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नालंदा में संग्रहालय दिवस पर लगी पुरावशेषों की प्रदर्शनी

संवाद सूत्र नालंदा अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर नालंदा स्थित केंद्रीय संग्रहालय में प

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 May 2022 11:44 PM (IST)Updated: Wed, 18 May 2022 11:44 PM (IST)
नालंदा में संग्रहालय दिवस पर लगी पुरावशेषों की प्रदर्शनी
नालंदा में संग्रहालय दिवस पर लगी पुरावशेषों की प्रदर्शनी

संवाद सूत्र, नालंदा: अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर नालंदा स्थित केंद्रीय संग्रहालय में पुरावशेषों की प्रदर्शनी के अतिरिक्त स्थानीय स्कूली बच्चों के द्वारा मिट्टी के कलाकृति बनाने की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस दौरान स्कूली बच्चों ने प्रागैतिहासिक मानव द्वारा प्रस्तर व उपकरण आदि का निर्माण कर अपने हुनर का लोहा मनवाया। वहीं उसके बनाने के प्रायोगिक विधि से संबंधित लघु कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान भी आयोजित किये गए। यहां बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद (यूनेस्को की इकाई)के द्वारा 1977 से अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाने की परंपरा चली आ रही है। जिसका मुख्य उद्देश्य संग्रहालय के सांस्कृतिक आदान-प्रदान, संस्कृतियों का संवर्धन और लोगों के बीच आपसी समझ सहयोग और शांति का विकास करना आदि है । इस वर्ष कार्यक्रम का मुख्य विषय 'संग्रहालय की शक्ति' रखा गया है। जिसका उद्देश्य अपने समुदाय में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए संग्रहालय की क्षमता का पता लगाना है। सहायक अधीक्षण पुरातत्व विद शंकर शर्मा ने बताया कि नालंदा स्थित पुरातत्व संग्रहालय, जिसकी स्थापना 1917 में हुई थी। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत 50 संग्रहालयों में से इकलौता ऐसा शासकीय इकाई है । जो भारतीय सांस्कृतिक संपदा के पुरावशेषों को संजोकर रखे हुए है। जिसकी भूमिका देश के सांस्कृतिक विकास को गति प्रदान करती है । नालंदा पुरातत्व संग्रहालय 105 वर्षों से प्राचीन भारत के गौरवशाली पुरावशेष, जो प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के उत्खनन व खोज के क्रम में प्राप्त हुए थे को संग्रह कर संजोए हुए है।

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इनसेट कले माडलिग प्रतियोगिता में रास बिहारी स्कूल अव्वल, झटके चार पुरस्कार फोटो: 16 नालंदा: अंततराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर स्कूली बच्चों के बीच आयोजित क्ले माडलिग प्रतियोगिता में बच्चों ने अपने हुनर दिखाएं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नालंदा विश्वविद्यालय राजगीर के सहायक प्रोफेसर डा. तोसाबंता प्रधान थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में डेक्कन कालेज पुणे की डाक्टर गरिमा उपस्थित थे। वहीं अन्य अतिथियों में संरक्षण सहायक नालंदा प्राचीन विश्वविद्यालय के अमृत झा व उद्यानविद एंन जे के दास आदि मौजूद रहे। इस दौरान क्ले मॉडलिग प्रतियोगिता में रासबिहारी विद्यालय, नालंदा के छात्र छात्राओं का जलवा रहा ।जिसमें प्रथम पुरस्कार रासबिहारी प्लस टू विद्यालय के सत्यम कुमार को, द्वितीय पुरस्कार रासबिहारी प्लस टू विद्यालय के ही जिया कुमारी तथा तृतीय पुरस्कार संत जेवियर्स स्कूल मोहनपुर को दिया गया। वहीं चौथे स्थान पर रासबिहारी विद्यालय की ही नेहा कुमारी व पांचवें स्थान पर आदर्श मध्य विद्यालय नालंदा के आदित्य वर्मा रहे। इस दौरान कार्यक्रम को संपादित करने में मुमताज आलम, श्यामसुंदर चौधरी, सिद्धार्थ प्रसाद यादव, विनय कुमार, लखन चौधरी, सुरेंद्र कुमार, प्रजापति, रोशन कुमार, ऋषिकेश कुमार का योगदान सराहनीय रहा। --------------- जैन तीर्थंकर ऋषभनाथजी की प्रतिमा का हुआ प्रदर्शन फोटो 20 नालंदा : नालंदा स्थित संग्रहालय में ऋषभनाथजी की कांस्य प्रतिमा का पहली बार प्रदर्शन किया गया । जानकारी हो कि यह कांस्य प्रतिमा 1927 में नालंदा में ही उत्खनन के दौरान विहार संख्या 1 से प्राप्त हुआ था। जिसमें ऋषभनाथ जी एक सिंहासन पर ध्यान मुद्रा में बैठे हुए हैं। सिंहासन के नीचे दो कुकूदमान बैल बैठे हुए हैं। मध्य में पवित्र धर्म चक्र चिह्न बना हुआ है। इस अलंकृत प्रभामंडल के ऊपरी हिस्से टूटे हुए हैं। वातावरण व समय के प्रभाव से इस प्रतिमा का क्षरण भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जानकारी हो कि ऋषभनाथ को जैन मत में आदिनाथ भी कहा जाता है। जिन्हें प्रथम तीर्थंकर के रूप में जाना जाता है। विदित हो कि नालंदा के उत्खनन में प्राप्त अवशेषों में जैन धर्म से संबंधित ऋषभनाथ की यह प्रतिमा एक दुर्लभ साक्ष्य है।


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