बिहार के नवादा कोर्ट में गश खाकर गिर पड़े रिटायर जमादार, गवाही देने के पहले चल बसे
बिहार के नवादा कोर्ट में शुक्रवार को उस समय अफरातफरी मच गई जब एक रिटायर जमादार गवाही देने के लिए पहुंचे और गश खाकर गिर पड़े। अस्पताल ले जान के दौरान ही उनकी मौत हो गई।
पटना, जेएनएन। बिहार के नवादा कोर्ट में शुक्रवार को उस समय अफरातफरी मच गई, जब एक रिटायर जमादार गवाही देने के लिए पहुंचे और वे कोर्ट में गश खाकर गिर पड़े। आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वह बच नहीं सके। रिटायर जमादार विजय बहादुर सिंह यूपी के देवरिया के रहनेवाले थे। वह शराब के एक पुराने मामले में गवाही देने के लिए कोर्ट आए हुए थे। विजय बहादुर सिंह उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला अंतर्गत मैल थाना क्षेत्र के गोरौली गांव के निवासी थे। वे वर्ष 2013 में वारिसलीगंज थाना में जमादार के पद पर पदस्थापित थे।
आनन-फानन में ले जाया गया अस्पताल
बताया जाता है कि जमादार उत्पाद अधिनियम से जुड़े वारिसलीगंज थाना कांड संख्या 261/13 के सूचक थे। मामला वर्तमान में विशेष न्यायाधीश राजेश कुमार सिन्हा के न्यायालय में गवाही हेतु लंबित है। विशेष लोक अभियोजक त्रिवेणी प्रसाद के द्वारा जारी नोटिस के आधार पर गवाही देने के लिए वे कोर्ट पहुंचे थे। विशेष लोक अभियोजक से उनके कार्यालय में मिलकर गवाही देने की बात कही। इसके बाद वे संबंधित कोर्ट पहुंचे। कोर्ट में उस वक्त कार्रवाई नहीं चल रही थी। इस दौरान वे अचानक कोर्ट परिसर में गिरकर बेहोश हो गए। तब अदालत परिसर में रहे पुलिस जवान व अधिवक्ता उन्हें सदर अस्पताल ले गए। जहां चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
औरंगाबाद से हुए थे रिटायर और रहते थे गोरखपुर
बता दें कि वे नवादा जिले से स्थानांतरित होकर औरंगाबाद जिला चले गए थे। वहीं से सेवानिवृत हुए थे। सेवानिवृति के बाद वे यूपी के गोरखपुर में अपना मकान बनाकर रह रहे थे। वहीं डेयरी के कारोबार से जुडे़ थे। निधन की सूचना के बाद एसडीपीओ सदर विजय कुमार झा व नगर थानाध्यक्ष जितेंद्र कुमार सदर अस्पताल पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने उनके परिजनों से बातचीत की और घटना से अवगत कराया। सदर अस्पताल में ही शव का पोस्टमार्टम कराया गया।
अदालत परिसर में नहीं थे कोई चिकित्सक
जमादार विजय बहादुर सिंह को सदर अस्पताल ले जाने में सहयोग करने वाले अधिवक्ता संघ के महासचिव अजीत कुमार ने बताया कि घटना के समय वे न्यायालय कक्ष में ही थे। उन्होंने बताया कि अदालत परिसर में प्राथमिक चिकित्सा हेतु चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी की प्रतिनियुक्ति है। उनके बैठने के लिए कमरा भी आवंटित है, किन्तु कोई भी चिकित्सक व स्थास्थ्यकर्मी अदालत परिसर में ड्यूटी करने नहीं आते हैं। इसके पूर्व अधिवक्ता अरूण कुमार व एक मुकदमे के पक्षकार रामरतन सिंह अदालत परिसर में प्राथमिक उपचार के अभाव में अपना दम तोड़ चुके हैं।
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