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हजारों सत्संगियों की मौजूदगी में भव्य तरीके से हुआ उन्मोचन कार्यक्रम

सत्संग विहार मंदिर के उदबोधन कार्यक्रम सह श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद जी के132वें जन्म महोत्सव के अवसर पर देवघर से पहुंचे श्री बोवाई दा के पुत्र आविन दा के हाथों उन्मोचन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। हजारों अनुयायियों की उपस्थिति में रविवार की सुबह ब्रह्ममुहूर्त में मंदिर उन्मोचन कार्यक्रम हुआ। जिसमें मुख्य रूप से ऋत्विक याचक प्रति ऋत्विक व श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद जी के अनुयायी शामिल हुए। इसके बाद सत्संग प्रांगण के बगल में बने भव्य पांडाल में गुरुभजन व गुरु दीक्षा का कार्यक्रम आयोजित हुआ।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 06:28 PM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 06:28 PM (IST)
हजारों सत्संगियों की मौजूदगी में भव्य तरीके से हुआ उन्मोचन कार्यक्रम
हजारों सत्संगियों की मौजूदगी में भव्य तरीके से हुआ उन्मोचन कार्यक्रम

नालंदा:  सत्संग विहार मंदिर के उदबोधन कार्यक्रम सह श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद जी के 132 वें जन्म महोत्सव के अवसर पर देवघर से पहुंचे श्री बोवाई दा के पुत्र आविन दा के हाथों उन्मोचन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। हजारों अनुयायियों की उपस्थिति में रविवार की सुबह ब्रह्ममुहूर्त में मंदिर उन्मोचन कार्यक्रम हुआ। जिसमें मुख्य रूप से ऋत्विक, याचक, प्रति ऋत्विक व श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद जी के अनुयायी शामिल हुए। इसके बाद बिहारशरीफ-राजगीर फोर लेन के किनारे सत्संग प्रांगण के बगल में बने भव्य पंडाल में गुरुभजन व गुरु दीक्षा का कार्यक्रम आयोजित हुआ। गुरु भजन कार्यक्रम में मुख्य रूप से देवघर स्थित प्रधान कार्यालय से आई टीम ने एक से बढ़कर एक गुरु भजन प्रस्तुत किए। जिसका संयोजन मनोज झा, दीपम लाल व कृष्णा कृपाल ने किया।

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 बता दें कि इस जन्म महोत्सव सह मंदिर उदबोधन कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु  पहुंचे हैं। राजगीर, नालंदा सहित बिहारशरीफ के विभिन्न होटलों में 250 से अधिक कमरों की बुकिग कर उन्हें ठहराया गया है। इसके अलावा बड़े-बड़े अस्थायी टेंट का निवास बनाया गया है। सत्संग विहार मंदिर को आकर्षक ढंग से फूलों से सजाया गया है। दो जगहों पर हजारों की संख्या में भक्तों के बैठने की क्षमता वाले दो अत्याधुनिक पंडाल बनाए गए हैं। शनिवार की शाम में इस महोत्सव की शुरुआत संगीत जागरण से की गयी। जिसके लिए गुजरात के अलावा राज्य के नवादा जिले के सृजन आर्ट के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। इस जागरण संध्या में शास्त्रीय संगीत के तहत कथक नृत्य, गुरु वंदना आदि प्रस्तुत किए गए। जिनका निर्देशन विजय शंकर पाठक ने किया। कार्यक्रम के संयोजक सत्संग विहार देवघर के सहायक सचिव सह ऋत्विक शिवानंद प्रसाद, प्रेमचंद साव, डॉ अरुण कुमार ने बताया कि दीक्षा, भजन के बाद विशाल भंडारा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में सत्संग विहार के संयोजक ऋत्विक डॉ गजेंद्र सिंह, प्रति ऋत्विक राघो प्रसाद,अशोक साह, नारायण प्रसाद, सह प्रति ऋत्विक जमुना प्रसाद साव, नरेश प्रसाद, अशोक गुप्ता, नारायण प्रसाद, अशोक गुप्ता ,मनीष कुमार, रंजीत दास, उपेंद्र पंडित आदि का योगदान रहा।

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आचार्यों ने की नारी शक्ति व चरित्र निर्माण के मूल मंत्रों की चर्चा

संवाद सूत्र, नालंदा:  मंदिर उन्मोचन के बाद सभागार में धर्म सभा का आयोजन किया गया। जिसमें नारी शुद्धता पर जोर दिया गया। धर्म सभा की अध्यक्षता देवघर से पहुंचे आचार्य नारायण प्रसाद ने की। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि नारी की शुद्धता व पवित्रता पर ध्यान दिया जाए। क्योंकि नारी पति के लिए पवित्रतम देवी के समान होती है। एक घर की नारी संस्कारवान व शुद्ध आचरण की होगी तो उसके बच्चे संस्कारवान तथा उच्च विचारवान होंगे। परिवार के बाद समाज का निर्माण होता है। समाज सुसंस्कृत व संस्कारवान होगा। तभी हमारा समाज व देश विकसित हो सकता है। धर्म सभा में मुख्य रूप से शिक्षा, दीक्षा व विवाह पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी गई। शिक्षा पर ध्यान देने से परिवार व बच्चे समझदार होते हैं। योग्य गुरु से दीक्षित होकर व्यक्ति गुरु सा आचरण  रखने की प्रेरणा पाता है। उच्च कुल व संस्कारवान परिवार के साथ सुप्रजनन होने से चरित्रवान संतान की प्राप्ति होती है। इसलिए इन सभी बातों पर ध्यान देने की जरूरत है। श्री श्री ठाकुर जी का भी मूल ध्येय होता था कि पहले एक सफल व संस्कारित मनुष्य का निर्माण हो। वहीं मातृ सम्मेलन में मुजफ्फरपुर से आई डॉ रंजना सिन्हा ने नारी शक्ति व उसके संस्कारवान होने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान सत्संग विहार के पूर्व बिहार प्रभारी डॉ गजेंद्र सिंह ने भी नारी के श्रद्धा भाव व संस्कार में बदलाव के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।

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आज भी होता है आचार्य परम्परा का निर्वहन

संवाद सूत्र, नालंदा : पारिवारिक आचार्य की पद्धति आज भी इस संस्था में जीवंत है। इस परंपरा की शुरुआत श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद जी के समय से लेकर आज तक जारी है। जिसके तहत परिवार का बड़ा पुत्र आचार्य परम्परा का निर्वहन करते हैं। इस परंपरा के तहत ही बोडो दा, आचार्य देव अशोक चक्रवर्ती आदि परम्परा का निर्वहन कर चुके हैं। इस संस्था में दीक्षा देने का अधिकार ऋत्विक, सह प्रतिरित्विक, प्रतिरित्विक को होता है। जिनके सहयोगी अधवरजु तथा याजक होते हैं। यहां बता दें कि नालन्दा जिले के मुजफ्फरपुर (नूरसराय) गांव निवासी राघो प्रसाद प्रतिरित्विक हैं। जो पूरे भारत वर्ष में चार पांच ही हैं। बिहार से राघो प्रसाद के अलावा नारायण प्रसाद (दानापुर) ही प्रतिरित्विक हैं। यहां बता दें कि नालन्दा जिले में लगभग 40 से 50 हजार दीक्षित अनुयायी हैं। उन्हीं के सहयोग से सत्संग विहार मंदिर का निर्माण किया गया है।


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