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साहित्कारों की रचनाओं में ही छुपा है बेहतर कल का भविष्य

नालंदा । कवि-सम्मेलन सह सृष्टि जन चेतना अधिकार संस्था का वार्षिकोत्सव-2018 का विधिवत उद्घाटन कार

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 05:45 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 05:45 PM (IST)
साहित्कारों की रचनाओं में ही छुपा है बेहतर कल का भविष्य
साहित्कारों की रचनाओं में ही छुपा है बेहतर कल का भविष्य

नालंदा । कवि-सम्मेलन सह सृष्टि जन चेतना अधिकार संस्था का वार्षिकोत्सव-2018 का विधिवत उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सूचना एवं जनसम्पर्क पदाधिकारी नालंदा लाल बाबू ¨सह एवं सृष्टि जन चेतना अधिकार संस्था के सचिव मंजू देवी तथा स्वागत अध्यक्ष राकेश बिहारी शर्मा, मंच संचालक प्रख्यात मगही कवि उमेश प्रसाद'उमेश'एवं मंचासीन साहित्यकारों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। तत्पश्चात राकेश कुमार बहादुरपुरी एवं नालंदा नाट्य संघ के अध्यक्ष रामसागर राम के सरस्वती वंदना से कवि-सम्मेलन का श्रीगणेश किया गया। जबकि अध्यक्षता नालंदा के मशहूर छंदकार, गजलकार सुभाषचंद्र पासवान ने किया। सृष्टि जन चेतना अधिकार संस्था का वार्षिकोत्सव-2018 के लिए जिले के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्यों के लिए पांच साहित्यकारों, कवियों, साहित्य सेवियों, साहित्यप्रेमियों को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सूचना एवं जनसम्पर्क पदाधिकारी एवं संस्था सचिव मंजु देवी के द्वारा सम्मान के रुप में प्रतीक चिन्ह, प्रशस्ति-पत्र, अंगवस्त्र तथा “सृष्टि साहित्य सम्मान-2018'' देकर सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें शिक्षा, साहित्य, चिकित्सा एवं कला के क्षेत्र में उत्कृष्ठ काम करने के लिए दिए गए। सम्मानित होने वालों में साहित्य सेवा एवं चिकित्सा में लगे नालंदा जिला ¨हदी साहित्य सम्मेलन व सुदामा परमेश्वर साहित्य संस्थान के अध्यक्ष डॉ. दयानन्द प्रसाद, साहित्य एवं समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए राकेश बिहारी शर्मा, शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य के लिए मानवोत्कर्ष के राष्ट्रीय अध्यक्ष के.के कौशलेन्द्र सिन्हा उ़र्फ भारत मानस, साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए किड्ज केयर कॉन्वेंट के निदेशक विनय कुमार, संगीत कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए राकेश कुमार बहादुरपूरी को सम्मानित किया गया। मौके पर जनसम्पर्क पदाधिकारी ने कहा कि समाज में फैली बुराईयों को उजागर करना और उसे दूर करने की नसीहत सिर्फ साहित्य ही दे सकता है। लेखनी जितनी दमदार होगी अपने संदेशों को लोगों तक उतनी ही दमदार तरीके से पहुंचा सकेंगे।  साहित्य ही समाज के नया सवेरा की नींव होते हैं। साहित्कारों की रचनाओं में बेहतर कल की भविष्य छुपी होती है। हमारा साहित्य जितना विकसित और उत्कृष्ठ होगा, समाज उतनी ही तेजी से विकसीत होगा। कल, आज और कल को एक सूत्र में पिरोने का एक सशक्त माध्यम यह साहित्य ही होता है। उर्दू के मशहुर अंतरराष्ट्रीय शायर व गजलकार, नालंदा के कबीर बेनाम गिलानी ने अपनी शैली में गजल और शायरी पढ़ते हुए कहा कि गजल और शायरी कभी भी सरकार के पक्ष में नहीं हो सकती। गजल और कविता का सरकार के पक्ष में होना कविता और गजल की मौत है। मशहूर गजलकार, शायर जनाब बेनाम गिलानी ने भी अपनी गजल और शायरी प्रस्तुत किया और उन्होंने पर्यावरण पर कविता पढ़कर लोगों को जागरूक भी किया। सृष्टि जन चेतना अधिकार संस्था के सचिव मंजू देवी ने स्वागत भाषण करते हुए कहा कि सृष्टि जन चेतना अधिकार संस्था का आठवां वार्षिकोत्सव के अवसर पर नालंदा जिला के पांच साहित्यकारों को विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए चयन किया गया है। आज उन पांच साहित्यकारों, समाजसेवियों को संस्था द्वारा सम्मानित करते हुए मैं गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। कवि सम्मेलन में कवि अर्जुन प्रसाद बादल ने अपनी कविता  सबने कही तो मैने कही, अब पहले वाली बात नहीं पढ़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और सबका ध्यान आकर्षित किया। उमेश प्रसाद बहादुरपुरी  ने अपनी कविता पर्यावरण पर जोर देते हुए “जल से बना है जीवन,जीवन का मोल समझो, पानी का मोल समझो'' पढ़कर लोगों को जागरूक किया।

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इस अवसर पर साहित्यकार कवि समाजसेवी राम अवतार दास कुशवाहा, समाजसेवी साहित्यानुरागी साहित्यसेवी कवि राकेश बिहारी शर्मा, बिहार लोक अधिकार मंच के अध्यक्ष बलराम दास, नरेश चौहान, विजय दास, विभाष कुमार, कैलाश महतो, गरीबन साव इत्यादी सैकड़ों साहित्यप्रेमी, समाजसेवी एवं आस-पास के ग्रामीण संभ्रांत नागरिक मौजूद थे।


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