Move to Jagran APP

भानेखाप अभ्रक माइंस पर अवैध खनन जारी

रजौली। थाना क्षेत्र के हरदिया पंचायत की भानेखाप पहले नक्सलियों का सेफ जोन था लेकिन अब ऐसी स्थिति माफिया तत्वों के लिए है। बेरोकटोक पेड़ों की कटाई व अवैध माइका खनन हो रहा है। वन विभाग खनन विभाग से लेकर स्थानीय अधिकारी इसपर रोक लगाने में नाकाम हो रहे हैं। माफिया से साठगांठ कर मोटी कमाई का जरिया वन संपदा बना हुआ है। ऐसा आरोप लगातार वहां के ग्रामीण लगाते रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Dec 2021 11:29 PM (IST)Updated: Sun, 26 Dec 2021 11:29 PM (IST)
भानेखाप अभ्रक माइंस पर अवैध खनन जारी
भानेखाप अभ्रक माइंस पर अवैध खनन जारी

रजौली। थाना क्षेत्र के हरदिया पंचायत की भानेखाप पहले नक्सलियों का सेफ जोन था, लेकिन अब ऐसी स्थिति माफिया तत्वों के लिए है। बेरोकटोक पेड़ों की कटाई व अवैध माइका खनन हो रहा है। वन विभाग, खनन विभाग से लेकर स्थानीय अधिकारी इसपर रोक लगाने में नाकाम हो रहे हैं। माफिया से साठगांठ कर मोटी कमाई का जरिया वन संपदा बना हुआ है। ऐसा आरोप लगातार वहां के ग्रामीण लगाते रहे हैं।

loksabha election banner

-------------------

सभी माइंस का संचालन अवैध

- हरदिया पंचायत के वन भूमि में लगभग 20 से 25 छोटे बड़े माइका खदान संचालित हो रहे है। सभी का संचालन अवैध तरीके से हो रहा है। इस काम में हरदिया के छोटे-छोटे दर्जनों लोग शामिल हैं। हालांकि इन माफिया का गाड फादर झारखंड के हैं। माइका खनन क्षेत्र में आधुनिक हथियार बंद लोगों की तैनाती होती है। जिसके कारण वन व खनन विभाग के कर्मियों की हैसियत काम बंद कराने की नहीं रह जाती है।

------

कार्रवाई के पूर्व सूचना हो जाती है लीक

- वन विभाग जब भी छापेमारी करने की कोशिश करती है तो उसे पुलिस या एसटीएफ की सहायता लेनी पड़ती है। उसके बाद भी वन माफिया पर लगाम लगाने में असफल रह जाते हैं। क्योंकि पुलिस बल के साथ भानेखाप जाने के लिए फुलवरिया जलाशय के बगल के रास्ते अथवा झारखंड की ओर से जाना पड़ता है। रास्ता उबड़ खाबड़ व गड्ढों से भरा हुआ है। माफिया के सूचना तंत्र काफी मजबूत है। पुलिस की छापेमारी या अन्य प्रकार की गतिविधि का पता पुलिस मूवमेंट से पहले ही चल जाता है और वे सतर्क होकर कार्य में लगे मशीन व विस्फोटक सामग्री को हटाकर गांव या जंगल में छुपा कर फरार हो जाते हैं। कई बार हुई है हिसक झड़प

भानेखाप माइंस पर अवैध खनन व वर्चस्व को लेकर मारपीट से लेकर हत्या तक हुई है। खनन विभाग, वन विभाग और जिला प्रशासन सबकुछ जानकर भी भानेखाप में हो रहे अवैध खनन पर रोक लगाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। दबंगता देखिए अवैध खनन क्षेत्र में दर्जनों बंदूकधारियों को खड़ा कर रखा गया है। अभ्रक माफिया का सख्त निर्देश है कि कोई भी अंजान व्यक्ति खदान के इर्द-गिर्द दिखे तो उससे सख्ती से निपट लिया जाए। खदान में बड़े-बड़े चट्टानों को तोड़ने के लिए जिलेटीन और डेटोनेटर जैसे विस्फोटकों का प्रयोग करते हैं। यह जिलेटीन और डेटोनेटर झारखंड से अभ्रक माफिया मंगाते हैं। जरुरत पड़ने पर अभ्रक माफिया जिलेटीन ओर डेटोनेटर माओवादी व फीएलएफआइ के सदस्यों को भी उपलब्ध कराते हैं।

बयान

इस संबंध में वनों के क्षेत्रीय पदाधिकारी अखिलेश्वर प्रसाद कहते हैं कि हम लोगों के पास पुलिस बल नहीं है। जिसके कारण अवैध धंधा फल-फूल रहा है। कई बार विभाग को बल की प्राप्ति हेतु लिखा गया। लेकिन नहीं मिलने के कारण जंगलों में छापेमारी करना मुश्किल हो रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.