कोरोना के डर से अपनों ने किया किनारा तो एसडीपीआइ बना सहारा
नालंदा। कोरोना को लेकर हर तरफ हाहाकार है। चाहे फिर अस्पताल हो या फिर श्मशान घाट
नालंदा। कोरोना को लेकर हर तरफ हाहाकार है। चाहे फिर अस्पताल हो या फिर श्मशान घाट। सब जगह लोग मुसीबत के मारे हैं। इस समय लोगों को मदद की जरूरत है। मुसीबत की इस घड़ी में मददगार भी सामने आ रहे हैं। कुछ ऐसे समाजसेवी संस्था है जिन्हें कोरोना को लेकर भय नहीं । उनके कदम दूसरों की मदद के लिए बढ़ रहे हैं। यह सब कोरोना योद्धा बनकर काम कर रहे हैं। मिलिए ऐसे कोरोना योद्धा से..।
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संस्था के लोग अब तक कर चुके हैं 20 लोगों का क्रियाकर्म
कोरोना संकट में डर और आशंका के बीच शहर में सांप्रदायिक सद्भाव का अनोखा मिसाल देखने को मिला। जहां कोरोना से मौत के बाद लोग अपनों की मदद के लिए भी आसानी से बाहर नहीं निकल रहे हैं। वही समाजसेवी संस्था एसडीपीआइ आए दिन लोगों की मदद के लिए सामने आ रहे है। दो दिन पहले शहर के पुलपर मोहल्ले में कोरोना से मृत एक महिला की मौत के बाद नाते-रिश्तेदार या दोस्त आने को तैयार नहीं हुए। ऐसे में इस जैन परिवार की मदद के लिए एसडीपीआइ सामने आई। दुख के वक्त में न सिर्फ पीड़ित परिवार को संभलने का हौसला दिया, बल्कि अंतिम संस्कार में पूरे विधि-विधान के साथ सहयोग भी किया। संगठन के सदस्य शमीम अख्तर ने बताया कि उनकी संस्था अब तक 20 लोगों का क्रियाकर्म उनके रीति-रिवाज से कर चुकी है। इससे पहले भी 26 अप्रैल को भैंसासुर मोहल्ले में बुजुर्ग अनुज कुमार सिन्हा के शव का भी अंतिम संस्कार 17 नम्बर स्थित श्मशान घाट में किया। उनके टीम में नदीम रईस, फैज अशरफ,हसरत अली ,फतह अली व मो.अराफात शामिल है जो एक कॉल पर बिना भेद-भाव के पहुंच जाती है। मरीजों की जान बचाने जीवन रक्षक मुफ्त में दे रही है एंबुलेंस सेवा
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कोरोना संक्रमण को देखते हुए शहर के जीवन रक्षक टीम ने कोरोना मरीजों के लिए नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा शुरू की है। संस्था के निदेशक कुणाल दीप ने बताया कि यह एम्बुलेंस सेवा 24 घंटे उपलब्ध रहती है। अब तक 17 कोविड पेशेंट को विम्स,बीड़ी अस्पताल व पटना पहुंचा चुके है। जहां इस कोरोना काल में एंबुलेंस सेवा के बदले लोग मनमाना रुपया वसूल रहे है वही जीवन रक्षक इस सेवा के बदले एक रुपया भी नहीं लेती।
कुणाल ने बताया कि कोरोना संकट के अलावा एंबुलेंस के लिए मारामारी के बीच संक्रमितों की जान बचाने, अस्पताल पहुंचने के बाद समय पर इलाज हो सके इस उद्देश्य से इसकी शुरुआत की है।