फर्जी तरीके से वृद्धा पेंशन दिलाने पर वार्ड सदस्य, पत्नी व बेटी पर मुकदमे का आदेश
जिले के प्रथम अपीलीय प्राधिकार ने फर्जीवाड़े के एक रोचक मामले का पटाक्षेप कर दिया। इस मामले ने स्पष्ट कर दिया कि अगर उचित मंच पर शिकायत नहीं की जाए तो बीडीओ स्तर के पदाधिकारी भी कैसे फर्जीवाड़े पर पर्दा डाल देते हैं।
बिहारशरीफ
जिले के प्रथम अपीलीय प्राधिकार ने फर्जीवाड़े के एक रोचक मामले का पटाक्षेप कर दिया। इस मामले ने स्पष्ट कर दिया कि अगर उचित मंच पर शिकायत नहीं की जाए तो बीडीओ स्तर के पदाधिकारी भी कैसे फर्जीवाड़े पर पर्दा डाल देते हैं। मामला एकंगरसराय के वार्ड संख्या 9 के पार्षद कमलेश कुमार से जुड़ा है। एकंगरसराय के सदौली बिगहा गांव उमेश कुमार ने शिकायत की थी कि वार्ड पार्षद ने अपने प्रभाव का बेजा इस्तेमाल करके पत्नी रूबी कुमारी और पुत्री अमीषा पटेल दोनों को वृद्धा पेंशन दिला रहा है। रोचक है कि इस फर्जीवाड़े के लिए उसने पत्नी रूबी की उम्र 63 साल और बेटी अमीषा की उम्र 69 साल दर्शा दी। इस तरह बेटी की उम्र मां से छह साल बड़ी बता दी गई। इस प्रकरण की जांच के बाद प्रथम अपीलीय प्राधिकार ने पाया कि वार्ड पार्षद पत्नी व बेटी के साथ खुद भी वृद्धा पेंशन उठा रहा था। इस संबंध में एकंगरसराय बीडीओ को निर्देश दिया कि वे तीनों फर्जी लाभुकों पर प्राथमिकी दर्ज करें और वृद्धापेंशन के लिए नाम चयनित करने वाले कर्मचारी पर विभागीय कार्रवाई करें। प्राधिकार ने बीडीओ द्वारा वार्ड पार्षद व लाभुकों को क्लीन चिट देने पर भी गहरा असंतोष जताया है। टिप्पणी की है कि उन्होंने जांच रिपोर्ट में सही शिकायत पर पर्दा डालने का प्रयास किया। फैसले की प्रति डीएम को भी दी गई है। ऐसे में बीडीओ पर भी कार्रवाई होनी तय मानी जा रही है।
बता दें कि पहले परिवादी ने एकंगरसराय बीडीओ के पास मामले की शिकायत की थी। उन्होंने लिखित तौर पर फैसला दिया कि शिकायत बेबुनियाद है। परिवादी सुनवाई की पांच तिथियों पर अनुपस्थित रहे। वार्ड पार्षद कमलेश की पत्नी और पुत्री के नाम पर वृद्धा पेंशन नहीं उठाया जा रहा है। उनके आधार कार्ड व पासबुक से भी ऐसा स्पष्ट होता है। अपनी रिपोर्ट की पुष्टि के लिए लाभुकों का शपथ पत्र भी दिया कि उन दोनों ने कभी वृद्धा पेंशन का लाभ नहीं लिया है। परिवादी उमेश ने इस जांच रिपोर्ट और फैसले पर आपत्ति जताई और जिला प्रथम अपीलीय प्राधिकार की शरण में आए। प्रधिकार ने सामाजिक सुरक्षा के सहायक निदेशक से इस संबंध में जानकारी मांगी तो वहां से ई लाभार्थी पोर्टल का स्क्रीन शॉट भेजा गया। उससे प्रमाणित हो गया कि वार्ड पार्षद ने न सिर्फ पत्नी व बेटी को वृद्धा पेंशन दिलाया, बल्कि वह खुद भी वृद्धा पेंशन उठाता रहा है। मार्च 2019 तक पेंशन प्राप्त किया गया है। इसी आधार पर अपीलीय प्राधिकार ने उपरोक्त फैसला सुनाया। वहीं परिवादी को फैसले से असंतुष्ट होने पर 30 दिनों के भीतर द्वितीय अपीलीय प्राधिकार में अपील दायर करने की सलाह दी गई है।
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लोक शिकायत मामले में शिथिल चार बीडीओ व तीन सीओ से शोकॉज
- डीएम ने जनता की शिकायतों के तेजी से निपटारे का दिया निर्देश
जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ
डीएम योगेंद्र सिंह ने सोमवार को लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम एवं मानवाधिकार से संबंधित मामलों की कलेक्ट्रेट में समीक्षात्मक बैठक की। जिसमें मानवाधिकार के लंबित मामलों में त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश प्रभारी पदाधिकारी एडीएम धर्मेंद्र कुमार को दिया। वहीं लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम की समीक्षा के क्रम में पाया कि कई लोक प्राधिकार मामलों की सुनवाई में शिथिल हैं। लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी शिकायतों की सुनवाई की कई तिथियों पर गायब रहते हैं। इसके लिए किसी अफसर को प्राधिकृत भी नहीं करते, जो सुनवाई में उपस्थित रहे हों। डीएम ने जनता की शिकायतों के निपटारे में इस तरह की अनदेखी पर गहरी नाराजगी जताई। कहा कि जन शिकायतों का निपटारा सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर करें। डीएम ने जन शिकायतों की सुनवाई में शिथिल हिलसा सीओ, थरथरी बीडीओ, इस्लामपुर बीडीओ, इस्लामपुर सीओ, नगरनौसा बीडीओ, चंडी सीओ और रहुई बीडीओ से स्पष्टीकरण पूछने का निर्देश दिया।
बैठक में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी राजेश कुमार, प्रभारी पदाधिकारी मानवाधिकार कोषांग वरीय उप समाहर्ता धर्मेंद्र कुमार सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।