लोकसभा चुनाव में पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज देगा अप्रत्याशित परिणाम
बिहारशरीफ। आगामी लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित परिणाम आने की बात कहते हुए पिछड़ा-अतिपिछड़ा महासम्मेलन क
बिहारशरीफ। आगामी लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित परिणाम आने की बात कहते हुए पिछड़ा-अतिपिछड़ा महासम्मेलन के अध्यक्ष सह पूर्व विधायक राजीव रंजन ने कहा कि लोकसभा चुनाव की आहट आते ही पिछले चुनाव के बाद से ही गायब, खुद को पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज का सबसे बड़ा हितैषी बताने वाले लोग फिर से इस समाज के लोगों को बरगलाने लगे हैं। लेकिन इस बार उनकी दाल नहीं गलने वाली है। देश में सर्वाधिक संख्या रखने वाला पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज तेजी से एकजुट हो रहा है और आने वाले चुनाव में अप्रत्याशित परिणाम देगा। कहा कि बीपी मंडल की रिपोर्ट के अनुसार इस समाज की संख्या कुल जनसंख्या का 52 फीसद है यानी बिहार की 11 करोड़ की जनसंख्या में लगभग पौने 6 करोड़। फिर भी आजादी के बाद से अगले 50 सालों तक की सरकारों ने इस समाज को महज 4-5 फीसद कोटे में बांधे रखा। बाद में मामूली बढ़ोतरी कर इसे 8-9 फीसद तक कर दिया गया। इस नाइंसाफी के लिए राजनीतिक दलों से ज्यादा बड़े दोषी यही मौसमी नेता हैं जिन्होंने अलग-अलग दलों के इशारों पर चलते हुए उनके फायदे के लिए हमारे समाज को बांट कर रख दिया। अब पिछड़ा-अतिपिछड़ा समाज को कम से कम 40 फीसद की भागीदारी चाहिए। दशकों बाद केंद्र में आई नरेन्द्र मोदी सरकार ने इस समाज की सुध ली है जिसने 1955 में गठित पिछड़ा-अतिपिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया है। पिछड़े-अतिपिछडे समाज को एकजुट बनाए रखने के लिए हमारा प्रयास जारी है और इसका असर आगामी 18 नवंबर को पटना में आयोजित होने वाले पिछड़ा-अतिपिछड़ा महासम्मेलन में दिखेगा। महासम्मेलन की बाबत चर्चा करते हुए श्री रंजन ने कहा कि हमारे इस अभियान की शुरुआत नालंदा से पहले ही हो चुकी है और ़िफलहाल इस अभियान से जुड़े हमारे साथी हमारे संदेश और इस महासम्मेलन का आमंत्रण लेकर राज्य के कोने-कोने में जा रहे हैं।