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¨हदी का सम्मान बढा़ने के लिए प्रयत्नशील रहें कर्मी: डीएम

¨हदी दिवस के अवसर पर जिलाधिकारी कौशल कुमार ने कलेक्ट्रेट सभागार में सभी कर्मियों।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 09:34 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 09:34 PM (IST)
¨हदी का सम्मान बढा़ने के लिए प्रयत्नशील रहें कर्मी: डीएम
¨हदी का सम्मान बढा़ने के लिए प्रयत्नशील रहें कर्मी: डीएम

नवादा। ¨हदी दिवस के अवसर पर जिलाधिकारी कौशल कुमार ने कलेक्ट्रेट सभागार में सभी कर्मियों को शपथ दिलाई। उन्होंने प्रतिज्ञा पत्र पढ़ाते हुए सभी सरकारी कर्मियों से कहा कि देश की मातृभाषा का सम्मान बढ़ाने के लिए कर्मी सदैव प्रयत्नशील रहें। ¨हदी में लिखने, पढ़ने व बोलने का काम हो। इस मौके पर विभिन्न विभाग के वरीय पदाधिकारी व सभी शाखाओं के लिपिक व दूसरे कर्मी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम के बाद अनेक कर्मी ¨हदी की समृद्धि को लेकर आपस में चर्चा करते दिखे।

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पैके¨जग

स्वतंत्रता प्राप्ति के बावजूद संघर्ष कर रही ¨हदी : निर्दोष

-¨हदी के जानकार नवादा जिले के युवा साहित्यकार डॉ. गोपाल निर्दाेष ने हिन्दी को लेकर कहा है कि यह भाषा संघर्ष कर रही है। ¨हदी दिवस पर अपने विचार में उन्होंने कहा कि देश की राष्ट्रभाषा के लिए सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है कि ये तुलसी, जायसी, भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, महावीर प्रसाद द्विवेदी, प्रेमचंद आदि के सौजन्य से जहां देश की गुलामी के दिनों में इसने श्रेष्ठता को प्राप्त की। वहीं लगभग 1000 ईस्वी के आसपास अपने अस्तित्व में आई और अत्यल्प समय में ही विकसित एवं विस्तृत हो जानेवाली ¨हदी आज लगभग हजार वर्षों के बाद अपने देश की स्वतंत्रता की प्राप्ति के बावजूद अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। 67 वर्षों से प्रत्येक 14 सितंबर को ¨हदी दिवस मनाना पड़ रहा है। निस्संदेह, यह स्थिति ¨हदी के विद्यार्थियों से लेकर ¨हदी की कमाई खानेवाले विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों एवं अकादमी के आलाधिकारियों के लिए भी आत्म¨चतन करनेवाली बात है।

¨हदी आज जहां हिन्दुस्तान की सीमा से बाहर मॉरीशस, सूरीनाम, डच गुयाना, नेपाल आदि तक में बोली और समझी जाती है। उसी ¨हदी को अपने हिन्दुस्तान में ही जीवित रखने के लिए ¨हदी दिवस मनाने से कहीं अधिक इस राष्ट्रभाषा को सच्चे अर्थों में राजभाषा बनाने की भी जरूरत है।


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