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Muzaffarpur Crime : मुजफ्फरपुर में बाइक लूट के दौरान गोली से जख्मी युवक की मौत

कांटी थाना क्षेत्र के एनएच 28 स्थित छपरा काली मंदिर के समीप अपराधियों ने शराफत को गोली मारकर बाइक लूट ली थी। उसे दो गोली मारी गई थी। स्थानीय लोगों ने मुजफ्फरपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था जहां इलाज के दौरान देर रात उसकी मौत हो गई।

By DharmendraEdited By: Published: Thu, 24 Dec 2020 07:49 PM (IST)Updated: Thu, 24 Dec 2020 07:49 PM (IST)
Muzaffarpur Crime : मुजफ्फरपुर में बाइक लूट के दौरान गोली से जख्मी युवक की मौत
लूट का विरोध करने पर अपराधियों ने युवक को मारी थी दो गोली।

मड़वन (मुजफ्फरपुर), जासं। करजा थाना क्षेत्र के बड़कागांव टोले भररा निवासी असगर अली के 24 वर्षीय पुत्र शराफत हुसैन की इलाज के दौरान निजी अस्पताल में बुधवार की देर रात मौत हो गई। स्थानीय मुखिया पति रंजीत सिंह ने घटना की पुष्टि की है। शराफत के सीने व पेट में गोली लगी थी। बताते चलें कि कांटी थाना क्षेत्र के एनएच 28 स्थित छपरा काली मंदिर के समीप अपराधियों ने बुधवार की दोपहर शराफत को गोली मारकर बाइक लूट ली थी। उसे दो गोली मारी गई थी। स्थानीय लोगों ने आनन-फानन में उसे  मुजफ्फरपुर के एक निजी अस्पताल में  भर्ती कराया था जहां इलाज के दौरान देर रात उसकी मौत हो गई। शराफत के परिवार के लोग नागपुर रहते हैं। मुखिया पति ने बताया कि स्वजनों के पहुंचने के बाद शुक्रवार को उसके शव को दफनाया जाएगा।

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शव पहुंचते ही मचा कोहराम

गुरुवार की दोपहर के बाद शराफत का शव गांव पहुंचते ही कोहराम मच गया। उसे देखने के लिए आसपास के लोगों की भीड़ जुट गई। सबके चेहरे पर उदासी व आंखों में आंसू थे। कोई कुछ समझ नहीं पा रहा था कि जो हंसता खेलता लड़का बुधवार को शहर गया था, उसका शव आज घर पहुंचेगा।  शराफत पांच भाइयों में सबसे छोटा था। उसके परिवार के सभी सदस्य व वह खुद भी नागपुर में रहता था। 5 दिसंबर को उसकी शादी हुई थी। इसी दौरान परिवार के सभी लोग घर आए थे। शादी का कार्यक्रम खत्म होने के बाद सब काम पर लौट गए थे। केवल शराफत ही कुछ दिनों के लिए ठहर गया था। इसी दौरान बुधवार की दोपहर बाद शहर से लौटने के क्रम में अपराधियों ने बाइक लूटने के क्रम में उसे गोली मार दी थी।

हाथ की मेहंदी सूखने के पहले ही हो गई विधवा 

शराफत की शादी 5 दिसंबर को पारू थाना क्षेत्र के बहदीनपुर में जहाना से हुई थी। जहाना का रो- रोकर बुरा हाल था। वह बार-बार बेहोश हो रही थी। परिवार के लोग भी नहीं थे जो उसे  ढाढस बंधाए। हालांकि मायके से काफी लोग पहुंचे थे, मगर सब की स्थिति एक जैसी थी। कोई कुछ समझ नहीं पा रहा था कि जहाना को किस तरह ढाढस बंधाए। जिस शराफत के साथ जहाना ने 15 दिन पूर्व ही हसीन जीवन के सपने संजोए थे, सपने बुने थे, 15 दिनों में ही उसकी सारी खुशियां काफूर हो गर्इं। हाथ की मेहंदी सूखने से पहले ही उसका सुहाग उजड़ गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब किसके सहारे उसकी जिंदगी कटेगी। ढाढस देने पहुंचे लोगों के आंसू भी थमने का नाम नहीं ले रहे थे। 


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