बंधुआ मजदूर निगरानी समिति की बैठक, एसडीओ ने दिए कई निर्देश
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गुरुवार को अनुमंडल स्तरीय बंधुआ मजदूर उन्मूलन अधिनियम 1976 के तहत गठित निगरानी समिति की बैठक अनुमंडल सभागार में हुई। अध्यक्षता एसडीओ चंद्रशेखर आजाद ने की। बैठक में बंधुआ मजदूरों को चिन्हित कर उनके पुनर्वास के लिए प्रत्येक 3 महीना में समिति की बैठक करने का निर्णय लिया गया।
एसडीओ ने बंधुआ मजदूर का विश्लेषण करते हुए बताया कि वह व्यक्ति जो लिए हुए ऋण को चुकाने के बदले ऋण दाता के लिए श्रम करता है, या सेवाएं देता है, बंधुआ मजदूर कहलाता है। इन्हें अनुबंध श्रमिक या बंधक मजदूर भी कह सकते हैं। कभी-कभी बंधुआ मजदूरी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलती रहती है। यह पुराने जमाने में सेठ साहूकारों के यहां ज्यादा होता था। क्योंकि ये लोग सूद पर लिए गए रुपये के बदले कहीं ज्यादा ब्याज लेकर उन्हें इस काम के लिए बाधित करते थे। उन्होंने कहा कि रजौली आर्थिक व सामाजिक रूप से पिछड़ा है। बंधुआ मजदूर निगरानी समिति के सदस्यों को बंधुआ मजदूरी निवारण से संबंधित कानून की जानकारी देते हुए जागरूकता पर विशेष बल दिया। अधिनियम 1976 के 13 के प्रावधानों का विवरण किया। आर्टिकल्स 9 के तहत जुर्माने व फाइन एवं 16 में बंधुआ मजदूर बनाने पर 20 हजार जुर्माने व 3 साल की सजा का प्रावधान है। अधिनियम 21, 23 एवं 24 के कई कानूनी धारा की जानकरी उपस्थित निगरानी समिति सदस्यों को दी।
बंधुआ श्रमिक के तीन कैटेगरी की चर्चा करते हुए बताया कि पहला पुरुष बंधुआ श्रमिक जिसे एक लाख मुआवजे के तौर पर दी जाती है, दूसरा अनाथ बच्चे व महिलाएं को दो लाख दी जाती है। जिसमें से 75 हजार की राशि तत्काल मिलती हैं, बाकी की राशि उनके खाते में दी जाती है। वहीं तीसरी कैटेगरी गंभीर बीमारी से ग्रसित या वेश्यावृति से मुक्त कराए गए महिलाओं को तीन लाख रुपये दी जाती है। जिसमें एक लाख तत्काल मिलता है एवं दो लाख रुपये उनके नाम से फिक्स किए जाते हैं।
बंधुआ मजदूरों से मुक्त किए गए लोगों के पुनर्वास योजना 2016 के तहत इंदिरा आवास योजना एवं प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास दी जाती है। साथ ही साथ मनरेगा जॉब कार्ड भी खुलवाया जाता है। मजदूर बच्चों को 12 वीं तक कि शिक्षा फ्री दी जाती है। एसडीओ ने उपस्थित निगरानी समिति के सदस्यों से कहा कि अगले बैठक से पूर्व अपने-अपने पंचायतों में लाइसेंसधारी एवं गैर लाइसेंसधारी मजदूर ठीकेदार को चिन्हित कर बताएं। उन्होंने कहा कि यदि बंधुआ मजदूर जैसी शिकायत या सूचना प्राप्त होती है तो इसकी जानकारी उपलब्ध कराएं। जिससे कि उन्हें मुक्त कराने के साथ उनके पुनर्वास हेतु कार्रवाई की जा सके। साथ ही उनके लिए स्वरोजगार हेतु प्रशिक्षण एवं बैंक से ऋृण आदि की व्यवस्था भी की जाएगी। चिन्हित स्थानीय मजदूरों को दलालों द्वारा बाहर ले जाने पर कड़ी नजर रखी जाए और उनके विरुद्ध नियम संगत कानूनी कार्रवाई की जाए। तटवासी समाज के जिला समन्वयक कल्याणी कुमारी ने सदस्यों को संबोधित करते हुए बताया कि हमारे क्षेत्र से दूरदराज पर स्थित भट्ठों पर काम करने को लेकर पहले मजदूरों को दादर के रूप में राशि दी जाती है। उसके बाद उन्हें भट्टे पर ले जाकर साप्ताहिक कुछ राशि दी जाती है, जिससे उनका पेट भी नहीं चल पाता है। वे दादर वसूल करने के चक्कर में बंधुआ मजदूर बनकर रह जाते हैं, ऐसा तहत पकरीवरावां के डुमरावां में दिखा था। बताया कि गत वर्ष केसौरी से बंधुआ मजदूरी में फंसे 125 मजदूरों को छुड़ाया गया था। शहरों के फैक्ट्रियों में बंधुआ मजदूरी सबसे ज्यादा बच्चों से कराया जा रहा है। एक बार जो बच्चे दलालों के चंगुल में फंस जाते हैं। वह वापस नहीं आ पाते हैं, या तो दलाल उनके अंग भंग कर भीख मंगवाने वाले गिरोह वाले कर देते हैं, या फिर उनकी मौत पर किडनी बगैरह बेच देते हैं। ऐसी घटना ना हो इसके लिए दलालों पर निगरानी रखा जाए, जिससे बच्चे को उनके चंगुल में न फंस सकें दी। मौके पर डीसीएलआर विमल कुमार सिंह, दंडाधिकारी अखिलेश्वर शर्मा, लेवर इंस्पेक्टर संतोष कुमार, शांति समिति सदस्य नीरज कुमार सिंह, विनय कुमार सिंह के साथ गठित अनुमंडल स्तरीय निगरानी समिति के सदस्य बाल विकास धारा के शशिकांत मेहता, दरोगी राजवंशी, मुखिया संघ के अध्यक्ष गोकर्ण पासवान, अजय कुमार, लीला कुमारी, अनुराधा देवी, इंद्रदेव मिश्र, सुखदेव प्रसाद के साथ कई लोग उपस्थित थे।