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हसनगंज के ग्रामीणों ने रोड नहीं तो वोट नहीं का लगाया बैनर

- हर चुनाव में अपनी अच्छी भागीदारी निभाने वाले हसनगंज गांव के ग्रामीण इस बार नहीं कर रहे च

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 11:02 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 02:29 AM (IST)
हसनगंज के  ग्रामीणों ने रोड नहीं तो वोट नहीं का लगाया बैनर
हसनगंज के ग्रामीणों ने रोड नहीं तो वोट नहीं का लगाया बैनर

- हर चुनाव में अपनी अच्छी भागीदारी निभाने वाले हसनगंज गांव के ग्रामीण इस बार नहीं कर रहे चुनाव पर कोई चर्चा

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फोटो-18

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संसू, पकरीबरावां : वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत पकरीबरावां प्रखंड के हसनगंज गांव के लोग इस चुनाव में वोट बहिष्कार के मूड में हैं। सड़क की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण एकमत होकर सभी प्रत्याशियों को नकारते हुए वोट नहीं देने का मन बना लिया है। सड़क का निर्माण आधा-अधूरा रहने से ग्रामीण खासे नाराज हैं। यहां मतदान 28 अक्टूबर को होना है। चुनाव को लेकर प्रत्याशियों का प्रचार का शोर चल रहा है, परंतु इस गांव में चुनाव की कोई आहट नहीं है। लोग बताते हैं कि हसनगंज गांव के ग्रामीण हर चुनाव में अपनी भागीदारी निभाते थे। प्रतिनिधियों ने बार-बार आश्वासन देकर उन्हें ठगा है। गांव के मुख्य मार्ग पर ही रोड नहीं तो वोट नहीं का बैनर टांग दिया गया है। इसके अलावा गांव में हर चौक-चौराहों पर बैनर लटकाकर वोट का बहिष्कार का एलान कर रखे हैं। ग्रामीणों की मानें तो वर्षों से रोड के लिए वरीय अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक को खराब सड़क से अवगत कराया था। लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में ग्रामीणों को 3 किलोमीटर पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। सड़क की हालत ऐसी है, जहां मोटरसाइकिल चलना भी मुश्किल होता है। हालात यह है कि विषम परिस्थिति में रोगियों को खाट पर लादकर हॉस्पिटल लाया जाता है।

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कहते हैं ग्रामीण

- चुनाव आने पर हर बार प्रत्याशी सड़क बनाने का आश्वासन देकर वोट ले लेते थे। सड़क के अभाव में गांव का विकास रूका हुआ है। गांव के लोगों को सड़क तक जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बीमार को अस्पताल तक ले जाना काफी मुश्किल होता है। फिर हम वोट किस आधार पर दें।

सुरेश यादव। फोटो-22

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-इस बार हम सभी ग्रामीणों ने सड़क के मुद्दे को लेकर वोट बहिष्कार करने का मन बनाया है। हम लोग अपना विरोध जताने के लिए नोटा का भी प्रयोग कर सकते थे, लेकिन इससे हमारी समस्या का समाधान नहीं हो पाएगा। हमारा विचार सरकार तक नहीं पहुंच पाएगा। इसलिए हम सबने यह फैसला लिया है कि जब तक रोड बनाने का निर्णय कोई प्रत्याशी नहीं लेते हैं, तब तक वोट देने के बारे में नहीं सोच सकते।

अरूण यादव। फोटो-21

---------------- - प्रत्याशी हर बार केवल आश्वासन देकर वोट ले लेते हैं, जबकि सड़क की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है। बुढ़ापे में पैदल पकरीबरावां जाना पड़ता है। बहुत तरह की परेशानी होती है। फिर किस आधार पर हम वोट देकर सरकार बनाएं।

अनवरी खातून। फोटो- 20

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सड़क नहीं होने के कारण गांव के बच्चे पढ़ने जाने से कतराते हैं। 3 किलोमीटर चलकर पकरीबरावां जाने-आने से बच्चे थक जाते हैं। बीमार एवं गर्भवती को खाट पर लादकर स्वास्थ्य केंद्र ले जाना पड़ता है। जब लोग परेशानी से जूझ ही रहे हैं तो फिर सरकार चुनने से क्या फायदा ।

खुर्शीदा खातुन। फोटो-19


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