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हटाए गए राजगीर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, डॉ अजीत रंजन को मिला प्रभार

राजगीर। अनुमंडलीय अस्पताल राजगीर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर उमेश चंद्रा को हटाकर अब डॉ अजीत रंजन को प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बनाया गया है। मालूम हो कि डॉक्टर अजीत रंजन दो महीने के बाद सेवा निवृत हो रहे हैं। ऐसे में मह दो माह बाद ही राजगीर के लिए किसी दूसरे चिकित्सा पदाधिकारी की तलाश करनी होगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 11:51 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 11:51 PM (IST)
हटाए गए राजगीर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, डॉ अजीत रंजन को मिला प्रभार
हटाए गए राजगीर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, डॉ अजीत रंजन को मिला प्रभार

राजगीर। अनुमंडलीय अस्पताल राजगीर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर उमेश चंद्रा को हटाकर अब डॉ अजीत रंजन को प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बनाया गया है। मालूम हो कि डॉक्टर अजीत रंजन दो महीने के बाद सेवा निवृत हो रहे हैं। ऐसे में मह दो माह बाद ही राजगीर के लिए किसी दूसरे चिकित्सा पदाधिकारी की तलाश करनी होगी। नवजात की मौत के बाद हुआ परिवर्तन, सीएस ने दी सांत्वना

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बता दें कि कुछ दिन पहले स्थानीय संजीव कुमार बिट्टू की पत्नी का अनुमंडल अस्पताल में प्रसव हुआ था। प्रसव कराने के लिए कोई डॉक्टर मौजूद नहीं थे तो नर्स ने ही सारी प्रक्रिया पूरी की। जन्म के बाद शिशु को किसी बाल रोग विशेषज्ञ ने भी नहीं देखा। जबकि वह जौंडिस से पीड़ित था। आनन-फानन में वह नवजात को इलाज के लिए पटना ले गया। जहां उसकी मौत हो गई। इसके बाद संजीव कुमार बिट्टू ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया। इस घटना के बाद संजीव ने अस्पताल के कुप्रबंधन के खिलाफ जनसमर्थन जुटाने को हस्ताक्षर अभियान चलाया। उनकी आपबीती सुनने के बाद राजगीर के लोग भी नाराज हो गए। सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन किया गया। कैंडल मार्च निकाला गया। व्यवस्था में सुधार व राजगीर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को बदलने की मांग की गई। इसके बाद सिविल सर्जन डॉ राम सिंह मंगलवार को राजगीर अनुमंडल अस्पताल पहुंचे। उन्होंने मृतक नवजात शिशु के पिता से मिलकर उन्हें सांत्वना दी और अस्पताल में व्यवस्था सुधार का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने डॉक्टर चंद्रा के जगह पर अजीत रंजन को प्रभारी की जिम्मेवारी दी। रेफर केन्द्र बनकर रह गया है राजगीर अस्पताल

अनुमंडलीय अस्पताल राजगीर में सुविधाओं व चिकित्सकों की घोर कमी है। जिसका शिकार आए दिन यहां आने वाले मरीज होते रहते हैं। यह मरीजों को रेफर करने का केन्द्र बनकर रह गया है। यहां महिला चिकित्सक, शिशु रोग विशेषज्ञ समेत अन्य रोगों के विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। ब्लड बैंक भी नहीं है। स्थानीय लोगों ने कहा कि सिर्फ प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को बदल देने से समस्या का समाधान संभव नहीं है। अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की बहाली करनी होगी। ब्लड बैंक व आईसीयू बनाना होगा। दवाओं की उपलब्धता भी सुनिश्चित करनी होगी। लोगों ने कहा कि व्यवस्था में सुधार होने तक प्रदर्शन जारी रहेगा।


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