हर्षोल्लास के साथ मनाया गया ईद उल फितर का त्योहार
बिहारशरीफ। पाक रमजान माह के अंत में ईद उल फितर त्यौहार राजगीर में बड़े हर्षोल्लास के साथ शांतिपूर्ण म
बिहारशरीफ। पाक रमजान माह के अंत में ईद उल फितर त्यौहार राजगीर में बड़े हर्षोल्लास के साथ शांतिपूर्ण माहौल में मनाया गया। ब्रह्माकुण्ड परिक्षेत्र स्थित ईदगाह में सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर सभी मुसलमान भाईयों ने नमाज ए ईद अदा की। तथा एक दूसरे के गले मिल ईद की मुबारकबाद दी। और अपने घर मुहल्लों में जमकर लरक्षा, दूध व सेवईयां बांटे तथा सभी को हयात ए इत्र लगाकर आपसी भाईचारे व अखलाक ए मोहब्बत का खुश्बूदार पैगाम दिया। वहीं दूसरी ओर मखदूम कुंड परिसर में बाबा मखदूम साहेब के इबादतगाह में लोगों ने पूरे कायनाथ में अमन चैन व सभी की खैरियत की दुआएं मांगी। जिसमें म़खदूम कुंड सचिव सह जदयू नेता मो. आफताब आलम, कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष शम्स तबरेज मलिक, राजद नगर अध्यक्ष मो. रफीक खान, भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के नगर अध्यक्ष मो लईक खान, जदयू नेता मो. एहतेशाम मलिक व मो. हसन अकबर उर्फ स्टीफन आदि जनप्रतिनिधियों ने बताया कि सर्वधर्म सम्भाव की नगरी राजगीर में ईद के मौके पर सभी वर्ग के लोगों के साथ हम सभी ने इस त्यौहार को आपसी सौहार्द व भाईचारे के नाम पर न्यौछावर कर केवल मानवता की रिश्तेदारी को कबूल फ़रमाया है। वहीं इस बार के ईद के मौके पर पर्यावरण व जल संरक्षण पर ध्यान आकृष्ट कराते हुए सभी ने पैगम्बरों का पैगाम ए मोहब्बत दिया है जो मानव समाज के आखिरी बंदे तक पहुंचे।
वहीं दूसरी ओर नमाज ए ईद अदा कराने के क्रम में जामा मस्जिद के इमाम शमसुद्दीन ईस्लाम ने ईद त्योहार पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आपसी भाईचारे व संपूर्ण विश्व सौहार्द को बरकरारी से लबरेज संदेश प्रसारित करने का त्यौहार है। उन्होंने बताया कि रमजान के पाक महीने में 30 दिनों में क्रमश: 10-10 दिनों का अशरा यानि समयकाल तय होता है। जिसमें पाक रमजान के पहले 10 अशरा में बंदे रहमत यानि खुदा से क्षमादान, दूसरे 10 अशरा में जाने अनजाने में हुए मगफरेत यानि गुनाहों मुक्ति तथा अंतिम 10 अशरा में जहन्नुम से मगफरेत यानि जन्नत की दुआ शामिल होता है। उन्होंने आगे बताया कि रमजान माह के भीतर 27वीं एक ऐसी रात भी आती है। जिसमें बंदा रात भर कुरान, नमाज व तस्बीह पढ़ कर फजीलत को प्राप्त करते हैं। उन्होंने बताया कि भर रमजान माह के सादिक यानि सुबह की पहली किरण से लेकर गुरूब आफताब यानि डूबते सूर्य की आखिरी किरण के बाद अल्ल्लाह के बंदे रोजा खोलते हैं। जिसमें दावत ए इफ्तार पार्टी का आयोजन भी किया जाता है। और रमजान के आखिर दिन ईद, खुशी का दिन होता है। जिसमें दोरका नमाज अदा किया जाता है। लोग आपस में गले मिलते व मुबारकबाद देते हैं। तथा गरीब बंदों में अनाज के अलावे लछ्छा, दुध सेवईयां आदि भी दान कर उन्हें इस खुशी में शामिल करते हैं। और हम मो. सलल्लाहो अलय ए वसल्लम पैगंबर के जमाने से चले आ रहे ईद को अखलाक ए मोहब्बत व अमन चैन के पैगाम के साथ मनाते हैं। ईद के मौके पर ईदगाह में नमाज अदा के क्रम में मो. मुन्ना खान, मो. चुन्नू खान, अकील अख्तर खादिम, मकसूद आलम, मो. शफीक आलम, मो. शाहिद आलम, मो. नन्हु खान, नौरेज खान, हाफीज मो. अफरोज वह शाहनवाज सहित सी आर पी एफ कैंप के कुल 40 जवानों के अलावा सैकड़ों की संख्या में लोगों ने नमाज ए ईद अदा की।