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कोशिश रहेगी, बिहारशरीफ के आमजन और मेरे बीच दूरी न रहे : एसडीओ

बिहारशरीफ। एक एवरेज स्टूडेंट से आइएएस तक का सफर कुमार अनुराग के लिए आसान नहीं था। हिदी मीडियम से पढ़ाई की तो अंग्रेजी का डर भी लाजिमी था। इसके बाद सिलीगुड़ी स्थित संत माइकल स्कूल में दाखिला हुआ।

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Jul 2021 11:36 PM (IST)Updated: Sat, 31 Jul 2021 11:36 PM (IST)
कोशिश रहेगी, बिहारशरीफ के आमजन और मेरे बीच दूरी न रहे : एसडीओ
कोशिश रहेगी, बिहारशरीफ के आमजन और मेरे बीच दूरी न रहे : एसडीओ

बिहारशरीफ। एक एवरेज स्टूडेंट से आइएएस तक का सफर कुमार अनुराग के लिए आसान नहीं था। हिदी मीडियम से पढ़ाई की तो अंग्रेजी का डर भी लाजिमी था। इसके बाद सिलीगुड़ी स्थित संत माइकल स्कूल में दाखिला हुआ। इंग्लिश सीखने के लिए काफी स्ट्रगल करना पड़ा। लेकिन, धीरे-धीरे सब कुछ सीख लिया। पिता डा. दिलीप कुमार कटिहार के जाने-माने चिकित्सक हैं। इसलिए उच्च शिक्षा हासिल करने में मुश्किल नहीं हुई। लेकिन एवरेज से बेस्ट बनने के लिए मेहनत करनी पड़ी। आखिरकार कुछ करने के जुनून ने उन्हें सफलता दिलाई और दूसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में 48वां रैंक हासिल कर खुद को साबित कर दिया। कुमार अनुराग इसी माह बिहारशरीफ के अनुमंडलाधिकारी बनाए गए हैं। जाहिर है, आइएएस एसडीओ से लोगों को अपेक्षाएं बढ़ जाती हैं। पेश है जागरण से बातचीत के कुछ खास अंश..

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प्रश्न: एक आइएएस के प्रति बचपन का सोच, आइएएस बनने के बाद कितना बदला?

उत्तर : बचपन में या युवावस्था में आपको लगता है कि एक आइएएस की जिदगी कितनी अच्छी है। सरकारी गाड़ी, बाडीगार्ड और एसी आफिस। इन सुविधाओं के पीछे एक अधिकारी के ऊपर कितनी जवाबदेही होती है, इसका अंदाजा आइएएस पदाधिकारी बनने के बाद लगता है। फाइलों से लेकर आम इंसान की परेशानियों का हल करना आसान नहीं है।

जिलाधिकारी को ही देख लीजिए। उन पर काम का कितना प्रेशर होता है। मुझे तो अभी बहुत कुछ सीखना है। ............

प्रश्न: संवेदनशील बिहारशरीफ का ला एंड आर्डर को कैसे संभालेंगे?

उत्तर : जब खुद को संभाल लिया तो ला एंड आर्डर भी संभाल लूंगा। अभी इस जगह के लिए नया हूं। मेरा मानना है कि विधि-व्यवस्था लोगों के साथ मिलकर ही कायम रखी जा सकती है। इसके लिए संवाद ही विकल्प है। जब तक समस्या खत्म नहीं होगी, लोगों की परेशानी बनी रहेगी। इसलिए जनता और मेरे बीच कोई दूरी न हो, यह कोशिश होगी।

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प्रश्न: कोरोना की संभावित तीसरी लहर की क्या तैयारी है?

उत्तर : आक्सीजन की कमी न हो, इसके लिए अनुमंडल क्षेत्र, जो संयोग से जिला मुख्यालय भी है, में बन रहे आक्सीजन प्लांट की मानीटरिग लगातार करेंगे। अस्पतालों को अलर्ट मोड में रखा गया है। मास्क व सैनिटाइजर के इस्तेमाल को लेकर लोग लापरवाह न बने। बेवजह बाहर नहीं निकलें। बच्चों को भीड़-भाड़ में ले जाने से बचें। समय-समय पर मास्क जांच अभियान चलाया जाएगा। ........

प्रश्न: युवाओं के लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?

उत्तर : धैर्य रखें, जो बनना चाहते हैं, उसके लिए मेहनत करें। खुद को आपसे बेहतर कोई नहीं जान सकता। आप मुझे ही देख लीजिए। अमूमन ये माना जाता है कि यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा को केवल इंटेलीजेंट छात्र ही क्लियर कर सकते हैं। परन्तु मैं शुरू से एवरेज स्टूडेंट रहा और सभी मिथकों को गलत साबित कर दिया। सिलीगुड़ी स्थित संत माइकल स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की। प्लस टू आ‌र्ट्स से पढ़ाई करने के लिए डीपीएस मथुरा रोड दिल्ली में नामांकन कराया। श्रीराम कालेज दिल्ली से अर्थशास्त्र में स्नातक किया। दिल्ली में पढ़ाई करते हुए यूपीएससी की तैयारी करने लगे। इकोनामिक्स में मास्टर की डिग्री भी ली। पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली तो निराश नहीं हुआ। अंतत: दूसरे प्रयास में यूपीएससी क्रैक कर दिखाया। बताया कि वे दो भाई है। बड़े भाई कुमार हिमांशु डाक्टर हैं।

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प्रश्न: आप एवरेज स्टूडेंट थे तो सिरियस कब हुए?

उत्तर : 12 वीं के बाद मुझे लगा कि पिता जाने-माने डाक्टर हैं। मुझे भी कुछ बेहतर करना होगा। मां ममता रमण हमेशा मुझे प्रेरित करती थीं कि बेटा जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित करो। जब दोस्तों को क्लास में टाप होता देखता था तो मुझे भी लगता था कि मैं भी आगे बढूं। एक व्यक्ति को पता होना चाहिए कि आखिर वह क्यों फेल हो रहा है। उन्हें पता था कि अगर वे मेहनत करेंगे तो आइएएस जरूर बनेंगे। इसी विचार के साथ उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की थी।


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