झूठे वादों की खुशियों में कब तक झूमेगा गांव
नालंदा। जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर बसा एक छोटा सा प्रखंड कतरीसराय की मैरावरीठ
नालंदा। जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर बसा एक छोटा सा प्रखंड कतरीसराय की मैरावरीठ पंचायत अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए लगातार संघर्ष कर रही है। लेकिन स्थिति जस की तस है। केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकार या फिर स्वशासन सिर्फ सभी ने छला है। पंगडंडियों पर रेंगते लोगों को देखकर आदिम काल का स्मरण होने लगता है।
आखिर कहां गये विकास में लगाए जाने वाली राशि? यह एक बड़ा प्रश्न है। जिसके जबाब की आवश्यकता है। दलित प्रेम का चौतरफा राग अलापा जा रहा है लेकिन वे कीड़े मकोड़ों की ¨जदगी जीने को मजबूर हैं। एक चापाकल कई दर्जन घरों की प्यास बुझा रहा है। पंचायत के दलित टोला में पसरी गंदगी को देखकर किसी के भी रेंगटे खड़े हो जाए पर हमारी सरकार की कान में जूं तक नहीं रेंग रहा है। इस पंचायत का उप स्वास्थ्य केन्द्र अहियाचक खुद बीमार है। सालों से किसी स्वास्थ कर्मी के दर्शन तक नहीं हुए हैं। वहीं सड़कों पर बने गड्ढे सरकार की नीयत को साफ दर्शा रहा है।
कहते हैं बीडीओ
बीडीओ डॉ. सराफत हुसैन का कहना है कि कतरीसराय प्रखंड की सभी पंचायतों का विकास तीव्र को बहुत जल्द गति दी जाएगी। समस्याओं के आंकड़ा सरकार को भेज दिए गए हैं।
कहते हैं प्रखंड प्रमुख
प्रखंड प्रमुख धनंजय प्रसाद ने बताया कि जब तक अतिरिक्त राशि प्रखंड को नहीं मिलेगी तब तक विकास होना संभव नहीं है। प्रखंड इतना पिछड़ा है कि इसे विकास के पथ पर लाने के लिए बड़ी धन राशि की जरूरत है।
कहती हैं मुखिया
मुखिया संजू देवी का कहना है कि हमारी पंचायत में मूलभूत सुविधाओं का आभाव है। धीरे धीरे नालियां, सड़क व अन्य योजनाओं का लाभ पंचायत के सभी गांवों तक पहुंचाया जाएगा। विकास मेरी प्राथमिकता है।
कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण महिला संजू देवी का कहना है कि हमारी पंचायत के विकास का कोई भी काम नहीं हुआ है। चुनाव के वक्त चिकनी-चुपड़ी बातें कर हमें प्रतिनिधि ठगते हैं।
ग्रामीण कमलेश प्रसाद का कहना है कि पंचायत का विकास नहीं हुआ है। इस पंचायत के विकास की गति शिथिल है कोई भी जन प्रतिनिधि व अधिकारी विकास के लिए काम करना नहीं चाहते हैं। उनके झूठे वादे हमें हमें कुछ दिनों तक खुशियां जरूर देते।