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सरकार के आदेश नाकाफी, पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे किसान

संसू रोह सरकार द्वारा खेतों में पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके लिए संबंधित पदा

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Dec 2020 11:01 PM (IST)Updated: Wed, 16 Dec 2020 11:01 PM (IST)
सरकार के आदेश नाकाफी, पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे किसान
सरकार के आदेश नाकाफी, पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे किसान

संसू, रोह : सरकार द्वारा खेतों में पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके लिए संबंधित पदाधिकारी व अखबारों के माध्यम से किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है। परंतु प्रखंड मुख्यालय क्षेत्र के कई गांव के किसान सैकड़ों बीघा खेतों में फसल के अवशेष पराली को जलाकर सरकार के आदेश को ठेंगा दिखा रहे हैं। खेतों में पराली जलाने से जहां वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। वहीं भूमि की उर्वरक क्षमता कम हो रही है। खेतों की उर्वरा क्षमता कम न हो इसको ले सरकार के द्वारा फरमान जारी करते हुए पराली जलाने पर रोक लगाई गई। पदाधिकारी के द्वारा सख्त कदम उठाए गए। कृषि विभाग के कर्मियों को जिम्मेवारी दी गई। पराली जलाने वालों को चिन्हित कर कार्रवाई करें। बावजूद प्रखंड क्षेत्र के कई इलाके में पराली जलाई जा रही है। सरकार ने आदेश दिया है कि प्रखंड कृषि पदाधिकारी, कृषि समन्वयक और कृषि सलाहकार को अपने अपने क्षेत्रों में भ्रमण कर खेतों में पराली नहीं जलाने के लिए किसानों को जागरूक करें और कर भी रहे हैं। पराली जलाने वाले किसान की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया है। लेकिन, प्रखंड क्षेत्र में जलाए जा रहे पराली जलाने वाले किसानों पर एक्शन लेना तो दूर कृषि सलाहकार व कृषि समन्वयक क्षेत्र में भ्रमण करना मुनासिब नहीं समझते हैं। हालांकि कृषि विभाग के द्वारा पंचायत स्तर पर किसानों को जागरूक कर पराली जलाने से पर्यावरण व भूमि की उपजाऊ शक्ति को कम होने की जानकारी दी जाती है, लेकिन खेतों में पराली न जलानी पड़े इसके लिए किसानों को उचित संसाधन की व्यवस्था नहीं की जाती। किसान थक हारकर खेतों में पराली जलाने पर मजबूर हो जाते हैं। फसल अवशेष को खेतों से समय से नष्ट नहीं करने पर गेहूं की खेती प्रभावित होने लगती है। बता दें कि गेहूं की अच्छी उपज के लिए 15 दिसम्बर के बीच गेहूं की बुआई करने का उचित समय माना जाता है। नवंबर से धान की कटाई शुरु हो जाती है। धान की उपज का भंडारण कर गेहूं बोआई की तैयारी में शुरू हो जाते हैं। इधर प्रखंड क्षेत्र के किसानों का कहना है कि सरकार रबी व खरीफ दोनों फसलों के अवशेष को जलाने पर रोक लगाने का फरमान तो जारी कर देती है। लेकिन किसान फसल अवशेष को भूमि में खाद के रूप में कैसे परिवर्तन करें, इसके उचित प्रबंध नहीं किए जाते हैं। सरकार के द्वारा कुछ कृषि यंत्रों को खरीदने पर अनुदान देने की बात कही जाती है, लेकिन अनुदान भी दिखावा जैसा हो होता है। किसानों ने बताया कि सरकार पराली को खाद के रूप में परिवर्तन करने के संसाधन का व्यवस्था करे तो कोई किसान खेतों में पराली नहीं जलाएं। कृषि विभाग को चाहिए कि किसानों के प्रति तुगलकी फरमान जारी करने से पहले समुचित संसाधन की व्यवस्था करनी चाहिए। ताकि धान की कटनी खत्म होने के बाद समय से गेहूं की बुआई की जा सके। किसान मनोज कुमार, राजीव कुमार, मिथलेश कुमार, शैलेश वर्मा ने मजदूर की बड़ी समस्या बताई। जिसके कारण मजबूरी में पराली जलानी पड़ती है।

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