किये थे। लोगों के अनुसार धोबी के कहने पर भगवान राम ने माता सीता को जंगल के लिये निर्वासित कर दिया तब माता सीता तमसा नदी व अरण्य वन में वनवास जीवन व्यतीत की थी। वनवास के दिनों में माता सीता सीतामढ़ी में स्थित गुफा में वास करती थी। वे इसी कुंड में अपने दोनों पुत्र लव एवं कुश के कपड़े साफ करती थी। मान्यताओं एवं धार्मिक परम्पराओं के अनुसार विवाहित माताएं पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूरी होने पर सीता कुंड में बच्चों के गेड़तर साफ कर बच्चों के स्वथ्य एवं दीर्घायु जीवन की कामना करती है।
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वर्षों से रहा उपेक्षित
-सीताकुंड प्रशासनिक व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से वर्षों से उपेक्षित रहा है। करीब 10 वर्ष पूर्व कटघरा के ठेकेदारों ने कुंड के चारो पक्की दिवाल के साथ ही एक तरह सीढ़ी का निर्माण पंचायत निधि से कराया था। लेकिन कुछ वर्षों में ही दिवार ध्वस्त हो गया। सीढ़ी भी पूरी तरह से टुट चुकी है। आस पास के लोग अब इस कुंड का इस्तेमाल कुड़ा कचरा फेकने में करने लगे थे। बच्चे इसी में शौच भी कर दिया करते थे। जिससे सीतामढ़ी आने वाले पर्यटक व श्रद्धालु तालाब के पास आ तो जाते थे लेकिन लोगों को कोसते हुये जाते थे। -----------------------
कहते हैं स्थानीय ग्रामीण
- सीता कुंड का महत्व त्रेता युग से है। दैनिक जागरण की पहल से हम लोगों में जागरूकता आयी है। अब इसकी महता वापस लौटाने के लिये पूरा प्रयास होगा।
मिथिलेश कुमार,शिक्षक,प्राथमिक विद्यालय नीमा।
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दैनिक जागरण ने बहुत अच्छी पहल की है। जागरण परिवार की ओर से जो भी कार्य हमें मिलेगा उसे हम सभी पूरा करेंगे।
कृष्णनंदन चौहान,शिक्षक उत्क्रमित मध्य विद्यालय सीतामढ़ी।
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सीता कुंड के विकास एवं सौन्दर्यीकरण में जो भी सहयोग बन सकेगा पूरा करेंगे। सीता कुंड का समुचित विकास हो। यह लोगों की आस्था से जुड़ा है।
मुनेन्द्र कुमार,शिक्षक,मध्य विद्यालय कटघरा।
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-सीता कुंड के विकास से लोगों की जीविका व रोजगार में भी सहयोग मिलेगा। पर्यटकों के आने से स्थानीय लोग कुंड के समीप रोजगार का भी प्रबंध हो जायेगा।
प्रभु यादव,ग्रामीण,मुरहेताचक।
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- कुंड लोगों की आस्था से जुड़ा है। इसका सौन्दर्यीकरण हो,चारो तरफ सीढ़ी का निर्माण हो। तथा कुंड के चारो ओर वृक्षारोपण किया जाय।
श्याम सुन्दर राजवंशी,ग्रामीण,ढोगा विगहा।
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करीब 6-7 वर्ष पूर्व तक कुंड में सालो भर पानी रहता था। कठौतनुमा तालाब के समीप से सालो भर पानी निकलता रहता था। लेकिन अब सुख गया। पानी के श्रोत पुर्नजीवित हो इसकी पहल किया जाय।
सुरेन्द्र राजवंशी,ग्रामीण,नीमा।