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सावन माह में युवाओं को धर्म के साथ-साथ मिलती सामाजिक सरोकारों की शिक्षा Muzaffarpur News

आज का युवा सावन के बहाने ही सही कांवर यात्रा के दौरान परेशानी फंसे लोगों की मदद करना सीखता है। उनके लिए भोजन पानी व अन्य जरूरी मदद करने को प्रेरित होता है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 29 Jul 2019 12:21 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jul 2019 12:21 PM (IST)
सावन माह में युवाओं को धर्म के साथ-साथ मिलती सामाजिक सरोकारों की शिक्षा Muzaffarpur News
सावन माह में युवाओं को धर्म के साथ-साथ मिलती सामाजिक सरोकारों की शिक्षा Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। सावन हर से सर्वोत्तम मास है। धार्मिक दृष्टि से इस माह के अनंत वर्णन हैं। इस माह में पूरा वातावरण शिवमय हो जाता है। इसका महात्म्य इतना तक ही सीमित नहीं है। सावन में लोगों को सामाजिक सरोकारों की भी शिक्षा मिलती है। खासकर युवाओं को। यह उनके लिए खास तरह का अनुभव होता है। स्मार्ट फोन के इस युग में इसकी प्रासंगिकता और बढ़ गई है। आज का युवा सावन के बहाने ही सही, कांवर यात्रा के दौरान परेशानी फंसे लोगों की मदद करना सीखता है। उनके लिए भोजन, पानी, स्नान, विश्राम व अन्य जरूरी मदद करने के लिए प्रेरित होता है। इस बाबत जब हमने युवाओं की राय जाननी चाही तो उन्होंने भी कुछ इसी तरह की बातें कहीं।

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पहलेजा से कांवर लेकर मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबस्थान धाम पहुंचे कांवरिया विनीत कुमार ने कहा कि यूं तो हमलोग पूरे वर्ष अपने-अपने कामों मे व्यस्त रहते हैं। सावन ही एक मौका होता है जब पूरा शहर भक्तिमय हो जाता है। हमलोग एक सप्ताह कांवर लाने के दौरान पूरे रास्ते में किसी तरह की परेशानी में फंसे कांवरियों की मदद खुद करते हैं या फिर करवाते हैं। शेष दिनों में कांवर शिविर के माध्यम से इसकी सेवा करते हैं। इस दौरान हमें सामाजिक सरोकारों को जानने औार समझने का मौका मिलता है।

उत्पल बताते हैं कि केवल कांवरिये के रूप में ही नहीं वरन स्वयंसेवक के रूप में भी अपनी भूमिका को बेहतर ढंग से निभाने का अवसर सावन उपलब्ध कराता है।

पहलेजा से गरीबनाथ धाम की यात्रा कर रहे कांवरिया सौरभ कुमार कहते हैं कि पिछले 11 वर्षों से बाबा गरीबनाथ धाम के लिए कांवर लेकर आता हूं। उन्होंने कहा कि भक्ति के लिए किसी विशेष उम्र के पड़ाव तक पहुंचना जरूरी नहीं। ऐसी मान्यता है कि इस माह में बाबा भोलेनाथ पर गंगाजल चढ़ाने से वे जल्द प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं।

बढ़ती जा रही बाबा गरीबनाथ धाम की प्रसिद्धि

मुजफ्फरपुर स्थित बाबा गरीबनाथ धाम वर्षों से श्रद्धालुओं के आस्था और श्रद्धा का केन्द्र रहा है। बाबा गरीबनाथ का शिवलिंग कब प्रकट हुआ इसकी सही जानकारी उपलब्ध नहीं हैं। परंतु, सन 2006 ई. में बिहार राज्य धार्मिक न्यास पार्षद ने मंदिर का अधिग्रहण किया और मंदिर की व्यवस्था के लिए ग्यारह सदस्यों का एक ट्रस्ट बनवाया गया। मंदिर प्रांगण में जिस कल्पवृक्ष की पूजा होती है वह शिवलिंग के प्राकट्य से भी ज्यादा पुराना है । श्रावण मास में कावरियों द्वारा सोनपुर से गंगाजल लाकर बाबा पर अर्पित करने की शुरुआत सन 1960 के आस-पास से की गई । कहा जाता है कि शिवलिंग जहां प्रकट हुए वह क्षेत्र पहले जंगल था ।

प्रसिद्ध है यह कहानी...

मान्यता है कि एक बहुत ही गरीब आदमी बाबा गरीबनाथ की आराधना करता था। उस आदमी की बेटी की शादी के लिए घर में कुछ भी नहीं था, लेकिन बाबा के दर्शन के बाद सारे सामानों की आपूर्ति अपने-आप हो गई तबसे से लोगों के बीच गरीबनाथ धाम के रूप में बाबा की प्रसिद्धि हुई।

बिहार का देवघर है बाबा गरीबनाथ का मंदिर

सावन के महीने में विशेषकर सोमवार को सोनपुर के पहलेजा घाट से 77 किलोमीटर की दूरी तय कर कांवड़ियों का जत्था लाखों की संख्या में पवित्र गंगा जल से बाबा का जलाभिषेक करते हैं।

देवघर की तर्ज पर बाबा गरीबनाथ धाम में भी डाक बम गंगा जल लेकर महज 12 घंटे में बाबा का जलाभिषेक करने की परंपरा रही है। भक्तों की बीच बाबा की प्रसिद्धि ऐसी कि बाबा को जलाभिषेक करने के लिए कांवरियों की संख्याी में हर साल 10 से 15 फीसदी बढ़ते चले जा रहे हैं। 

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