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वारिसलीगंज बाजार के दो क्वारंटाइन सेंटरों में रह रहे हैं 425 प्रवासी मजदूर

वारिसलीगंज नगर पंचायत की दो क्वारंटाइन सेंटरों में एक दर्जन महिलाएं समेत कुल 425 प्रवासी मजूदरों को रखा गया है। सभी की यहां देखभाल की जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 09:37 PM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 09:37 PM (IST)
वारिसलीगंज बाजार के दो क्वारंटाइन सेंटरों में रह रहे हैं 425 प्रवासी मजदूर
वारिसलीगंज बाजार के दो क्वारंटाइन सेंटरों में रह रहे हैं 425 प्रवासी मजदूर

वारिसलीगंज नगर पंचायत की दो क्वारंटाइन सेंटरों में एक दर्जन महिलाएं समेत कुल 425 प्रवासी मजूदरों को रखा गया है। सभी की यहां देखभाल की जा रही है।

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प्रखंड के ग्रामीण इलाकों के हजारों लोग दूसरे राज्यों में रोजी-रोटी के लिए रहते हैं। कुछ युवा परिवार को भी साथ रखते हैं। देशव्यापी लॉकडाउन के कारण कल कारखानों के बंद होने से वे बेरोजगार हो गए हैं। रोजगार चले जाने के कारण महानगरों में भूखे रहने को विवश प्रवासी मजदूर किसी भी तरह घर पहुंचना शुरू कर दिया है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे श्रमिक स्पेशल ट्रेन के अलावे कुछ पैदल, ट्रकों के अलावा अन्य संसाधन से घर पहुंच रहे हैं। बड़ी संख्या में प्रवासियों के लौटने के कारण प्रखंड क्षेत्र में बनाए गए दो क्वारंटाइन में जगह की कमी को देखते हुए पंचायत के स्कूलों को क्वारंटाइन बनाने का निर्देश दिया गया है। एसएन सिन्हा कॉलेज जिसमें पांच सौ बेड व बीके साहू इंटर विद्यालय में डेढ़ सौ बेड का सेंटर बनाया गया है। देशभर के महानगर जहां कोरोना का ज्यादा मरीज है। उसे रेड जोन घोषित किया गया है। कम मरीज वाले क्षेत्र को ऑरेंज व ग्रीन जोन में बांटा गया है। रेड जोन से आने वाले प्रखंड के प्रवासी श्रमिकों को एसएन सिंहा कॉलेज के क्वारंटाइन में रखा जा रहा है। जहां अभी लगभग एक दर्जन महिला के साथ 425 प्रवासी श्रमिक क्वारंटाइन में है। ऑरेंज व ग्रीन जोन से आने वाले नगर क्षेत्र के प्रवासी श्रमिकों को इंटर विद्यालय बीके साहू व नगर क्षेत्र में निवास करने वाले को एसएन सिंहा कॉलेज लाकर जांच उपरांत क्वारंटाइन में सरकार द्वारा उपलब्ध संसाधन यथा जा रहे भोजन के अलावा मास्क, बाल्टी, थाली, गिलास, जग, गंजी,लूंगी, साबुन, शैंपू तेल आदि देकर क्वारंटाइन सेंटर में रखा जा रहा है। जहां क्वारंटाइन अवधि पूरा करने के बाद ही प्रवासी अपने घर जा सकेंगे।

बता दें कि जिलाधिकारी से मिले निर्देश के अनुसार पंचायत स्थित स्कूलों में पंचायत प्रतिनिधि की देखरेख में स्कूल के प्रधानाध्यापक को सेंटर का प्रभारी बनाया गया है। जिनके देखरेख में क्वारंटाइन सेंटर में प्रवासी रह सकेंगे। लेकिन कुछ गांव में तो ग्रामीणों की पहल पर गांव स्थित स्कूल को क्वारंटाइन सेंटर बना दिया गया है। बावजूद अब भी प्रखंड के दर्जनों गांव में क्वारंटाइन सेंटर नहीं होने के कारण बाहर से आ रहे प्रवासी गांव में यूं ही यत्र-तत्र घूम रहे हैं। जिसे देखकर गांव के लोग डरे सहमे हुए हैं।


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