जिलेवासियों को अभी भी है एनएच 31 के फोरलेन का इंतजार
राष्ट्रीय राजमार्ग 31 को अभी भी फोरलेन नहीं किया जा सका है। जिलेवासी आज भी इस मार्ग के उद्धार।
राष्ट्रीय राजमार्ग 31 को अभी भी फोरलेन नहीं किया जा सका है। जिलेवासी आज भी इस मार्ग के उद्धार की बाट जो रहे हैं। तीन राज्यों को जोड़ने वाली यह महत्वपूर्ण पथ है। यह पथ बिहार, असम व झारखंड राज्यों को जोड़ती है। पश्चिम बंगाल जाने के लिए भी लोग इस मार्ग का सहारा लेते हैं। प्रतिदिन हजारों की संख्या में यात्री व मालवाहक वाहन इस पथ से होकर गुजरते हैं। सांसद स्व. भोला सिंह के कार्यकाल में इसे फोरलेन बनाए जाने की स्वीकृति मिली थी। कब बनी थी योजना
- फोरलेन बनाए जाने की योजना वर्ष 2010 में लोकसभा चुनाव के तत्काल बाद बनाई गई थी। इसके लिए सर्वेक्षण का कार्य कराया गया। बिहार व केंद्र में एनडीए की सरकार थी। तब एनएच 31 को फोरलेन बनाने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध कर सड़क को अपने जिम्मे में ले लिया था। पीपीपी मोड़ पर फोरलेन बना था। लोगों को लगा था कि अब झारखंड से असम की दूरी काफी कम समय में पूरी हो सकेगी। इसके साथ ही पथ दुर्घटनाओं में कमी आ सकेगी। लेकिन उनके सपने पर तब विराम लग गया जब बिहार में नीतीश कुमार ने भाजपा से अपना नाता तोड़ लिया। मधुकॉन को मिली थी जिम्मेवारी
- पीपीपी मोड पर पथ निर्माण की जिम्मेवारी मधुकॉन कंपनी को मिली थी। वर्ष 2012 में पथ के किनारे लगे हरे वृक्षों की कटाई भी की गई। बाद में बैंक से ऋण न मिलने का बहाना बनाकर कंपनी ने पथ निर्माण कराने से मना कर दिया। वर्ष 2017 तक यही ड्रामा चलता रहा तथा लोगों को शब्दबाग दिखाया जाता रहा। फिर पथ निर्माण तो दूर मरम्मत तक नहीं कराई जा सकी। हालात यह हुआ कि पथ पर वाहनों का चलना तक मुश्किल हो गया। मधुकॉन के हाथ खींचने के बाद निविदा की प्रक्रिया अपनाई गई, लेकिन किसी ने पथ निर्माण में रुचि नहीं दिखाई। परिणाम हुआ कि राजमार्ग के फोरलेन का सपना टूट गया।
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बदला मन
- इस बीच नीतीश कुमार के पुन: भाजपा के साथ आने के बाद वर्ष 2018 में पुन: राजमार्ग मंत्रालय को वापस कर दिया गया। राजमार्ग ने तत्काल 12 करोड़ रुपये की लागत से पथ की मरम्मत कराई। फिलहाल एकबार पुन: पांच करोड़ करोड़ रूपये की लागत से पथ की मरम्मति मंथर गति से की जा रही है। कहते हैं जिलावासी
- फोरलेन का नहीं होना जिले के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। फोरलेन होने से न केवल पथ दुर्घटना में कमी आएगी, बल्कि पटना व झारखंड कम समय में पहुंचना संभव हो सकेगा।
- गोपाल प्रसाद। फोटो-02 - फोरलेन बनने से वाहन चालकों के साथ सफर करने वालों को समय की बचत होगी। इसके साथ ही पथ जाम का सामना नहीं करना पड़ेगा। आए दिन पथ जाम के कारण परेशानी बढ़ जाती है।
- पप्पू सिंह चंद्रवंशी। फोटो-03
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- फोरलेन बनने से न केवल झारखंड बल्कि असम तक पहुंचना आसान होगा बल्कि व्यापारियों को विशेष लाभ होगा। कम समय में सामानों की आपूर्ति संभव हो सकेगी।
राजेंद्र सिंह। फोटो-04
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- प्रत्याशियों को फोरलेन बनाने की घोषणा को चुनावी घोषणापत्र में शामिल करना चाहिए। जिले के विकास के मुद्दे पर ध्यान देने की जरुरत है। फोरलेन बनना चाहिए।
सूरजदेव सिंह। फोटो-05