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प्रसिद्ध कुंडों के धाराओं के संरक्षण के प्रति जिला प्रशासन सजग : डीएम

जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ : राजगीर की धरोहर व प्रसिद्ध सप्तधारा व कुंडों के संरक्षण क

By Edited By: Published: Sat, 30 Apr 2016 08:15 PM (IST)Updated: Sat, 30 Apr 2016 08:15 PM (IST)
प्रसिद्ध कुंडों के धाराओं के संरक्षण के प्रति जिला प्रशासन सजग : डीएम

जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ : राजगीर की धरोहर व प्रसिद्ध सप्तधारा व कुंडों के संरक्षण के प्रति जिला प्रशासन गंभीर है। इसके लिए जिला प्रशासन हर प्रयास कर रहा है। लेकिन प्रकृति की मार के कारण व पिछले दिनों वर्षानुपात कम होने की वजह से पूरे देश सहित जिले का भूगर्भ जलस्तर में काफी गिरावट आ रहा है। इसी के तहत सप्तधारा एवं कुडों में जल प्रवाह कम हो गया है। ये जानकारी शनिवार को डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम ने दी। उन्होंने कहा कि सर्वविदित है कि जिस वर्ष वर्षापात अधिक होता है उस वर्ष इन सप्तधारा व कुंडों में जल का प्रवाह तेज गति से होता है। इन कुंडों के संरक्षण के लिए पिदले दिनों जिला प्रशासन के विशेष अनुरोध पर सरकार ने विशेषज्ञों की टीम भेजा था। उन विशेषज्ञों के सलाह के मुताबिक इसके लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। कुछ लोग आम लोगों के बीच इसके लिए जिला प्रशासन को जवाबदेह ठहराने का बेजा प्रयास कर रहे हैं। लेकिन सभी जानते है कि इसके लिए कहीं से जिला प्रशासन दोषी नहीं है बल्कि जलस्तर में आए दिनों हो रहे गिरावट ही जिम्मेदार है। उन्होंने बताया कि पांडुपोखर में जिस बो¨रग में गर्म पानी आ रहा था उसे पहले ही बंद करा दिया गया था। जो बो¨रग चालू हैं उसमें से किसी में गर्म पानी नहीं आता है। जिला प्रशासन उन बो¨रग को भी जल्द ही बंद करा देगा। इसके लिए पीएचइडी डीपीआर बना लिया है। कुछ समय बाद पांडुपोखर में फल्गु नदी से पानी आने लगेगा। यहां बता दें कि पिछले तीन वर्षों में इस वर्ष आधे से भी कम वर्षपात हो पाया था। जिला कृषि विभाग से मिले आंकड़े के अनुसार वर्ष 2013 में सामान्य से वर्षपात की तुलना में www.28 एमएम बारिश हुआ था। उसके बाद वर्ष 2014 में सामान्य से 10 एमएम कम और वर्ष 2015 में सामान्य से 280 एमएम बारिश कम हुआ था। जिसका सीधा प्रभाव जिले के जलस्तर पर पड़ रहा है। पीएचइडी विभाग की माने तो राजगीर के शहरी क्षेत्र में जलस्तर पिछले वर्ष की तुलना में 06 से 08 फीट के लगभग नीचे चला गया है। यहां बता दें कि जिले के अधिकांश हैण्ड पंप अपेक्षाकृत कम पानी देना शुरू कर दिए हैं। इसका मुख्य वजह है गिरता हुआ जलस्तर व पिछले वर्ष वर्षापात का कम होना है।

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