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अक्षय नवमी पर श्रद्धालुओं ने की आंवला वृक्ष की पूजा-अर्चना

जागरण संवाददातानवादा जिलेभर में अक्षय नवमी का व्रत-पूजन श्रद्धा-भक्ति के साथ किया गया। पूजन को

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 10:16 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 10:16 PM (IST)
अक्षय नवमी पर श्रद्धालुओं ने की आंवला वृक्ष की पूजा-अर्चना
अक्षय नवमी पर श्रद्धालुओं ने की आंवला वृक्ष की पूजा-अर्चना

जागरण संवाददाता,नवादा: जिलेभर में अक्षय नवमी का व्रत-पूजन श्रद्धा-भक्ति के साथ किया गया। पूजन को लेकर सोमवार की सुबह से आंवला वृक्ष वाले मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़-भाड़ देखी गई। लोगों ने पूरे उत्साह के साथ अक्षय नवमी पर पूजा-अर्चना की। इस व्रत में आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है। पूजन के दौरान महिलाओं ने आंवला वृक्ष की 108 परिक्रमा की। साथ ही लाल रंग का कच्चा धागा बांधा। पूजन के अंत में ब्राह्मणों से अक्षय नवमी की कथा सुनकर श्रद्धालुओं ने अपने पूरे परिवार की मंगल कामना की। और पुण्य लाभ कमाया। पूजन को लेकर नगर के मालागोदाम, रेलवे कॉलोनी शिव मंदिर, मिर्जापुर सूर्यधाम, संकटमोचन मंदिर, न्यू एरिया पुराना शिवाला, हरिश्चंद्र स्टेडियम शिव मंदिर, शोभिया मंदिर समेत अन्य स्थानों पर पूजा-अर्चना की गई। मालगोदाम स्थित शिव मंदिर में पूजा करा रहे ज्योतिषाचार्य सह ब्राह्मण महासभा नवादा के कार्यालय प्रभारी विद्याधर पांडेय ने बताया कि अक्षय नवमी पर भगवान विष्णु की पूजा होती है। पूजन के दौरान श्रद्धालु दान कर पुण्य आदि प्राप्ति करते हैं। उसका कभी भी क्षय नहीं होता है। अक्षय नवमी पर दिया गया दान व तप से भगवान का आर्शीवाद प्राप्त होता है, उसका कभी क्षय नहीं होता है। पूजा के दौरान श्रद्धालु महिलाओं ने भुआ में छुपाकर अपनी श्रद्धा भक्ति व क्षमता के हिसाब से सोना, चांदी, रूपया आदि दान की।

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आंवला वूक्ष की छाया में खाया मिष्ठान

- अक्षय नवमी की व्रत पूरी आस्था व उमंग के साथ किया जाता है। नगर में कई जगहों पर श्रद्धालुओं ने पूजा के बाद आंवला वृक्ष की छाया में बैठकर मिठाई व प्रसाद खाया। ऐसा विधान में कहा गया है कि अक्षय नवमी के लिए आंवला वृक्ष के पास मिष्ठान ग्रहण करना चाहिए। आयुर्वेद में आंवला को शक्तिवर्धक फल माना गया है। इस दौरान शहर के कई स्थानों पर लोग आंवला वृक्ष के समीप मिठाई आदि खाते दिखे।

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अक्षय नवमी पर महिलाओं में दिखा उत्साह

संसू, अकबरपुर ( नवादा ) :प्रखंड के नेमादारगंज ,फतेहपुर ,माखर, पचरुखी ,बसकंडा, बुधुआ, अकबरपुर , समेत ग्रामीण इलाकों में सोमवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी को अक्षय नवमी श्रद्धा एवं आस्था से धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर सफाई कर महिलाओं ने भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी का प्रतीक मान आंवला वृक्ष की पूजा की। महिलाओं ने आंवला पेड़ की जड़ में पीला कपड़ा अथवा रक्षा सूत्र बांध कर अपने परिवार के सुखमय जीवन एवं अक्षय फल की कामना की।

इस अवसर पर आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बना सपरिवार, इष्ट मित्रों एवं संबंधियों के साथ ग्रहण किया।

कई स्थानों पर पूजा-हवन किया गया। शशीकांत पांडे एवं मुन्ना पांडे ने अक्षय नवमी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जो व्यक्ति अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष के नीचे बैठ जप-तप, पूजा पाठ एवं दान करता है, उसे अक्षय फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि कार्तिक मास भगवान विष्णु को प्रिय मास है। मान्यता है कि उस मास में 33 करोड़ देवता मनुष्य के सन्निकट हो जाते हैं।

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पिकनिक जैसा रहा माहौल

अक्षय नवमी के दिन आंवला के वृक्षों के आसपास पिकनिक जैसा माहौल रहा। लोगों ने खाना बनाकर ईष्टमित्रों के साथ उसे ग्रहण किया। बच्चे आसपास खेलते रहे।

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श्रद्धा भाव से मनाया अक्षय नवमीं का त्योहार

