विश्व शांति के लिए हर दिन 5 हजार लामाओं ने सुबह-शाम किया एक लाख मंत्रों का जाप
बिहारशरीफ। भूटानी मंदिर के शिलान्यास के बाद नौ दिवसीय बौद्ध पूजा क्रम के आठवें दिन रविवार को विधिवत
बिहारशरीफ। भूटानी मंदिर के शिलान्यास के बाद नौ दिवसीय बौद्ध पूजा क्रम के आठवें दिन रविवार को विधिवत अर्हंत पूजा संपन्न हुई। पिछले सभी दिनों की बौद्ध पूजा के दौरान 1 लाख बौद्ध धर्म मंत्र सूत्र का पाठ जारी रहा जिसमें पांच हजार से भी अधिक बौद्ध लामा शामिल हुए।
उक्त जानकारी देते हुए भूटानी मोनास्टिक डेवलपमेंट सेक्रेटरी खेम्पो उगेन नामगेल ने बताया कि 11 से 18 नवंबर तक बौद्ध प्रार्थना धर्म महासभा का आयोजन संपन्न हुआ जिसमें बौद्ध धर्म मंत्र सूत्र का एक लाख बार जाप किया गया जो दिन में दो बार सुबह व शाम में हुआ। उन्होंने बताया कि विश्व शांति के लिए हर दिन एक लाख बौद्ध मंत्र सूत्र का पाठ किया गया।
नामगेल ने भगवान बुद्ध के राजगीर आगमन व यहां उनके प्रवास को बौद्ध इतिहास का दिव्य घटनाक्रम बताया। कहा कि भारत तथा भूटान की मित्रता के 50वें वर्षगांठ के उपलक्ष्य में राजगीर में भूटानी बौद्ध मंदिर का शिलान्यास और नौ दिनों की पूजा ने दोनों देशों को अनोखे अटूट संबंध में बांध दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे संबंधों का मुख्य कारण बुद्ध ही हैं। आज बौद्ध धर्म दुनिया के तीन बड़े धर्मों में से एक है। उन्होंने कहा कि बुद्ध के अनेक अतिप्रिय स्थलों में राजगीर के कई स्थल शामिल हैं। राजगीर विश्व भर में बुद्ध शिक्षा के प्रसार का प्रमुख केन्द्र रहा। ज्ञान प्राप्ति के सारे रास्ते के संदेश से लबरेज लोट्स सूत्र की व्याख्या बुद्ध ने राजगीर में ही की थी। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म मानव जगत की सामूहिक सांस्कृतिक विरासत है। अगर हम इसकी व्याख्या मात्र एक धर्म के तौर पर करेंगे तो यह लोगों के बीच भ्रांति उत्पन्न कर सकता है। बौद्ध धर्म वास्तव में शिक्षा का ही एक मौलिक रूप है। यह अपने आप में एक समेकित शिक्षा है, जो बुद्ध द्वारा संपूर्ण प्राणी जगत के लिए है। बौद्ध शिक्षा में अर्हंत, बोधिसत्व व बुद्धत्व हैं डिग्रियां :
नामगेल ने कहा कि बौद्ध शिक्षा ग्रहण करने के अनेक उपाय हैं। जिसमें बुद्ध धर्म की आधुनिक शिक्षा प्रणाली में अर्हंत यानि स्नातक, बोधिसत्व यानि स्नातकोतर व बुद्धत्व यानि डाक्टरेट है। बुद्ध का पंचशील आचरणतत्व क्रमश: हत्या, चोरी, व्याभिचार न करना, झूठ नहीं बोलना व शराब का सेवन नहीं करना है। उक्त पंचशील अर्थात पंच सिद्धांतों के अनुकरण कर हम अपने जीवन को काफी समृद्ध व खुशहाल बना सकते हैं। उन्होंने बताया कि बुद्ध काफी दयालु हैं जिन्होंने अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग उपाय की व्यवस्था की है ताकि व्यक्तिगत योग्यता के आधार पर उक्त शिक्षाओं को लोग अपना सकें। अंतत: उन्होंने कहा कि भूटान, भारत और बिहार के राजगीर में आतिथ्य सत्कार व सहयोग का आजीवन ऋणी रहेगा
19 नवंबर को अंतिम पूजा के बाद बोधगया कूच करेंगे बौद्ध लामा : उन्होंने बताया कि 19 नवंबर को अंतिम पूजा के उपरांत हम सभी बोधगया की ओर कूच कर जाएंगे जहां 20 नवंबर को भगवान बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति स्थल बोधिवृक्ष के नीचे पूजा-अर्चना तथा महाबोधि मंदिर में भगवान बुद्ध के दर्शन करेंगे। वहीं, इस क्रम में महाकाल व महाकाली की भी पूजा करने के लिए समय का निर्धारण किया गया है। इस दौरान वहां भी 16 अर्हंत पूजा संपन्न होगी जिसमें भूटान के परम पावन महागुरु जी, संघराजा जी के हेम्पो र्ट्यूल्के जिग्मे छोयेद्रा सहित हजारों भूटानी बौद्ध धर्मावलंबियों का जमावड़ा लगेगा।