अव्यवस्था से नल-जल योजना ने तोड़ा दम, पेयजल के लिए हाहाकार
इस्लामपुर। गर्मी अभी अपने तेवर में आई भी नहीं की चारों ओर पेयजल के लिए हाहाकार मचने लगा है। कई गांवों में प्यास बुझाने का एकमात्र सहारा चापाकल है लेकिन वह भी अब हांफने लगा है। वहीं भूजल स्तर गिरने के कारण नलकूप भी जवाब देने की स्थिति में हैं। इन तमाम परेशानियों के बीच बड़ा सवाल यह है कि सूखे हलक की प्यास कैसे बुझाई जाए। सरकार लोगों तक पेयजल आपूर्ति के लिए नल-जल योजना लायी। लेकिन इस योजना की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है। इस योजना को धरातल पर लाने की बजाए सरकार के नुमाईंदे राशि के बंदरबांट में लगे रहें। जिसका परिणाम आज सामने है। भीषण जल संकट की स्थिति बनी है। कोरोना संक्रमण के कारण दूर-दराज के क्षेत्रों से पानी लाना भी इनके लिए मुश्किल प्रतीत हो रहा।
इस्लामपुर। गर्मी अभी अपने तेवर में आई भी नहीं की चारों ओर पेयजल के लिए हाहाकार मचने लगा है। कई गांवों में प्यास बुझाने का एकमात्र सहारा चापाकल है, लेकिन वह भी अब हांफने लगा है। वहीं भूजल स्तर गिरने के कारण नलकूप भी जवाब देने की स्थिति में हैं। इन तमाम परेशानियों के बीच बड़ा सवाल यह है कि सूखे हलक की प्यास कैसे बुझाई जाए। सरकार लोगों तक पेयजल आपूर्ति के लिए नल-जल योजना लायी। लेकिन इस योजना की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है। इस योजना को धरातल पर लाने की बजाए सरकार के नुमाईंदे राशि के बंदरबांट में लगे रहें। जिसका परिणाम आज सामने है। भीषण जल संकट की स्थिति बनी है। कोरोना संक्रमण के कारण दूर-दराज के क्षेत्रों से पानी लाना भी इनके लिए मुश्किल प्रतीत हो रहा। बंद चापाकलों के हेड गायब
गर्मी के कारण तालाब, नदी व नहर सूखने के कगार पर हैं। जो जानवरों के लिए विषम स्थिति पैदा कर सकता है। वहीं एक दिन की छिटपुट बारिश के बाद सूरज फिर आग आग उगलने लगा है। लिहाजा मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही। इस्लामपुर नगर पंचायत के कई वार्डों में समुचित पेयजल व्यवस्था नहीं है। सार्वजनिक स्थल पर चापाकल की भारी कमी है। महज दो साल पहले शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर अलग-अलग मद से दर्जनों चापाकल लगे थे। लेकिन बरती गई अनियमितता के कारण अधिकांश चापाकल खराब हो गए। इतना ही नहीं सिस्टम की लापरवाही के कारण चापाकल के पाइप रह गए और हेड गायब हो गएं। शहर में अब गिने-चुने स्थानों पर ही चापाकल नजर आते हैं। दबंगों की निजी संपत्ति बनकर रह गया गांवों का चापाकल
ग्रामीण इलाके में स्थिति और भी बदतर है, पेयजल के लिए हर व्यक्ति परेशान है। एक ओर कोरोना से हाल-बेहाल तो दूसरी ओर पेयजल के लिए हाहाकार। बताया गया कि पूर्व में गांव-गांव में पंचायत व विधायक मद से लगाए गए चापाकल मरम्मत के अभाव में जमींदोज हो गए। वहीं कुछ चापाकलों को गांव के दबंगों ने अपनी निजी संपत्ति बना उस पर कब्जा कर लिया है। इस कारण समस्या घटने की बजाए बढ़ती ही चली जा रही। पनहर गांव के लोगों को पेयजल के लिए लगानी पड़ती दौड़
अभी भी एक चापाकल पर सैकड़ों की आबादी निर्भर है। खासकर यह समस्या दलित-महादलित मोहल्ले में सबसे अधिक है। पनहर पंचायत के पनहर गांव में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। एक चापाकल खराब है तो हाल ही में लगाए गए सिटेक्स पानी टंकी की मोटर खराब है। लिहाजा मोहल्ले के लोग आधा किमी दूरी तय कर पानी लाने को विवश हैं। अभी गर्मी की शुरुआत है, लेकिन कई स्थानों पर चापाकल सूखने लगा है। बीडीओ ने जांच का दिया भरोसा, कहा बख्शे नहीं जाएंगे दोषी
पेयजल की समस्या सरकारी स्कूलों में भी है। फिलहाल स्कूल बंद रहने के कारण इस समस्या पर आवाज उठनी बंद है। सात निश्चय योजना इस पूरे पंचायत में हवा हवाई है। इस योजना के तहत हो रहे तमाम कार्य मानकों के विपरीत हैं। इस्लामपुर बीडीओ चंदन कुमार ने बताया कि बहुत जल्द पानी की समस्या का हल निकाल लिया जाएगा। वहीं सात निश्चय में गड़बड़ी करने वाले दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।