संसू, हिसुआ : अक्षय नवमीं के का त्योहार श्रद्धालु भक्तों ने श्रद्धा पूर्वक मनाया तथा आंवला वृक्ष के समीप भुआ ( कुष्मांड ) दान किया। भुआ के अंदर सोना-चांदी या कोई अन्य रत्न डालकर गुप्त रूप से दान किया जाता है। अक्षय नवमीं भगवान विष्णु का सबसे प्रिय दिन है । इस दिन जो भी श्रद्धालु आंवला वृक्ष के समीप खाना बना , भुआ दान के बाद भोजन ग्रहण करते हैं, उस परिवार के ऊपर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। भुआ दान के बाद अक्षय नवमीं कथा सुनने वाले भक्त के ऊपर भगवान की विशेष कृपा होती है।

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महिलाओं ने की आंवला वृक्ष की पूजा

संसू,नारदीगंज : प्रखंड के विभिन्न गांवों में महिलाओं ने अक्षय नवमी का व्रत श्रद्धा उल्लास से मनाया। इस अवसर पर नारदीगंज, कहुआरा, ओडों, बस्ती बिगहा,नंदपुर,हंडिया,रामे,कोशला,कहुआरा,मसौढ़ा समेत अन्य गांवों में अक्षय नवमीं का व्रत किया। इस अवसर पर महिलाएं ने आंवला वृक्ष के निकट कुष्मांड में पंचरत्न,सोना,चांदी,रूपया आदि रखकर गुप्त दान किया। मौके पर आंवला वृक्ष की 108 बार कच्चे धागे से परिक्रमा की,उसके उपरांत अक्षत,पुष्प,चंदन समेत विभिन्न प्रकार के मौसमी फल आदि से पूजा अर्चना की। साथ ही साथ भगवान विष्णु आराधना कर आंवला वृक्ष के निकट खीर,पूड़ी,सब्जी समेत विभिन्न प्रकार का व्यंजन को बनाकर भगवान को भोग अर्पण कर ब्राह्मणों को भोजन कराया,उसके बाद खाने खिलाने का दौर देर रात तक चलता रहा। इस अवसर पर महिलाएं ने अखंड सौभाग्य के साथ परिवार में सुख, शांति और समृद्धि की कामना किया। पंडित दिनकर मिश्र का कहना है कि इस दिन आंवला वृक्ष में ब्रहृमा,विष्णु,शिव का वास होता है,इसलिए नवमीं को प्रात:काल उठकर आंवले पेड़ के नीचे सफाई करनी चाहिए। इसकी पूजा,दूध,फूल,धूप से करनी चाहिए। उस वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर ब्राह्मणों को खिलाकर स्वयं ग्रहण करना चाहिए। भोजन करने वक्त अगर आंवला का पता थाली में आकर गिर पड़े,तो अति उत्तम माना जाता है। आंवला वृक्ष का पूजन व कुष्मांड में गुप्त दान करने से सौभाग्यवती महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति कर सुख,समृद्धि व शांति की प्राप्ति करती है।

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अक्षय नवमी पर श्रद्धालुओं ने कुष्मांडा दान कर सुनी कथा

संसू, वारिसलीगंज : अक्षय नवमी के अवसर सोमवार को वारिसलीगंज प्रखंड के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने आंवला बृक्ष के नीचे कूष्मांडा दान ( भुआ दान) की कथा श्रवण कर ब्राह्मणों को दान पुण्य बाद भोजन के रूप में स्वादिष्ट व्यंजन बनाया जिसे खुद खाया और अपने इष्ट मित्रों एवं सगे संबंधियों को खिलाया। इस दौरान प्रखंड के विभिन्न स्थानों पर आंवला पेड़ के नजदीक भूआ दान की कथा सुनी। मौके पर वारिसलीगंज बाजार के शान्तिपुरम सूर्य मंदिर तालाब के पास स्थित आंवला बृक्ष के पास नगर पंचायत के माफी, सिमरी के अलावे मकनपुर, खानापुर, चैनपुरा आदि गांवो की बड़ी संख्या में पहुंची महिलाओं ने भुआ दान की। मौके पर मेला से न•ारा देखा गया। हलांकि कोरोना के भय से पिछले बर्ष की अपेक्षा भीड़ थोड़ी कम थी। मकनपुर ग्रामीण ब्राह्मणों यथा साकेत पांडेय तथा प्रमोद झा के अनुसार जो व्यक्ति अक्षय नवमी को आंवला वृक्ष के नीचे भुआ दान कर यानि भुआ में सुराग बनाकर उसमें कुछ सोना चांदी को गुप्त दान कर कथा सुनती है। उस व्यक्ति को अमरत्व की प्राप्ति होती है। शांतिपुरम सूर्य मंदिर परिसर में लगे आंवला पेड़ के समीप सुबह से देर शाम तक पूजा अर्चना के बाद वृक्ष के नीचे भोजन करने का दौर चलता रहा। मौके पर ब्राह्मणों ने उपस्थित महिला पुरुषों को अक्षय नवमी के दिन दान पुण्य करने के साथ आंवला पेड़ की महत्ता के बारे में विस्तार पूर्वक कथा सुनी।


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