Move to Jagran APP

अक्षय नवमी पर आंवला पेड़ की पूजा कर श्रद्धालुओं ने किया भुआ दान

अक्षय नवमी के पावन अवसर पर शुक्रवार को श्रद्धालुओं ने आंवला पेड़ की पूजा अर्चना कर भुआ।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 01:53 AM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 01:53 AM (IST)
अक्षय नवमी पर आंवला पेड़ की पूजा कर श्रद्धालुओं ने किया भुआ दान
अक्षय नवमी पर आंवला पेड़ की पूजा कर श्रद्धालुओं ने किया भुआ दान

अक्षय नवमी के पावन अवसर पर शुक्रवार को श्रद्धालुओं ने आंवला पेड़ की पूजा अर्चना कर भुआ(कुष्मांड) दान किया। नवादा नगर समेत गांव-देहातों में अक्षय नवमी पूजा को लेकर हर्षोल्लास का माहौल रहा। शोभिया मंदिर समेत अनेक जगहों पर श्रद्धालुओं ने पूजा की। पूजन क्रम में भुआ में छेद कर श्रद्धालुओं ने स्वर्ण, चांदी व रुपये डालकर गुप्तदान पूजन किया। इसके उपरांत उस भुआ को ब्राह्मण को दान कर दिया। उपवास रहकर महिला श्रद्धालुओं ने इस व्रत को किया। मंदिर परिसर में रहे आंवला पेड़ के समीप पहुंचकर पूजन किया गया। इसे लेकर सुबह में सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ दिखी। पंडितों ने सभी जगहों पर वैदिक मंत्रों से पूजन में संकल्प कराया। इसके बाद महिलाओं ने पूजन के क्रम में पारंपरिक रूप से आंवला पेड़ में लाल सूत बांधे। पूजन के आखिरी में भगवान विष्णु की परालौकिक कथा भी सुनी गई।

loksabha election banner

-----------------

भुआ में गुप्त दान करने से अर्जित पुण्य का नहीं होता कभी क्षय

-अक्षय नवमी का पूजन आंवला पेड़ के नीचे किया जाता है। यह पूजन भगवान विष्णु को समर्पित है। पूजन कथा के बारे में पंडित दिव्यांशु पाठक ने बताया कि प्राणी अपने पूर्व जन्म में जो भी पाप करता है वह भी इस पूजन से समाप्त हो जाता है। साथ ही गुप्त दान करने से जो पुण्य की प्राप्ति होती है उसका पूरे जीवन में कभी क्षय नहीं होता। अंत में प्राणी भगवान के सुखधाम को प्राप्त करता है। प्रणियों का भगवान के विराट स्वरूप के दर्शन का अवसर भी प्राप्त होता है।

-----------

श्रद्धालुओें ने आंवला पेड़ के नीचे खाया मिष्ठान-खिचड़ी

अक्षय नवमी के अवसर पर आंवला पेड़ के नीचे पूजन के बाद मिष्ठान, खिचड़ी व सात्विक भोजन करने का नियम है। शुक्रवार को अनेक जगहों पर पूजन के बाद श्रद्धालुओं ने पूरे परिवार व ईष्ट मित्रों के संग पारंपरिक तरीके से भोजन किया। अनेक श्रद्धालुओं ने खिचड़ी खाई तो कईयों ने छठ का बचा हुआ ठेंकुआ प्रसाद ले जाकर आंवला पेड़ के समीप खाया। इस दिन पूजन के उपरांत आंवला खाने का भी नियम है। लिहाजा, अनेक श्रद्धालुओं ने आंवला अथवा उसका पत्ता भी खाया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.