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नालंदा विद्यापीठ के संस्थापक की प्रतिमा का शिलान्यास 15 अगस्त को

नालन्दा मोड़ स्थित नालंदा विद्यापीठ के संस्थापक महान स्वतंत्रता सेनानी सत्यपाल धवले की प्रतिमा का शिलान्यास 15 अगस्त को किया जाएगा। यह निर्णय गुरु पूर्णिमा के दिन नालंदा विद्यापीठ परिसर में स्थानीय समेत अन्य बुद्धिजीवियों की बैठक में लिया गया।बैठक में एक स्वर से बुद्धिजीवियों ने देश के अन्य विद्यापीठो की तरह नालंदा विद्यापीठ का विकास नहीं होने पर चिता जताई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 11:02 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 06:13 AM (IST)
नालंदा विद्यापीठ के संस्थापक की प्रतिमा का शिलान्यास 15 अगस्त को
नालंदा विद्यापीठ के संस्थापक की प्रतिमा का शिलान्यास 15 अगस्त को

संवादसूत्र, नालंदा . नालन्दा मोड़ स्थित नालंदा विद्यापीठ के संस्थापक महान स्वतंत्रता सेनानी सत्यपाल धवले की प्रतिमा का शिलान्यास 15 अगस्त को किया जाएगा। यह निर्णय गुरु पूर्णिमा के दिन नालंदा विद्यापीठ परिसर में स्थानीय समेत अन्य बुद्धिजीवियों की बैठक में लिया गया।बैठक में एक स्वर से बुद्धिजीवियों ने देश के अन्य विद्यापीठों की तरह नालंदा विद्यापीठ का विकास नहीं होने पर चिता जताई। इस अवसर पर

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वक्ताओं ने कहा कि भारत के विभिन्न कोनों में स्थापित जैसे देवघर विद्यापीठ, काशी विद्यापीठ, गुजरात विद्यापीठ, महाराष्ट्र विद्यापीठ आदि संस्थाओं में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की डिग्रियां प्रदान की जा रही है, लेकिन नालंदा विद्यापीठ में केवल प्राथमिक स्तर तक की ही शिक्षा दी जा रही है। बुद्धिजीवियों ने नालंदा विद्यापीठ को ग‌र्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल का दर्जा देने की भी मांग की । राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार ने कहा की उत्तर प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी ने बड़े सपना को लेकर नालंदा में इस विद्यापीठ की स्थापना की थी. लेकिन स्थापना के 87 साल बाद भी इसे मुकाम नहीं मिल सका है। उन्होंने कहा प्रतिमा से प्रेरणा मिलती है। उनके सपनों व विचारों को आत्मसात करने की जरूरत है। इस अवसर पर लोगों ने कहा कि आगामी 15 अगस्त को निर्माणाधीन नालंदा खुला विश्वविद्यालय के भवन का उदघाटन की तिथि प्रस्तावित है। इसी दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से ही स्वतंत्रता सेनानी सत्यपाल धवले की प्रतिमा का शिलान्यास कराने पर सहमति बनी।

मुखिया एवं प्रकृति अध्यक्ष नवेन्दू झा ने कहा कि रविद्र नाथ टैगोर की प्रेरणा से सत्यपाल धवले ने नालंदा विद्यापीठ की स्थापना 1933 में की थी। तब से अब तक इस विद्यापीठ को जितना विकास किया जाना चाहिए था। वैसा कुछ भी नही हुआ। इनकी यादें तक विस्मृत होती जा रही हैं। संस्थापक के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए कम से कम इस विद्यापीठ को सीनियर सेकेंडरी स्कूल का दर्जा मिलना चाहिए। प्रकृति के सचिव राम विलास ने कहा कि सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ेंगे तो सत्यपाल धवले की प्रतिमा तो लगेगी ही साथ ही नालंदा विद्यापीठ को उत्क्रमित कर सेकेंडरी अथवा सीनियर सेकेंडरी का दर्जा भी मिल सकता है। समाजसेवी डॉक्टर गोपाल शरण सिंह ने नालंदा विद्यापीठ की सामाजिक और सरकारी उपेक्षा पर चिता व्यक्त की। नालंदा विद्यापीठ स्थापना के 87 साल बाद भी गुमनाम है। उन्होंने कहा कि नालंदा विद्यापीठ की तस्वीर बदलने के लिए सेनानी धवले की प्रतिमा स्थापित करने के साथ ग‌र्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल का दर्जा दिलाने के लिए बुद्धिजीवियों को आगे आना होगा। बैठक की अध्यक्षता नालंदा विद्यापीठ के हेडमास्टर राजेश प्रसाद ने की। इस अवसर पर डॉक्टर सत्येंद्र कुमार, रामाश्रय प्रसाद, प्रदीप कुमार, मनोज प्रसाद, शिवचरण महतो, विनोद प्रसाद, शिशुपाल शर्मा एवं अन्य ने विचार व्यक्त किया।


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