गिरिराज सिंह का बड़ा बयान- राहुल गांधी और असदुद्दीन ओवैसी की मानसिकता एक समान
भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी पर तंज करते हुए कहा कि कठुआ मामले में मोमबत्ती जलाने वाले आज मदरसा में हुए दुष्कर्म पर चुप क्यों हैं?
By Ravi RanjanEdited By: Published: Sat, 28 Apr 2018 04:36 PM (IST)Updated: Sat, 28 Apr 2018 10:43 PM (IST)
नवादा [जेएनएन]। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मदरसे में बच्ची के साथ दुष्कर्म मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कठुआ की घटना पर पूरे देश में टी शर्ट पहनकर मोमबत्ती जलाने वाले अब चुप क्यों हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और असदुद्दीन ओवैसी की मानसिकता एक समान है।
अपने संसदीय क्षेत्र नवादा पहुंचे मंत्री ने शनिवार को परिसदन में मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि कठुआ की घटना के बाद कैंडल के साथ प्रदर्शन करने वालों की मोमबत्ती कहां गुम गई है, जब मदरसे में बच्ची के साथ उत्पीडऩ हुआ। ऐसी प्रवृति देश के लिए घातक है। वैसे लोग गलतफहमी में ना रहें कि उनकी जुबान तगड़ी है और दूसरों की कमजोर है।
उन्होंने कहा कि जिन्ना के समर्थक लोगों का मंसूबा कभी पूरा होने वाला नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सीधे निशाने पर लेते हुए मंत्री गिरिराज सिंह ने उनकी तुलना सांसद असदुद्दीन ओवैसी से कर दी। कहा कि दोनों की मानसिकता एक जैसी है। दोनों में राष्ट्रभक्ति नहीं है। राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत के प्रति सम्मान का आभाव दोनों में है। दोनों राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत पर बैठे रह जाते हैं, जो देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। राहुल की मानसिकता में भी वही भाव दिखता है जो ओवैसी के मन में है।
अपने संसदीय क्षेत्र नवादा पहुंचे मंत्री ने शनिवार को परिसदन में मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि कठुआ की घटना के बाद कैंडल के साथ प्रदर्शन करने वालों की मोमबत्ती कहां गुम गई है, जब मदरसे में बच्ची के साथ उत्पीडऩ हुआ। ऐसी प्रवृति देश के लिए घातक है। वैसे लोग गलतफहमी में ना रहें कि उनकी जुबान तगड़ी है और दूसरों की कमजोर है।
उन्होंने कहा कि जिन्ना के समर्थक लोगों का मंसूबा कभी पूरा होने वाला नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सीधे निशाने पर लेते हुए मंत्री गिरिराज सिंह ने उनकी तुलना सांसद असदुद्दीन ओवैसी से कर दी। कहा कि दोनों की मानसिकता एक जैसी है। दोनों में राष्ट्रभक्ति नहीं है। राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत के प्रति सम्मान का आभाव दोनों में है। दोनों राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत पर बैठे रह जाते हैं, जो देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। राहुल की मानसिकता में भी वही भाव दिखता है जो ओवैसी के मन में है।
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