बिहार में रेत पर आलू की खेती कर युवा किसान ने पेश की मिसाल, भाइयों के लिए बना भगवान
West Champaran चंदरपुर निवासी किसान अंशुमान ने पेश की मिसाल हर साल प्राप्त कर रहे लाखों की आमदनीप्रति एकड़ औसतन 40 हजार की होती आमदनी अन्य किसानों को मिल रही है प्रेरणा इसी आमदनी से भाइयों को पढ़कर बनाया इंजीनियर।
बगहा (पचं), जासं। दियारे की रेतीली जमीन आम तौर पर उपजाऊ नहीं मानी जाती। इस कारण किसान खेती में रुचि भी नहीं दिखाते। लेकिन, एक युवा किसान ने अपनी मेहनत और उन्नत तकनीकी का सहारा लेकर रेतीली जमीन को न सिर्फ उर्वर बनाया बल्कि हर साल लाखों रुपये की आमदनी भी प्राप्त कर रहे हैं। भितहा के चंदरपुर निवासी किसान अंशुमान पांडेय का परिवार पहले बड़े कास्तकारों में गिना जाता था। उनके पास कुल 30 एकड़ जमीन थी। करीब एक दशक पूर्व गंडक ने अपनी धारा बदली तो अंशुमान की जमीन गंडक के गर्म में समा गई। पांच साल पूर्व नदी ने रास्ता बदला तो खेत तो खाली हो गए, लेकिन हर तरफ रेत ही रेत था। इसमें 10 एकड़ जमीन खेती लायक थी।
छह साल पूर्व उन्नत तकनीकी के सहारे अंशुमान ने अपने खेत में आलू की खेती की। मेहनत और तकनीकी का मिलन हुआ तो सफलता पैदा हुई और अच्छा उत्पादन प्राप्त हुआ। अंशुमान ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने सिर्फ आलू उपजा कर अपने तीन भाइयों को इंजीनियर बना यह साबित कर दिया कि यदि इच्छाशक्ति हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं है। अंशुमान ने बताया कि स्नातक की पढ़ाई पूरी कर वे गांव पहुंचे तो परिवार की स्थिति बेहद दयनीय थी। सबसे पहले वर्ष 2016 में पहली बार तीन एकड़ में आलू और गन्ने की की बोआई की। इसा साल 10 एकड़ में आलू की बुआई की है। जिसमें 130 क्विंटल बीज का उपयोग किया गया है। खेती में कुल लागत चार लाख की आई है।
गूगल ने दिखाई सफलता की राह, हर मुश्किल हुई आसान
आलू की खेती के क्रम में किसान अंशुमान पांडेय ने आधुनिक तकनीकी और उन्नत बीज की जानकारी गूगल के माध्यम से ली। इसके साथ ही उनकी हर मुश्किल आसान होती गई। बताते हैं कि स्थानीय स्तर पर कृषि कर्मियों से जानकारी लेने के साथ गूगल से काफी मदद मिली। संचार क्रांति के इस दौर में बीज का चयन, मौसम, खेती की पद्धति आदि की जानकारी आसानी से घर बैठे मिल जाती है।
यूपी के विभिन्न शहरों में भेजा जाता आलू
चंदरपुर में उत्पादित आलू को यूपी के शहरों में बाजार मिलता है। व्यापारी आकर खुद आलू को खरीद कर ले जाते हैं। जिससे अच्छी आमदनी प्राप्त हो रही है। इस समय 15 से 20 रुपये प्रति किलो आलू की बिक्री हो रही है। अंशुमान ने बताया कि मकर संक्रांति के पहले ही आलू निकाल लिया जाएगा। बताते हैं कि प्रति एकड़ औसतन 40 हजार रुपये तक की आमदनी हो जाती है।
वैज्ञानिक विधि से करें खेती
किसान अंशुमान का कहना है कि वैज्ञानिक विधि से आलू की खेती की जानी चाहिए। आलू की बुवाई के समय मवेशी खाद एवं डाई पोटाश सहित कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए। ठंड से बचाव के लिए दवा का छिड़काव करें तथा जरूरत पड़ने पर सिंचाई भी करें।
- आलू की खेती की जानकारी मिली है। इलाके के किसानों को अंशुमान से प्रेरणा लेनी चाहिए। मैं स्वयं उनका खेत देखने जाउंगा। - अवनीश कुमार राय, प्रखंड कृषि पदाधिकारी