11 वर्षों बाद भी शिक्षक नियोजन में माफियागिरी जारी
प्रखंड के विभिन्न पंचायत में वर्ष 0
प्रखंड के विभिन्न पंचायत में वर्ष 08 में हुए शिक्षक नियोजन के रिक्त पदों पर 11 वर्ष बाद भी नियोजन का खेल जारी है। माफिया के झांसे में आकर आज भी बेरोजगार नवयुवक ठगे जा रहे हैं। माफिय मोटी रकम लेकर नियोजन पत्र थमा रहे हैं। हाल ही में प्रखंड के सांढ़ पंचायत की प्राथमिक विद्यालय अंगरा में दो शिक्षक सुनील कुमार रंजन और दीपक कुमार दो वर्ष पूर्व की तारीख से योगदान दिया है। प्रधानाध्यापक रविन्द्र कुमार ने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी समेत सभी शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी को इस बाबत जानकारी देते हुए जबरन योगदान कराए जाने की शिकायत की है। इस प्रकरण के बाद सिरदला प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में शिक्षक नियोजन 08 का खेल जारी होने का मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है। हालांकि सिरदला के लिए यह कोई नई बात नहीं रह गई है। फर्जी नियोजन से जुड़े माफिया शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मेल-जोल से ऐसा कर रहे हैं। पंचायत के साथ ही प्रखंड शिक्षकों के नियोजन में भी इसी प्रकार की गड़बड़ी हुई थी। वर्ष 2008 का नियोजन वर्ष 016 में किया गया था। तब रिक्त पद 132 के एवज में 103 शिक्षकों को नियोजन पत्र दिया गया था। जिसमें एक वैसे शिक्षक नियोजित हुए हैं जो वर्ष 08 में इंटर पास भी नहीं थे और न ही उनकी उम्र 18 वर्ष पूरी हुई थी। नियोजन के दौरान रोस्टर में हुए छेड़छाड़ की शिकायत उच्च अधिकारी तक पहुंचने के बाद पटना की टीम ने जांच किया था। वर्ष 2008 में मेधा सूची में 131 अभ्यर्थियों का नाम था। जबकि वर्ष 16 में हुई बहाली की सूची में 241 अभ्यर्थी को सूची में जगह दी गई थी। मामला विवादित होने व कई स्तर से शिकायतों व उच्च न्यायालय के आदेश के बाद प्राथमिक शिक्षा निदेशक एम रामचंद्रन ने सिरदला प्रखंड में द्वितीय चरण के तहत हुए शिक्षक नियोजन 2008 की जांच की थी। तब उन्होंने बताया था कि नियोजन से जुड़े सभी बिदुओं की गहन जांच कर रिपोर्ट उच्च न्यायालय पटना को सौंपी जाएगी। उन्होंने बताया कि आए दिन मीडिया व अन्य श्रोतों से शिक्षकों की बहाली में गड़बड़ी सुर्खियों में थी। नियमानुसार नियोजन अवधिक की समाप्ति के बाद किसी भी प्रकार के नियोजन से पहले विभाग के निदेशक की अनुमति आवश्यक है। लेकिन सिरदला प्रखंड में निर्धारित समय सीमा के बाद जितने भी नियोजन हुए उसकी अनुमति विभाग से नहीं ली गई। स्थानीय अधिकारियों के मेल-जोल के कारण माफिया आज भी रिक्त पदों पर बहाली करा रहे हैं।