लोक अदालत एक वैकल्पिक न्यायिक व्यवस्था : न्यायधीश
नालंदा । देश भर के विविध विवादों के निपटारे में लोक अदालत एक वैकल्पिक न्यायिक व्यवस्था है। जो हर
नालंदा । देश भर के विविध विवादों के निपटारे में लोक अदालत एक वैकल्पिक न्यायिक व्यवस्था है। जो हर समाज वर्ग के लोगों के लिए सार्थक साबित हो रहा है। जिसके तहत निर्धारित कानूनी सलाह को अपनाकर लोग अपनी लंबित समस्या का ससमय निराकरण कर सकते हैं। उक्त बातें जिला विधिक सेवा प्राधिकार नालंदा के जिला सत्र न्यायधीश एस एम मुजफ्फर जमाल ने मलमास मेला क्षेत्र में लोक अदालत स्टॉल के माध्यम से जिला विधिक सेवा प्राधिकार से मिलने वाले न्यायिक व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए लोगों को विशेष जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कानूनी सहायता कार्यक्रम लागू करना और उसका मूल्यांकन एवं निगरानी करना है। साथ ही इस अधिनियम के अंतर्गत कानूनी सेवाएं उपलब्ध कराना इसका काम है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य में एक कानूनी सहायता प्राधिकार तथा प्रत्येक न्यायालय में एक उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति गठित की गई है। जिसमें जिला कानूनी सहायता प्राधिकार और तालुका कानूनी सेवा समिति जिला और तालुका स्तर पर बनाई गई है। इसका काम नालसा की नीतियों और निर्देशों को कार्य रूप देना और लोगों को निशुल्क कानूनी सेवा प्रदान के तहत लोक अदालत को संचालित रखना है। इस कानूनी सलाहकार के माध्यम से मेले में आए काफी संख्या में लोग भाग लेकर कानूनी सलाह की जानकारी ली। जिसमें लोगों को बताया गया कि लोक अदालत से कितने फायदे है। लोक अदालत के सकारात्मक पक्ष का लाभ यह भी है कि वकील का फीस नहीं चुकाना पड़ता, कोर्ट फीस नहीं , पुराने मुकदमे की कोर्ट फीस वापस सो जाती है, किसी पक्ष को सजा नहीं होती, मामले को बातचीत द्वारा सफाई से हल कर लिया जाता है। मुआवजा और हरजाना तुरंत मिल जाता है, सभी को आसानी से न्याय मिल जाती है। लोक अदालत के माध्यम से लिए गए फैसला अंतिम होता है फैसले के विरूद्ध की अपील नहीं होती है। इसलिए सभी लोगों को लोक अदालत में आकर अपने समस्याओं का निपटारा करनी चाहिए। इस अवसर पर जिला अधिकारी सह उपाध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार के डॉक्टर त्याग राजन एस एम, जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार उज्जवल कुमार दुबे ,विधिक सेवा नालंदा के चेयरमैन कजरिया डीजे, सहित कई पदाधिकारी उपस्थित थे।