वारिसलीगंज गोशाला के मृत होने से आवारा पशुओं को परेशानी
संसू वारिसलीगंज (नवादा) जिले का एकमात्र गौशाला होने का गौरव प्राप्त वारिसलीगंज क
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संसू, वारिसलीगंज (नवादा) : जिले का एकमात्र गौशाला होने का गौरव प्राप्त वारिसलीगंज का श्री गोशाला प्रबंधन की लापरवाही से जीर्णशीर्ण हो चुका है। जिस कारण बाजार की सड़कों पर घूमने वाले आवारा पशुओं की इस ठंड भारी रात में परेशानी बढ़ गई है। करीब एक दर्जन छोटे बड़े पशु जिसमें अधिकांश गाय शामिल है बाजार की सड़कों समेत देहाती इलाके में दिनरात भ्रमण करते देखा जाता है। इन पशुओं की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। जिस कारण दिनभर तो इधर उधर विचरण करने के बाद ठंड भरी रात में पशु खुले आसमान के नीचे गुजर बसर करता है। इन पशुओं के चारे की कोई व्यवस्था नहीं होती है। ऐसे में सड़कों के किनारे फल सब्जी मंडी में विचरण कर कूड़े कचरे के ढेर में भोजन की तलाश करते हैं। इस दौरान बाजार के घरों से कूड़े में फेंका गया बासी भोजन खाने के चक्कर में कई बार पॉलीथिन के बैग को साथ निगल जाता है। जिससे उसकी असमय मौत हो जाती है। बाजार के लोगों का कहना है कि वारिसलीगंज के गोशाला जब चालू होता था, तब वृद्ध विकलांग जानवरों को लोग वहीं पहुंचा देते थे। जिसके भोजन आदि का प्रबंध गोशाला प्रबंधकारिणी समिति करती थी। लेकिन गोशाला की कुव्यवस्था के कारण दर्जनों पशु शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में आवारा की तरह घूमते मिलते हैं। जो किसानों के खेतों में खड़ी फसलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। हालांकि तीन वर्ष पूर्व तत्कालीन नवादा सांसद सह केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने वारिसलीगंज गोशाला का जीर्णोद्धार कर पुनर्जीवित करते हुए दो दुधारू गाय देने की घोषणा वारिसलीगंज में किया था। जो सिर्फ घोषणा तक ही सिमट कर रह गई है। गोशाला के पदेन अध्यक्ष एसडीएम होते हैं। जिनका भी ध्यान गोशाला के विकास पर नहीं है। गोशाला के सचिव देवकीनंदन कमलिया हैं जो अब वृद्ध हो चुके हैं। बावजूद प्रबंधकारिणी समिति का नए सिरे से गठन नहीं किया जा रहा है। ऐसे में जिले का एकमात्र गोशाला आज अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है।