अनुमंडलीय अस्पताल का बो¨रंग सिस्टम फेल, पानी को हाहाकार
नालंदा । बो¨रग सिस्टम के फेल हो जाने से अनुमंडलीय अस्पताल राजगीर में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ
नालंदा । बो¨रग सिस्टम के फेल हो जाने से अनुमंडलीय अस्पताल राजगीर में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। पानी के कारण अनुमंडलीय अस्पताल स्वयं बीमार नजर आ रहा है। जहां स्थापित तीन बो¨रग सिस्टम में दो के फेल होने से अस्पताल में भर्ती मरीजों के अलावा चिकित्सकों तथा अस्पताल कर्मियों को लगभग डेढ़ माह से इस समस्या के कारण फजीहत उठानी पड़ रही है। वहीं मेले के दौरान मरीजों की अधिक संख्या के क्रम में पानी के अभाव में अस्पताल की व्यवस्था बिल्कुल चरमरा सी गई थी। प्रतिदिन लगभग 50 हजार लीटर पानी की आवश्यकता वाले अस्पताल को बूंद बूंद पानी के लाले पड़ चुके हैं। इस जरुरत को पूरा करने वाले अस्पताल परिसर के सभी बो¨रग सिस्टम फेल हो गए हैं। इस समस्या के बाबत अनुमंडलाधिकारी राजगीर को सूचित किया गया है। लगभग डेढ़ माह से अनुमंडलीय अस्पताल राजगीर के पुराने व नये भवन में जलापूर्ति का बाधित होना लापरवाही का द्योतक है। बताया जाता है कि मेले में भर्ती मरीजों तथा उनके परिजनों को पीने, यहां तक की शौच निवृत्ति के लिए बाहर से पानी लाने की नौबत उठानी पड़ चुकी है। यही हाल अस्पताल के चिकित्सकों व कर्मियों का भी है। पूरे अस्पताल में जिसके भी मुंह से सुनिए तो पानी की घोर समस्या ही निकलती है। जिसमें ऑपरेशन थियेटर, शौचालय, प्रसव कक्ष आदि अन्य अस्पताल के अतिव्यस्त चिकित्सा यूनिट में पानी की आवश्यकता में मरीजों का समुचित इलाज बेहद प्रभावित हो रहा है। सबसे अधिक कष्ट का सामना प्रसव कक्ष में भर्ती माताओं को हो रही है। जिन्हें बाहर के दुकानों से बोतल बंद पानी खरीद कर लाना पड़ रहा है। वहीं अस्पताल के हर वार्ड में भर्ती विभिन्न रोगों के मरीजों का भी यही हाल है। अस्पताल कर्मियों ने बताया कि वर्तमान में अस्पताल परिसर के पीएचसी भवन के एकमात्र बो¨रग से जलापूर्ति पुराने व नये भवन में हो पाना बेहद मुश्किल है। ज्ञातव्य हो कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजगीर के महात्वाकांक्षी परियोजनाओं में उक्त अस्पताल का निर्माण भवन निर्माण एजेंसी के द्वारा करवाया गया था। जिसका उद्घाटन उन्होंने 21 जुलाई 2012 को की थी। उनके निर्देशानुसार अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी राजगीर के अनुमंडलीय अस्पताल में अत्याधुनिक आधारभूत संरचना के तहत बुनियादी सुविधाओं में उन्होंने जलापूर्ति पर विशेष ध्यान देने की बात कही थी। उस समय भवन निर्माण एजेंसी द्वारा तीन बो¨रग सिस्टम को नये भवन परिसर में किया गया। मगर इस बुनियादी सुविधा में जलापूर्ति की घोर समस्या ने इस बात की पोल खोल दी है। इस बो¨रग को अस्पताल के नये पुराने दोनों भवनों के जरुरत के हिसाब से प्रतिदिन लगभग 50 हजार लीटर पानी की आवश्यकता को लेकर स्थापित किया गया।
इस क्रम में पुराने भवन के छत पर चार तथा नये भवन के छत पर दो टंकियां क्रमश: दो दो हजार लीटर क्षमता के लगाये गये। अस्पताल कर्मियों के अनुसार प्रतिदिन उक्त टंकियों में जल भंडारण के लिए बो¨रग सिस्टम का परिचालन दिन भर में चार बार किया जाता था। इस क्रम में पिछले छह माह पूर्व पहला बो¨रग सिस्टम डेड हो गया। इस दौरान जलापूर्ति के लिए दूसरे बो¨रग सिस्टम पर भार डाल दिया गया। जिसके कुछ दिनों तक चलने के क्रम में छ: में दो तीन टंकियां भर जाता करती थी। मगर लगभग डेढ़ माह से धीरे-धीरे यह भी फेल होता जा रहा है । अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबंधक को इस बात की कोई ¨चता नहीं कि वैकल्पिक व्यवस्था कर अस्पताल के कम से कम भर्ती मरीजों को पानी की समस्या को कैसे आसान बनाएं। विभागीय पदाधिकारी के रवैये से आहत आम लोगों की मानें तो इनकी अनियमितता से जलापूर्ति की बुनियादी सुविधा डेढ़ माह की समस्या बनकर अपना मुंह चिढ़ा रही है। जिसमें सबसे ज्यादा कठिनाइयों का सामना दूर दूर से आए तीर्थयात्रियों सह मरीजों को करना पड़ा है।
इस बाबत पूछे जाने पर अनुमंडलीय अस्पताल के चिकित्सा उपाधीक्षक डॉ उमेश चंद्र ने बताया कि इसके बारे में सिविल सर्जन नालंदा को सूचित किया जा चुका है। वहीं शीघ्र अस्पताल में विभागीय पेयजलापूर्ति के समायोजन के लिए संपर्क किया गया है। उन्होंने बताया कि इस समस्या से निपटने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के जलापूर्ति के तहत अस्पताल परिसर स्थित पीएचसी के एकमात्र बो¨रग पर पूरा अनुमंडलीय अस्पताल आश्रित है। उन्होंने कहा कि हम अपने स्तर से इस समस्या के समाधान में दिन रात जुटे हैं।