मेधा परीक्षा में पहले से दशम वर्ग के 25 हजार विद्यार्थी हुए शामिल
बच्चों में बौद्धिक एवं मानसिक विकास के साथ प्रतियोगिता परीक्षा में अभी से बच्चों को तैयार करने के उद्देश्य से इसका आयोजन किया गया है। रविवार को पब्लिक स्कूल एसोसिएशन की ओर से जिले भर के निजी विद्यालयों के बच्चों के बीच मेधा प्रतियोगिता आयोजित कराए गए।
बिहारशरीफ : बच्चों के बौद्धिक एवं मानसिक विकास का स्तर परखने और प्रतियोगिता के लिए अभी से तैयार करने के उद्देश्य से रविवार को पब्लिक स्कूल एसोसिएशन की ओर से जिले भर के निजी विद्यालयों के बच्चों के बीच मेधा प्रतियोगिता आयोजित कराई गई। इस प्रतियोगिता में प्रथम वर्ग से लेकर दशम वर्ग तक के कुल 25 हजार छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। इसके लिए जिले भर में कुल 24 केन्द्र बनाए गए थे। बिहारशरीफ शहर में 9, नूरसराय में 1, चंडी में 3, एकंगरसराय में 1, इस्लामपुर में दो, खुदागंज में 1, राजगीर, सिलाव, पावापुरी, परवलपुर व बिद में एक-एक तथा हिलसा में एक परीक्षा केन्द्र बनाए गए थे।
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एक घंटे की परीक्षा में जूनियर से 40 और सीनियर से 50 वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे गए
एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष रंजन ने बताया कि इस तरह के प्रतियोगिता कराने का मुख्य उद्देश्य प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए अभी से ट्रेंड करना है। साथ ही परीक्षा को लेकर उनके भीतर बैठे डर को दूर करना है। यह परीक्षा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तरह ओएमआर शिट पर ली गई। ताकि बच्चे अभी से ओएमआर शिट के बारे में जान सकें। सीनियर वर्ग से 50 व जूनियर वर्ग से 40 प्रश्न पूछे गए। इसके लिए बच्चों को एक घंटे का समय दिया गया था।
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चयनित छात्र-छात्राओं को स्कॉलरशिप के साथ दिए जाएंगे पुरस्कार प्रोजेक्ट मैनेजर मनीष कुमार गौतम ने बताया कि इस प्रतियोगिता का परिणाम दिसम्बर में प्रकाशित किया जाएगा। चयनित छात्र-छात्राओं को एसोसिएशन की ओर से स्कॉलरशिप एवं कई तरह के पुरस्कार दिए जाएंगे। परीक्षा संचालन में सचिव भेषनाथ, सेंट जोसेफ, एकेडमी के प्राचार्य जोसेफ टीटी, आरपीएस स्कूल के निदेशक अरविन्द सिंह, कैम्ब्रज स्कूल के निदेशक अरविन्द कुमार, गुरुकुल विद्यापीठ के सचिव प्रमोद कुमार, करियर पब्लिक स्कूल के निदेशक डॉ संजय कुमार, प्राचार्य संदीप कुमार, विद्या भारती के निदेशक अशोक कुमार निराला, गुड एंड द ग्रेट के निदेशक डा. सुरेन्द्र प्रसाद, सनबीम सेंट्ल स्कूल के निदेशक धीरज कुमार, गुरुकुल विद्यापीठ की प्राचार्य पूनम कुमारी सहित कई स्कूलों के प्राचार्यों का अहम योगदान रहा।